सुधार भी पूछे

सर्वे में डोमेस्टिक वॉयलेंस एक्ट के तहत पुलिस से कुछ अहम सवाल पूछे जा रहे हैं। इनमें डोमेस्टिक वॉयलेंस के केसेज की संख्या, इन पर पुलिस की कार्रवाई समेत क्या-क्या सुधार किये जा सकते हैं, जैसे सवाल शामिल हैं। इसके अलावा पुलिस इस अधिनियम के बारे में क्या-क्या जानती है, ये पूछा गया है। सर्वे में रिकॉर्ड के तौर पर थाना, थानेदार का नाम, स्टेट और इंटरव्यू की डेट भी मेंशन की जा रही है।

डेली आती हैं शिकायतें

डोमेस्टिक वॉयलेंस के केस डेली पुलिस के पास पहुंचते हैं। पुलिस अधिकारियों के पास भी इनकी लाइन लगी रहती है। ज्यादातर मामलों को  दहेज से जोड़ दिया जाता है। ऐसे केसेज को पुलिस पहले परामर्श केंद्र में समझौते के लिए भेजती है, लेकिन जब बात नहीं बनती तो एफआईआर दर्ज कर कानूनी प्रोसेस फॉलो किया जाता है।

Role pf police

डोमेस्टिक वॉयलेंस के मामलों में एफआईआर के अलावा क्या कार्रवाई की जाती है?

क्या घरेलू हिंसा एक्ट 2005 के अंतर्गत पुलिस की भूमिका के बारे में ज्ञान है? यदि है तो क्या? यदि इसके तहत

एफआईआर दर्ज की जाती है तो विपक्षी को नोटिस भेजने में क्या भूमिका निभाई जाती है?

क्या थाने में उनके द्वारा कोई नोटिस विपक्षी को भेजा गया है? यही नहीं इसके तहत कोर्ट के आदेशों को लागू करने में पुलिस किसी का सहयोग करती है, यदि है तो क्या? इसके तहत कोर्ट के द्वारा आदेशों द्वारा पुलिस ने कितने केसेज में इंटरफेयर किया है? अगर किया है तो क्या?

इस अधिनियम के क्रियान्वयन व घरेलू सुधारों के बारे में कोई सुझाव है तो वह जरूर दें।

क्या घरेलू हिंसा पर गवर्नमेंट या डीजीपी के द्वारा कोई आदेश जारी किया गया है? यदि किया है तो वह आदेश क्या है?

ये हैं अहम सवाल

घरेलू हिंसा से आप क्या समझते हैं?

क्या घरेलू हिंसा निवारण के बारे में जानकारी है? यदि हां, तो क्या?

क्या इस अधिनियम के बारे में कभी ट्रेनिंग दी गई है? अगर दी गई है तो किसके द्वारा और कितनी बार दी गई है? यह

जानकारी कितने काम आती है? यदि ट्रेनिंग नहीं दी गई है तो इसकी बारीकियों के बारे में कैसे जान सकते हैं?

जनवरी 2011 से दिसंबर 2012 तक थाने में कितनी एफआईआर घरेलू हिंसा अधिनियम के तहत दर्ज की गई हैं?

अगर कोई पीडि़ता शिकायत करती है तो पुलिस क्या प्रोसेस अपनाती है?