संगम की रेती पर एक माह के लिए चलाया जा रहा है अन्न क्षेत्र, ना जाति ना हैसियत सिर्फ निष्काम सेवा का दिखता है भाव

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ALLAHABAD: संगम की रेती का खेल बड़ा ही निराला है। यहां नर नारायण की सेवा करने के लिए संकल्प लिया जाता है वह भी दूरदराज के क्षेत्रों से आने वाले संत-महात्माओं और दंडी स्वामियों के द्वारा। मेला क्षेत्र में ऐसा ही नजारा दिखाई देने लगा है। जहां एक महीने तक चाहे संत हों या महात्मा या फिर आम श्रद्धालु, न उसकी जाति पूछी जाती है और न ही यह देखा जाता है कि उसकी हैसियत क्या है, बस उनकी सेवा की जाती है। निष्काम सेवा का यह भाव मेला के पहले प्रमुख स्नान पर्व से ही क्षेत्र में शुरू भी हो गया है। यह सिलसिला माघी पूर्णिमा तक चलता रहेगा।

गेरुआ और पीला वस्त्र तो दक्षिणा भी

अन्न क्षेत्र चलाने वाली संस्थाओं ने एक नियम बनाया है। इसके मुताबिक दक्षिणा उन्हीं महात्माओं को दी जाएगी। जिन्होंने गेरुआ या पीला वस्त्र धारण किया हो। दंडी स्वामी नगर में चाहे किसी भी शिविर में कितने भी महात्मा आ जाए उन्हें 11 रुपए के हिसाब से दक्षिणा दी जाती है। ऐसे महात्माओं को आम श्रद्धालुओं से अलग पंगत में बैठाया जाता है। दिल्ली के ओउम वाहे गुरु आश्रम के अन्न क्षेत्र में 11 रुपए से लेकर 101 रुपए की दक्षिणा दी जाती है।

'भोजन-भिक्षा की हरिहर, पधारो संत भगवान'

अन्न क्षेत्र में पंगत बैठाने से पहले माइक से आम श्रद्धालुओं और महात्माओं को प्रसाद ग्रहण करने के लिए बुलाया जाता है। ताकि शिविर के मुख्य द्वार पर लगे ध्वनि विस्तारक यंत्र की गूंज कम से कम 100 मीटर तक सुनाई दे। चरखी दादरी हरियाणा अन्न क्षेत्र व नागेश्वर धाम में माइक से 'भोजन-भिक्षा की हरिहर, पधारो संत भगवान' बोलकर आमंत्रित किया गया।

अन्न क्षेत्र में नहीं होती गिनती

अन्न क्षेत्र में यह नहीं देखा जाता कि प्रसाद लेने पांच श्रद्धालु आएंगे कि पांच सौ। बिना किसी गिनती के श्रद्धा भाव से प्रसाद दिया जाता है। बस शर्त इतनी है कि शिविर के मुख्य द्वार तक तय समय सीमा के अन्तर्गत श्रद्धालु पहुंच जाएं। फिर चाहे शिविर में जितने भी श्रद्धालु या महात्मा आ जाते हैं उन्हें भरपेट प्रसाद खिलाया जाता है।

यहां चल रहा अन्न क्षेत्र

- चरखी दादरी हरियाणा अन्न क्षेत्र, चाय व नाश्ता में मठरी, सुबह पांच से सात बजे तक

प्रसाद: पूड़ी-सब्जी: पूर्वान्ह 11 से दोपहर एक और शाम 4:30 से 5:30 बजे तक

नागेश्वर धाम अन्न क्षेत्र, चाय-नाश्ते में घुघरी सुबह पांच से सात बजे तक

प्रसाद : पूर्वान्ह 11 से दोपहर एक बजे तक।

कानपुर अन्न क्षेत्र, चाय-नाश्ते में मठरी, सुबह छह से सात बजे तक। प्रसाद : पूर्वान्ह 11 से दोपहर एक बजे तक

मठ मछली बंदर अन्न क्षेत्र, चाय व नाश्ते में चना व मठरी, सुबह पांच से छह बजे तक

प्रसाद : सुबह 10:30 से दोपहर एक बजे तक

- ओउम वाहे गुरु आश्रम, दिल्ली, चाय-नाश्ता सुबह सात से आने तक प्रसाद : पूर्वान्ह 11 से श्रद्धालुओं के आने तक

चाय-नाश्ता : चाय, मठरी, पकौड़ी व बिस्किट

प्रसाद : रोटी, चावल, सब्जी, दाल और मीठे में बूंदी

अन्न क्षेत्र में प्रसाद की क्षमता

- चरखी दादरी हरियाणा अन्न क्षेत्र : आटा 70 क्विंटल, चावल सात क्विंटल, मैदा आठ क्विंटल

- ओउम वाहे गुरु आश्रम : सौ टन आटा, 50 टन चावल, तीन टन मैदा

सब्जी की क्षमता

- प्रतिदिन कम से कम 50 किग्रा आलू प्रत्येक अन्न क्षेत्र में

निष्काम भाव से आत्मिक सुख प्राप्त करने के लिए अन्न क्षेत्र चलाया जाता है। पूरा प्रयास होता है कि एक महीने तक कोई भी भूखा न रहे। इसलिए शिविर में दो समय प्रसाद और एक समय चाय नाश्ते की व्यवस्था की जाती है।

स्वामी दंडी ब्रह्माश्रम, चरखी दादरी हरियाणा अन्न क्षेत्र