- PM के दौरे और अधिकारियों के फेरबदल से रामनगर में जय गुरुदेव के कार्यक्रम के दौरान हुई भगदड़ की जांच में आई रुकावट

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रामनगर में क्भ् अक्टूबर को आयोजित जयगुरुदेव के कार्यक्रम के दौरान हुई भगदड़ में ख्भ् लोगों की मौत के मामले की जांच पीएम मोदी के दौरे और नये अधिकारियों के आने के चक्कर में बुरी तरह से फंस गई है। हालत यह है कि घटना के दस दिन बीत जाने के बाद भी अब तक मामले में आरोपी बनाये गए कार्यक्रम के आयोजकों की न तो गिरफ्तारी हुई है और न ही विवेचना के दौरान किसी नये को आरोपी बनाया गया है। जिसके बाद ये सवाल उठने लगा है कि क्या ख्भ् लोगों की जान इतनी सस्ती थी जो सिर्फ जांच की बात कहकर मामले को रफा दफा किया जा रहा है।

पॉलिटिकल प्रेशर तो नहीं

दरअसल क्भ् अक्टूबर को राजघाट पुल पर हुई भगदड़ में ख्भ् लोगों की मौत के बाद मामले की जांच सीधे मुख्यमंत्री ने कमिश्नर को सौंपी थी। कमिश्नर लेवल से जांच शुरू तो हुई और आयोजक समेत पांच पर मुकदमा भी हुआ लेकिन इस प्रॉसेस के बाद पीएम मोदी के कार्यक्रम में सभी अधिकारी ऐसे बिजी हुए कि इस घटना की जांच को हर कोई भूल ही गया। वहीं घटना के बाद पुराने अधिकारियों के तबादले और नयों के आने के बाद शहर को समझने के चक्कर में भी मामले की जांच अटक गई है। वहीं लोगों का कहना है कि जांच रुकी नहीं बल्कि रुकवाई गई है। क्योंकि जयगुरुदेव के शिष्य पंकज महाराज का सपा में कई बड़े नेताओं से नजदीकी है। जिसके कारण अपने लोगों की गिरफ्तारी तक रुकवाकर पंकज महाराज भी रिलेक्स होकर अपने आश्रम में बैठे हैं और घटना में पांच लोगों पर गैरइरादतन हत्या का मुकदमा दर्ज होने के बाद कोई भी आरोपी अब तक पुलिस के हत्थे नहीं चढ़ा है।

सुस्त है चाल

- डोमरी में था समागम

- समागम में तीन से चार हजार लोगों के आने की ली गई थी परमिशन

- जबकि जुटे थे दो से तीन लाख लोग

- इतनी भीड़ जुटने पर क्भ् अक्टूबर को राजघाट पुल पर मची थी भगदड़

- घटना में ख्भ् लोगों की हुई थी मौत

- जबकि छह थे घायल

- प्रशासन ने आयोजकों पर झूठ बोलकर परमिशन लेने का लगाया आरोप

- इसके बाद आयोजक समेत पूर्व एसडीएम पर भी दर्ज हुआ मुकदमा

- लेकिन क्0 दिन बीत जाने के बाद भी न हुई कोई गिरफ्तारी न विवेचना में एफआईआर में जुड़ा कोई नया नाम