सीजेएम कोर्ट ने सुनवाई के बाद दिया आदेश

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ALLAHABAD: एक्सिस बैंक द्वारा शुआट्स के खाते से 23.92 करोड़ रुपए घोटाले के मामले में न्यायालय ने यूनिवर्सिटी के आरोपों को एफआईआर में शामिल करने का आदेश दिया है। बता दें कि इस घोटाले की जांच एसआईटी द्वारा की जा रही है। अभी तक इस मामले में शुआट्स के अधिकारियों समेत बैंक के वाइस प्रेसीडेंट से पूछताछ कर चुकी है। मामला न्यायालय में जाने पर सीजेएम कोर्ट ने शुआट्स के प्रार्थना पत्र में सुनवाई करते हुए गंभीर बिन्दुओं को जाँच में शामिल करने का निर्देश विवेचक को दिया है।

आडिट में सामने आई खामियां

शुआट्स कोषाध्यक्ष प्रो। डा। रंजन ए। जॉन द्वारा प्रेषित रिपोर्ट को संज्ञान में लेते हुए कुलसचिव प्रो। डॉ रॉबिन एल। प्रसाद ने बताया कि शुआट्स की स्पेशल ऑडिट जांच में एक्सिस बैंक की कई खामियां सामने आयी है। जिसमें एक्सिस बैंक के खाता संख्या 15428 की स्टेटमेंट में क्लोजिंग बैलेन्स 12,38,95,405.79 निगेटिव में था। बिना किसी ट्राजेक्शन के ओपनिंग बैलेन्स 1,45,76,236.46 दिखाया गया। इसी प्रकार स्टेटमेन्ट में क्लोजिंग क्रेडिट बैलेन्स निगेटिव में 18,85,57,602.54 दिखाया गया। बिना किसी ट्रांजेक्शन के एक बार फिर ओपनिंग बैलेन्स 2,31,54,784.46 डेबिट बैलेन्स के रूप में दिखाया गया। उनका कहना है कि 23 करोड़ की धनराशि को बैंक द्वारा गबन किया गया है उनमें से अधिकतर चेक विश्वविद्यालय के पास मूल रूप में मौजूद हैं।

तीन में निकाला गया धन

जांच कमेटी के अध्यक्ष सेवानिवृत्त जस्टिस एसएस कुलश्रेष्ठ ने अपनी जाँच में बैंक को जानकारी दी कि बैंक के कर्मचारियों एवं अधिकारियों ने मिलकर तीन वषरें से लगातार विश्वविद्यालय के खातों से करोड़ों रुपए की राशि अनाधिकृत रूप से निकाली है। सिविल लाइन पुलिस ने इस मामले में आनन फानन में रिपोर्ट दर्ज की थी जबकि कॉलेज प्रबंधक की तरफ से पुलिस को दोषी कर्मचारियों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराने की तहरीर दी गई लेकिन पुलिस ने नहीं दर्ज की। प्रबंधक को कोर्ट के जरिए रिपोर्ट दर्ज करानी पड़ी। कोर्ट ने विवेचक को निर्देशित किया कि वह कॉलेज के प्रार्थना पत्र को बैंक द्वारा दर्ज एफआईआर में शामिल करें। कुलसचिव का आरोप है कि बैंक कर्मचारियों द्वारा इतने बड़े स्तर पर घोटाला होता रहा है और अधिकारियों ने न ही कॉलेज को और न ही पुलिस में कोई शिकायत की। इतना ही बैंक कर्मचारियों ने एकाउंटेन्ट राजेश कुमार को फर्जीवाड़े में निजी स्वार्थ में सम्मिलित कर घाल मेल में लगा लिया। इन सभी तथ्यों से एसपी क्राइम बृजेश मिश्र, सीओ आलोक मिश्रा, विवेचना अधिकारी को अवगत करा दिया गया है।