सुधरने की गुंजाइश नहीं

सुप्रीम कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा कि जिस तरीके से दोषी ने चार साल की मासूम बच्ची से रेप और हत्या की क्रूर वारदात को अंजाम दिया, हमारी राय में कोई राहत नहीं दी जा सकती। सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने हत्यारे के वकील से सवाल किया था कि क्या किसी राक्षस या आतंकवादी के सुधरने की गुंजाइश नहीं होती? क्या एक ऐसे आतंकी जिसने एक बार ही बम धमाका कर 20 लोगों की जान ली हो और इससे पहले उसने कोई अपराध ना किया हो, वो सुधर नहीं सकता?

सजा में छूट दी जा सकती

ऐसे में क्या आंतकी को भविष्य में सुधरने के लिए सजा में छूट दी जा सकती है? अगर राज्य किसी दोषी को सुधारने में नाकाम हो तो क्या दोषी को इसका फायदा दिया जा सकता है? बच्ची से रेप और हत्या करने वाले दोषी अपनी उम्र की वजह से विश्वास करने योग्य था, इसलिए बच्ची चाकलेट के लिए उसके साथ चली गई। दोषी ने उससे रेप किया और फिर दरिंदे की तरह पत्थर से सिर कुचल दिया।

रेयरस्ट ऑफ द रेयर

वहीं महाराष्ट्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि दोषी वसंत संपत दुपारे का अपराध रेयरस्ट ऑफ द रेयर की श्रेणी में आता है और उसके सुधरने की कोई गुंजाइश नहीं है। वहीं दोषी के वकील की दलील थी कि राज्य ये साबित करने में नाकाम रहा है कि दोषी सुधर नहीं सकता और दोषी की फांसी की सजा उम्रकैद में बदली जानी चाहिए। उसकी उम्र करीब 55 साल है और अगर वो 20 साल भी जेल में रहता है तो वो 75 साल की उम्र में बाहर आएगा। ऐसे में वो समाज के लिए खतरा नहीं रहेगा।

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