क्कन्ञ्जहृन् ष्टढ्ढञ्जङ्घ : 290 स्टूडेंट्स। 7 क्लासरूम। 3 सबजेक्ट में टीचर नहीं। और बच्चे क्लास 1 से 8 तक के। इतना ही नहीं इन बच्चों को खेलने के लिए न तो खेल का मैदान है और न ही किचन, जहां उनके लिए मिड डे मिल बन सके। यह हाल है मिडिल स्कूल बबुआगंज का। अंदाजा लगाया जा सकता है कि यहां की व्यवस्था कैसी होगी और शिक्षा का स्तर क्या होगा?

- और भी हैं मुश्किलें

प्रिंसिपल धर्मेद्र कुमार सुधांशु बताते हैं कि स्कूल में लंबे समय से कमरे की कमी है। एक कमरे में टूटा हुआ बेंच और डेस्क है तो एक कमरे का इस्तेमाल ऑफिस और स्टोर के रूप में किया जाता है। इसके बाद 7 कमरे बच जाते हैं जिसमें एक से आठ तक के छात्र-छात्राओं को पढ़ाया जाता है। वर्तमान में 10 टीचर हैं। इसमें भी दो शिक्षिका रानी लारेंस और वंदना कुमारी की पोस्टिंग निशांत गृह में है।

-न क्लर्क, न आदेशपाल

सुधांशु बताते हैं कि हालत यह है कि प्रिंसिपल के रूप में मुझे ऑफिस वर्क भी निबटाना होता है। कारण है कि कोई क्लर्क नहीं है। इंग्लिश, मैथ और संस्कृत के टीचर की लंबे समय से कमी है। इससे छात्रों की पढ़ाई प्रभावित हो रही है। एमडीएम बनाने के लिए किचन तक नहीं है। आदेशपाल नहीं है। सफाई कर्मी के नहीं होने से रसोइया ही स्कूल की सफाई कर देती हैं। फायर फाइटिंग और फ‌र्स्ट ऐड की कौन पूछे। शौचालय की सुविधा है, मगर पीने के पानी की नहीं है।

कई बार लोहा मनवाया

स्टूडेंट्स का कहना है कि स्कूल के पास खेल का मैदान तक नहीं है। खेल या म्यूजिक टीचर भी नहीं हैं। इसके बावजूद जब कभी भी खेलों का आयोजन किया जाता है यहां के छात्र संकुल स्तर पर विभिन्न खेलों में अपना लोहा मनवाते रहे हैं। लेकिन ब्लॉक लेवल पर नहीं जा सके।

स्कूल में कमरे, टीचर, खेल का मैदान जैसी कई कमियां हैं। इस कारण से एडमिशन भी सोच-समझ कर लेना पड़ता है। रही बात टीचरों को तो उन्हें खाना बनाने के काम से मुक्त कर दिया जाए तो वे पढ़ने-पढ़ाने पर ध्यान दे सकेंगे।

धर्मेन्द्र कुमार सुधांशु, प्रिंसिपल, मवि बबुआगंज