- गंगा में खनन बंदी को लेकर कर रहे थे तप

- जल संसाधन मंत्रालय से मिले पत्र के बाद किया अन्न ग्रहण

HARIDWAR: गंगा क्षेत्र में खननबंदी की मांग पर आंदोलनरत मातृसदन के परमाध्यक्ष स्वामी शिवानंद ने अपना तप समाप्त कर दिया है। बुधवार को उन्होंने अन्न ग्रहण किया। केंद्रीय जल संसाधन नदी विकास एवं गंगा संरक्षण मंत्रालय से मिले पत्र का हवाला देकर उन्होंने बताया कि केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने हरिद्वार में पर्यावरण सरंक्षण एक्ट लागू कर दिया है। इसके तहत गंगा से स्टोन क्रशर पांच किलोमीटर दूर हटाए जाएंगे।

कार्रवाई न हुई तो कोर्ट जाएंगे

पांच नवंबर से स्वामी शिवानंद सरस्वती के शिष्य आत्मबोधानंद ने अन्न त्यागकर तप शुरू किया था। इस दौरान प्रशासन ने स्वामी शिवानंद सरस्वती से वार्ता की, लेकिन शिवानंद ने खनन बंद होने पर ही शिष्य का तप समाप्त करने की बात कही थी। ख्ख् नवंबर को उन्होंने ख्ख्भ् पन्नों का पत्र राष्ट्रपति, पीएम, चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया, गवर्नर आदि को भेजकर खनन न रुकने की स्थिति में इच्छामृत्यु की मांग की थी। इस बीच कोई जवाब न मिलने पर ख्7 नवंबर को उन्होंने आत्मबोधानंद का तप खुद समाप्त कराया और इसी दिन से खुद अन्न त्याग कर तपस्या शुरू कर दी थी। उन्होंने दो दिसंबर की मध्यरात्रि से जल भी त्याग दिया था। चार दिसंबर को एडीएम अभिषेक त्रिपाठी व एसपी देहात के नेतृत्व में टीम ने जबरन आश्रम में प्रवेश किया। जिला प्रशासन के आश्वासन पर स्वामी शिवानंद ने जल ग्रहण किया और मांग पूरी नहीं होने पर ब्8 घंटे बाद फिर जल का त्याग करने की चेतावनी दी। मंगलवार को जल संसाधन नदी विकास एवं गंगा सरंक्षण मंत्रालय राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन के अपर सचिव यूपी सिंह के आदेश की कॉपी आश्रम को मिली। बुधवार को इसका खुलासा करते हुए स्वामी शिवानंद ने बताया कि आदेश में सचिव ने खनन की गतिविधियों एवं अवैध स्टोन क्र¨शग को बंद करने के आदेश केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को दिए हैं। स्वामी शिवानंद ने कहा कि यदि अब प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड व जिला प्रशासन के स्तर पर आदेश लागू नहीं होते हैं तो वह कोर्ट की शरण लेंगे।