युद्ध अपराधों के संबंधित मामलों से जुड़े रहे पूर्व तीन अभियोजकों की एक रिपोर्ट में यह दावा किया गया है. इस रिपोर्ट के एक लेखक ने बीबीसी को बताया कि इनमें सरकार के शामिल होने के सबूत हैं. हालांकि सीरिया सरकार ने इससे इनकार किया है.

जाँचकर्ताओं ने हज़ारों मृत क़ैदियों की तस्वीरों का अध्ययन करने के बाद यह रिपोर्ट तैयार की है.

इन तस्वीरों को सीरिया में सैन्य पुलिस के एक फ़ोटोग्राफर ने मुहैया कराया है जो अब विद्रोहियों से मिल गया है.

यह रिपोर्ट ऐसे समय आई है जब  स्विट्ज़रलैंड में सीरिया में शांतिवार्ता शुरू होने में एक दिन रह गया है.

सीरिया में तीन साल से चल रहे संघर्ष को समाप्त करने के लिए माँट्रेक्स में हो रही इस वार्ता को सबसे बड़ी कूटनीतिक पहल माना जा रहा है.

गृहयुद्ध

इस गृहयुद्ध में एक लाख से ज़्यादा लोग मारे गए हैं जबकि लाखों बेघर हुए हैं.

रिपोर्ट को खाड़ी देश  क़तर में जारी किया गया जो सीरिया में विद्रोहियों की मदद कर रहा है. रिपोर्ट सैन्य पुलिस का फ़ोटोग्राफर रह चुके व्यक्ति द्वारा मुहैया कराई गई तस्वीरें पर आधारित हैं.

फ़ोटोग्रोफर ने 11 हज़ार मृत क़ैदियों की क़रीब 55 हज़ार तस्वीरें लीक की हैं.

इनमें सीरिया में साल 2011 में बग़ावत शुरू होने से लेकर पिछले साल अगस्त तक की तस्वीरें हैं.

जाँचकर्ताओं का कहना है कि तस्वीरों में मौजूद अधिकांश शव बेहद जीर्ण शीर्ण हालत में हैं और उन्हें पीट-पीटकर मारा गया है या फिर गला घोंटकर.

इस रिपोर्ट के एक लेखक प्रोफ़ेसर सर ज्यॉफ्री नाइस ने बीबीसी के न्यूज़डे प्रोग्राम में कहा कि जिस व्यापक पैमाने पर लगातार लोगों को मारा गया है उससे लगता है कि इसमें सरकार भी शामिल थी.

भूख

सीरिया पर 11 हज़ार क़ैदियों को मारने का आरोप

फॉरेंसिक पैथोलॉजिस्ट स्टुअर्ट हैमिल्टन ने भी सबूतों की जाँच की और न्यूज़डे में कहा मृतकों की तस्वीरें देखकर लग रहा है कि वे भूख से बेहाल थे.

उन्होंने लगा कि कई मृतकों को देखकर लग रहा है कि उन्हें बांधकर रखा गया था या वे क़ैद में थे.

उन्होंने कहा, "अधिकांश लोगों के को पीट पीटकर मारा गया था. कुछ ऐसे भी थे जिनका गला घोंटा गया था."

बेरूत में मौजूद बीबीसी के जिम मूर का कहना है कि अगर इस रिपोर्ट पर भरोसा किया जाए तो इससे पता चलता है कि इन शवों को सिलसिलेवार ढंग से रखा गया और उनमें से हरेक को एक नंबर दिया गया था.

सीरिया सरकार ने इस रिपोर्ट में कोई टिप्पणी नहीं की है लेकिन 34 महीने के संघर्ष के दौरान मानवाधिकार उल्लंघन के आरोपों से इनकार किया है.

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