-पिछले 2 माह से शहर में नहीं हो रही गंगाजल की सप्लाई
-मेयर और नगरायुक्त की उदासीनता से दम तोड़ रही परियोजना
आई कन्सर्न
मेरठ: 'सिस्टम' की 'जटाओं' में उलझकर रह गया है मेरठ में गंगाजल। 341 करोड़ फूंक लिए और शहर का हलक सूखा का सूखा ही है। पिछले 2 माह से गंगाजल की सप्लाई मेरठ में ठप पड़ी है। मेयर और नगरायुक्त की हीलाहवाली के चलते परियोजना दम तोड़ रही है।
एक नजर, हालत पर
मेरठ में 100 मिलियन लीटर पर डे (एमएलडी) करीब 43 क्यूसेक गंगाजल की सप्लाई भोला की झाल से मेरठ शहर में पेयजल की आपूर्ति के लिए की जा रही थी। 341.30 करोड़ रुपये की इस योजना को केंद्र और राज्य सरकार के अनुदान से पूर्ण किया गया तो वहीं गंगाजल की आपूर्ति के लिए सिंचाई विभाग को भी परियोजना से नियत धनराशि दी गई। विभागीय नूराकुश्ती के बाद मई 2016 से संचालित हुई पेयजलापूर्ति ने फरवरी 2017 तक दम तोड़ दी।
एकदूसरे पाले में गेंद
दैनिक जागरण आई नेक्स्ट ने गंगाजल की सप्लाई ठप होने पर नियमित खबरों का प्रकाशन किया। मेयर ने जल निगम और जलकल के अधिकारियों के पेंच कसने के आदेश दिए तो नगरायुक्त ने विभागीय बैठक की, किंतु नतीजा सिफर रहा। जल निगम फंड का रोना रो रहा है तो वहीं जलकल टेकओवर न करने पर अड़ा है।
तरह-तरह के बहाने
जलकल के जीएम जलकल रामचंद्र टेकओवर से न सिर्फ इनकार कर दिया बल्कि परियोजना पर ही सवाल खड़ा कर दिया। उन्होंने कहा कि परियोजना का पहले कम्प्लीशन सर्टिफिकेट जल निगम को देना होगा। ट्रायल होगा, इंस्पेक्शन होगा, पाइप लाइन में टूटफूट को जल निग दुरुस्त कराए, कागजी कार्यवाही पूरी होने के बाद टेक ओवर का प्रपोजल बोर्ड मीटिंग में रखा जाएगा, बजट एप्रूव कराना होगा। तब कहीं जाकर हम परियोजना को टेक ओवर करने की स्थिति में होंगे।
काम नहीं आया गुस्सा
गंगाजल परियोजना की सप्लाई ठप होने पर महापौर हरिकांत अहलूवालिया बेहद गुस्से में थे। आनन-फानन में अधिकारियों को गंगाजल की सप्लाई सुचारु करने के आदेश दिए, किंतु आदेश काम नहीं आए। नगरायुक्त डीकेएस कुशवाह ने भी गत दिनों जल निगम और जलकल के अफसरों के साथ बैठक की। संयुक्त टीम बनाकर निरीक्षण के निर्देश देकर नगरायुक्त ने जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ लिया।
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योजना का पैसा किसी विभाग का नहीं बल्कि जनता की जेब का है। विभागों की नूराकुश्ती से योजना की दुर्गति हो रही है। जल्द से जल्द गंगाजल की सप्लाई सुचारु कराई जाएगी।
हरिकांत अहलूवालिया, महापौर, मेरठ
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जल निगम और जलकल को संयुक्त टीम बनाकर जल्द से जल्द परियोजना के कम्प्लीशन के संबंध में रिपोर्ट देने के आदेश दिए गए हैं। रिपोर्ट आने के बाद टेकओवर की प्रक्रिया शुरू होगी।
डीकेएस कुशवाह, नगरायुक्त, मेरठ
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एक नजर, परियोजना पर
-300 एमएलडी-मेरठ की जलापूर्ति
-135 लीटर-प्रति व्यक्ति खपत
-341.30 करोड़-गंगाजल परियोजना की लागत
-2008-योजना का निर्माण आरंभ
-कार्यदायी संस्था जल निगम
-100 एमएलडी-योजना के तहत जलापूर्ति
-भोला की झाल से शहर में गंगाजल की सप्लाई
-21 किमी-फीडर मेन्स (1500 से 500 मिमी। डाया)
-780 किमी-डिस्ट्रीब्यूशन मेन्स (400 से 110 मिमी। डाया)
-6-क्लियर वाटर रिजवायर
-31-ओवर हेड टैंक
-250-किमी डिस्ट्रीब्यूशन मेन्स जलकल ने की टेक ओवर