- हर तीन महीने पर बढ़ जाता है लॉज का किराया

- सप्लाई वाटर के भरोसे हैं पटना के अधिकांश लॉज

- पैरेंट्स व फ्रेंड्स के रहने पर देना होता है एक्स्ट्रा चार्ज

PATNA : यूं तो पटना के हर इलाके में स्टूडेंट रहते हैं, लेकिन राजधानी के कुछ इलाके ऐसे हैं जहां सबसे अधिक स्टूडेंट ही रहते हैं। इन इलाकों में कोचिंग संस्थानों की संख्या अधिक है। यही कारण है कि यहां लॉज भी अधिक खुल गए हैं। हर लॉज की अपनी ही कहानी है, और वो भी एक जैसी। आई नेक्स्ट ने विभिन्न लॉज के स्टूडेंट के साथ डिस्कसन किया। सभी ने एक साथ स्वीकारा कि लॉज में रहना हमारी मजबूरी है। बेतहाशा किराया तो लिया जाता है लेकिन सुविधा कुछ भी नहीं दी जाती।

गाली गलौज करते हैं ऑनर

नया टोला स्थित एक लॉज में रहने वाले संजीत ने बताया कि हमलोग चाह कर भी लॉज मालिक से कोई भी बात नहीं कर सकते। संजीत जिस लॉज में रहता है उसमे पच्चीस रूम है। हर कमरे में दो बेड है पर खिड़की एक भी नहीं। हर स्टूडेंट से पच्चीस सौ रुपए किराया लिया जाता है। उसने बताया कि उसके लॉज की सफाई महीने में एक बार भी नहीं होती। राजीव भी इसी लॉज में रहता है। राजीव पटना में रहकर बीपीएससी की तैयारी कर रहा है। राजीव ने कहा कि साफ-सफाई को लेकर एक दिन मकान मालिक को सारे लड़कों ने कंप्लेन किया। लेकिन बात सुनने के बजाया ऑनर गाली-गलौज पर उतर आए। लड़कों ने बताया कि इसके बाद चार- पांच लड़के लॉज आए और हमलोगों को गाली देने लगें। उन लड़कों ने कहा कि रहना है तो चुपचाप रहो वर्ना दो महीने का किराया दो और चलते बनो।

मोबाइल, प्रेस व लैपटॉप की इजाजत नहीं

नया टोला व मछुआटोली स्थित कई लॉज के स्टूडेंट्स का कहना है कि यहां न्यूनतम सुविधा भी नसीब नहीं होती। इन इलाकों में रहने वाले स्टूडेंट्स कम से कम तीन हजार रुपए मंथली पे करते हैं। सुविधा की तो छोडि़ए अगर स्टूडेंट के पास मोबाइल है तो वो अपने कमरे में चार्ज नहीं कर सकता है। प्रेस और लैपटॉप रखने की तो परमीशन ही नहीं। मोबाइल चार्जिग के लिए पचास और प्रेस का यूज करने पर दो सौ रुपया एक्स्ट्रा देना पड़ता है। गंगेश कुमार झा ने कहा कि हर तीन महीने पर मकान मालिक दस पर्सेट किराया बढ़ा देता है। जब भी कोई लड़का लॉज छोड़ता है तो नए लड़के से पांच सौ अधिक रेंट लिया जाता है। किसी भी दोस्त और परिवार वालों को रखने पर प्रति दिन के हिसाब से क्भ्0 रुपए पे करना पड़ता है।

जॉण्डिस, टाइफायड का खतरा

काजीपुर के एक लॉज में रहने वाले सिंकदर को टाइफायड हो गया है। सिकंदर के लॉज की स्थिति बहुत बुरी है। लॉज को देखने पर ऐसा लगता है कि महीनों से उसकी सफाई नहीं की गई है। इस लॉज में रहने वाले अन्य स्टूडेंट्स ने बताया कि हमें सप्लाई वाटर ही पीना पड़ता है। बीस कमरे के इस लॉज में एक भी बेसिन नहीं है। लड़कों को बाथरूम से ही पीने का पानी लेना पड़ता है। वहीं महेंद्रु स्थित एक लॉज में पांच कमरे हैं और कुल दस बच्चे रहते हैं। दस बच्चों के लिए एक ही कॉमन बाथरूम है। सूरज प्रकाश ने बताया कि सुबह तो हालत ऐसी होती है कि हमलोगों को लाइन लगा कर अपनी बारी का इंतजार करना पड़ता है। कई लड़के तो पास के सुलभ शौचालय में चले जाते हैं।

पानी और बिजली तो यहां के हर लॉज की आम समस्या है। मकान मालिकों पर किसी तरह का कोई अंकुश नहीं है। यही कारण है कि यहां के लॉज को अपराधियों ने छिपने का अड्डा बना लिया है। सरकार और पुलिस को इसमें हस्तक्षेप करना चाहिए।

- एम। रहमान, शिक्षाविद