- स्पेशल कोर्ट ने दी सभी को जमानत, आरोपितों ने खुद को निर्दोष बताया

LUCKNOW

अयोध्या स्थित विवादित ढांचा विध्वंस प्रकरण के आपराधिक मामले में शनिवार को पूर्व सांसद राम विलास वेदांती समेत पांच आरोपितों ने स्पेशल जज (अयोध्या प्रकरण) सुरेंद्र कुमार यादव की अदालत में आत्मसमर्पण किया। कोर्ट ने उन्हें बीस-बीस हजार रुपये की दो जमानतें और प्रत्येक को निजी मुचलका दाखिल करने पर जमानत दे दी।

समन पर हुए थे हाजिर

इस मामले में न्यास के सदस्य व पूर्व सांसद डॉ। राम विलास वेदांती, विहिप के अंतरराष्ट्रीय महासचिव चंपत राय बंसल, पूर्व विहिप नेता व सांसद बैकुंठ लाल शर्मा उर्फ प्रेम, राम जन्मभूमि न्यास के अध्यक्ष महंत नृत्य गोपाल दास, राम जन्मभूमि न्यास के सदस्य धर्मदास और शिवसेना नेता सतीश प्रधान को कोर्ट से समन भेजा गया था। इनमें सतीश प्रधान को छोड़कर बाकी कोर्ट में हाजिर हुए.अदालत के समक्ष आरोपितों ने अर्जी के माध्यम से आत्मसमर्पण किया। बाद में उनके अधिवक्ताओं ने जमानत अर्जी देकर कहा कि न्यायालय से जारी समन की सूचना मिलते पर उन्होंने खुद को हाजिर कर दिया है। आरोपितों ने खुद को निर्दोष बताया और कहा कि इस मामले में अन्य आरोपितों की जमानतें इसी न्यायालय ने पहते स्वीकृत की हैं। इस पर अदालत ने सभी को जमानत पर रिहा करने का आदेश देते हुए अगली सुनवाई के लिए 22 मई की तारीख तय की है। कोर्ट ने अगली सुनवाई पर आरोपी सतीश प्रधान को तलब करते हुए न्यायालय के समक्ष उपस्थित होने का आदेश दिया है।

CBI के वकील ने किया विरोध

जमानत अर्जी का विरोध करते हुए सीबीआई की ओर से ललित कुमार सिंह और आरके यादव का तर्क था कि ढांचा विध्वंस प्रकरण में छह दिसंबर, 1992 को थाना राम जन्मभूमि अयोध्या में चौकी प्रभारी प्रियंबदा नाथ शुक्ला और वरिष्ठ उपनिरीक्षक गंगा प्रसाद ने अशोक सिंघल, लाल कृष्ण आडवाणी, उमा भारती, विष्णु हरि डालमियां आचार्य परमहंस, राम चन्द्र दास, विनय कटियार एवं साध्वी रितंभरा सहित सैकड़ों कारसेवकों के विरुद्ध रिपोर्ट दर्ज कराई थी। शुरुआती दौर में मामले की विवेचना स्थानीय पुलिस और सीबीसीआईडी ने की थी। बाद में राज्य सरकार की सिफारिश पर सीबीआई विवेचना की थी.उच्च न्यायालय ने आरोपितों को आरोप मुक्त किए जाने के आदेश को सीबीआई ने सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष विशेष अनुमति याचिका दायर कर चुनौती दी थी, जिसे स्वीकार करते हुए सर्वोच्च न्यायालय ने मामले की प्रतिदिन सुनवाई करने का स्पेशल कोर्ट को आदेश देते हुए ढांचा विध्वंस के रायबरेली में चल रहे मुकदमे को लखनऊ ट्रांसफर करने का आदेश दिया है। मुकदमे के आरोपी अशोक सिंहल, विष्णु हरि डालमियां और आचार्य परमहंस रामचन्द्र दास की मृत्यु हो चुकी है।