- शासन ने सौंपी है शिक्षा विभाग को शिकायतों एक सर्वे रिपोर्ट
- रिपोर्ट में है मेरठ की के स्कूलों की भी शिकायतें
आई एक्सक्लूसिव
स्वाति भाटिया
मेरठ- स्कूल बच्चों का निवाला छीनने में कसर नहीं छोड़ रहे हैं। मिड डे मील के तहत बच्चों को मिलने वाले खाने को स्कूल्स बच्चों तक पहुंचने ही नहीं दे रहे हैं। इसकी शिकायतें शासन तक भी पहुंची। इस मामले में शासन ने सभी डीआईओएस से जवाब मांगा है। इसके साथ ही संबंधित स्कूलों पर कार्रवाई करने के भी आदेश दिए है।
संबंधित होगी कार्रवाई।
माध्यमिक स्कूलों में मिड डे मील स्कूल प्रबंधन की ओर से ही बांटा जाता है। ऐसे में पिछले दो सालों में यूपी के काफी जिलों से शासन को स्कूलों के मिड डे मील न बांटने की काफी शिकायतें पहुंची है। इन शिकायतों के आधार पर ही शासन ने सभी जिलों से प्राप्त शिकायतों के आधार पर ही सभी डीआईओएस को रिपोर्ट सौंपी है। इसके साथ ही टीम गठित करके संबंधित पर कार्रवाई करने को भी कहा है।
मेरठ का है तीसरा रैंक
शिकायतों के आधार पर मेरठ को शासन ने तीसरा रैंक दिया है। सर्वे रिर्पोट के आधार पर पहले नंबर पर सबसे अधिक शिकायतें फरुखाबाद में 149 स्कूलों की 500 शिकायतें पहुंची हैं। वहीं इलाहबाद के 142 स्कूलों की 425 शिकायतें पहुंची है। तीसरे नम्बर पर मेरठ है। यहां के 130 स्कूलों 200 शिकायतें भेजी गई हैं। इस आधार पर शासन मिड डे मील की घपलेबाजी में मेरठ को तीसरे नंबर पर रखा है।
टीम बनाने की तैयारी
मेरठ में डीआईओएस ने भी मिड डे मील की जांच के लिए टीम बनाने की तैयारी कर ली है। इस टीम में दो अधिकारी शासन के स्तर से स्वयं भी भेजे जाएंगे। इसके साथ ही विभाग के तीन सदस्यों को शामिल किया जाएगा। टीम जुलाई के लास्ट से ही स्कूलों की जांच करनी शुरु कर देगी। जांच के साथ ही स्कूलों का औचक निरीक्षण करके चेक किया जाएगा। क्या वास्तव में स्कूलों में बच्चों को खाना नहीं दिया जाता है।
होगी मान्यता रद्द
शासन के अनुसार अगर कोई स्कूल बच्चों को योजना का लाभ देने में घपलेबाजी करता है। तो ऐसे स्कूलों को बख्शा नहीं जाएगा। इन स्कूलों की मान्यता रद्द करने की भी कार्रवाई की जा सकती है। ऐसे में अगर घपलेबाजी साबित हुई तो मान्यता भी छिन सकती है।
ये भी है बिंदु
- 2012 में मेरठ के मवाना स्थित अरुणोदय इंटर कॉलेज में मिड डे मील न बांटने की शिकायत डीआईओएस को सौंपी गई थी। लेकिन मामले में कोई कार्रवाई नहीं, केवल कागजी कार्रवाई हुई थी।
- 2014 में मई डीआईओएस लेवल पर ही दस दिन का अभियान चलाया गया था। जिसमें स्कूलों की जांच का दावा किया गया था। लेकिन कार्रवाई एक पर भी नही हो पाई थी।
- 2010 में एक अनिकेत इंटर कॉलेज, किठौर में स्कूल में खाना खाने से बच्चे बीमार हुए थे। जिसके बाद स्कूल की मान्यता रद्द की गई थी।
ऑफिशियल स्टैंड
जांच टीम बनाई जाएगी, सदस्यों का चुनाव चल रहा है। निरीक्षण की तैयारी की जा रही है। संबंधित स्कूलों पर कार्रवाई होगी।
-श्रवण कुमार, डीआईओएस