- मेडिकल कॉलेज में स्टोर की पर्ची पर लिखी जा रही दवाएं

- खतौली रेल हादसे के घायलों के परिजन हो रहे परेशान

- प्राइवेट मेडिकल स्टोर से दवाएं लेकर आ रहे लोग

- रेलवे और स्वास्थ्य विभाग के फ्री इलाज के दावे हुए बेमानी

आई शाकिंग

मेरठ। पूरे जनपद को संभाल रहे लाला लाजपत राय मेमोरियल मेडिकल कॉलेज में डॉक्टर्स की मनमानी के किस्से लगातार सामने आ रहे हैं। हालत यह है कि डॉक्टर्स का बाहर से महंगी दवाएं लिखने का खेल खुलेआम चल रहा है। गजब यह है कि इन दवाओं को मंगाने के लिए डॉक्टर्स एसवीबीपी चिकित्सालय की पर्ची नहीं बल्कि प्राइवेट मेडिकल स्टोर की पर्ची का इस्तेमाल कर रहे हैं। जिससे मरीजों और उनके तीमारदारों को परेशानी का सामना करना पड़ता है।

खर्चा झेल रहे तीमारदार

बीते दिनों खतौली के रेल हादसे में घायल मरीजों को मेडिकल कॉलेज के आईसीयू में एडमिट कराए गए हैं। तीमारदारों का कहना है कि इलाज का खर्च उन्हें ही कराना पड़ रहा है। ऐसे में रेलवे और स्वास्थ्य विभाग के फ्री इलाज के दावे बेमानी हो गए है। डॉक्टर्स तीमारदारों से ही महंगी दवाएं मंगवा रहे हैं। स्थिति यह है कि दवाएं मंगवाने के लिए प्राइवेट पर्चो का इस्तेमाल किया जा रहा है।

बाहर से ले रहे दवाएं

मेडिकल कॉलेज में मरीजों को फ्री दवाएं दी जाती है। आलम यह है कि मरीजों को फ्री तो दूर सस्ती दवाएं तक मयस्सर नहीं हो पा रही हैं। आईसीयू में भर्ती 70 वर्षीय ज्ञासो देवी रेल हादसे में गंभीर रुप ये घायल हो गई थी। तीन दिन से मेडिकल कॉलेज के आईसीयू में वेंटिलेटर पर हैं। तीमारदारों ने बताया कि मरीज के लिए दवाएं बाहर से लेकर आ रहे हैं। एक बार में 15 सौ रूपये का इंजेक्शन डॉक्टर मंगवा रहे हैं.इसके लिए अपनी जेब से ही पैसा देना पड़ रहा है। कुछ ऐसा ही हाल अन्य मरीजों का भी है। तीमारदारों के मुताबिक अधिकतर दवाएं या तो प्लेन पर्चे पर लिख दी जा रही है या प्राइवेट मेडिकल स्टोर से पर्चे पर ही बाहर की महंगी दवाएं लिख रहे हैं।

वर्जन

मेरी मां यहां आइसीयू में एडमिट हैं। हादसे के तीन बाद मां के हाथ की पट्टी करवाई गई। यहां भी हमें अपनी जेब से दवाएं लानी पड़ रही है।

-वीर सिंह, तीमारदार

पर्चा तो पता नहीं। बस डॉक्टर पर्ची पर देकर कह देते हैं कि इस जगह से दवाएं ले आओ।

-सावित्री, तीमारदार

सभी दवाएं बाहर से लानी पड़ती है। जो दवाएं डॉक्टर लिखते हैं उसके बारे में बता देते हैं कि कहां से लानी हैं। मजबूरी में लानी पड़ती है।

-कविता, तीमारदार

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ऑफिशियल कमेंट

इस बारे में मुझे कोई जानकारी नहीं हैं। अगर कोई प्राइवेट पर्ची पर दवा लिख रहा है तो यह सरासर गलत है। इसकी जांच करवाई जाएगी।

-डॉ। कीर्ति दुबे, प्रिंसिपल, मेडिकल कॉलेज

प्राइवेट पर्ची पर दवा लिखी ही नहीं जा सकती। यह नियमों के खिलाफ है। अगर कोई डॉक्टर ऐसा कर रहा है तो उस पर कार्रवाई बनती है।

-डॉ। सचिन सिंह, एमएस, मेडिकल कालेज