JAMSHEDPUR: झारखंड में कॉलेज के शिक्षकों को अब तक पांचवें वेतनमान का पूर्ण एरियर तक नहीं मिला है। पांचवे वेतनमान का ह्यएरियर 0क्-0क्-9म् से फ्क्-0फ्-ख्000 तक मिलना था, लेकिन यह अभी तक झारखंड को अप्राप्त है। सिर्फ यही नहीं छठा वेतनमान जो 0क्-0क्-ख्00म् से प्रभावी है, उसमें फ्क्-0फ्-ख्0क्0 तक की बढ़ी हुई राशि में से मात्र फ्ब् प्रतिशत राशि का भुगतान ही वर्ष ख्0क्ब् में हुआ है। शेष राशि का भुगतान अब तक नहीं हुआ है। इससे संबंधित ज्ञापन फेडरेशन ऑफ यूनिवर्सिटी टीचर्स एसोसिएशंस (फुटाज) के पदाधिकारियों व सदस्यों ने सातवें वेतन आयोग की पुनरीक्षण समिति के अध्यक्ष प्रो। वीएस चौहान को कोलकाता में सौंपा है। प्रोफेसर चौहान जाधवपुर विश्वविद्यालय में ईस्ट जोन कंसल्टेंसी की बैठक में भाग लेने पहुंचे थे।

स्पष्ट नियम का अभाव

सौंपे गये ज्ञापन में कहा गया है वर्षो से कार्यरत शिक्षक स्पष्ट नियम-परिनियम के अभाव में अथवा इसे समय पर नहीं बनाये जाने के कारण प्रोन्नति की समस्या से जूझ रहे हैं। मालूम हो कि प्रोन्नति से संबंधी मुद्दे शिक्षकों की सेवा शर्त से जुड़े रहे हैं। इस कारण प्रोन्नति की प्रक्रिया को सरल बनाने की मांग की गई है। ज्ञापन में अर्जित अवकाशों के अलावा शहरी परिवहन भत्ता की बात भी उठाई गई है। बताया गया कि झारखंड में तो इसे लागू ही नहीं किया गया है, जबकि छठे वेतनमान में इसका प्रावधान है। मांग की गई है कि शहरी परिवहन भत्ता का नाम बदलकर सिर्फ परिवहन भत्ता किया जाय, ताकि इसका लाभ गैर शहरी क्षेत्र के शिक्षकों को भी मिल सके। ज्ञापन सौंपते समय फुटाज के महासचिव डॉ। मिथिलेश व मुख्य संरक्षक डॉ विजय कुमार के अलावा कई सदस्य उपस्थित थे।

सातवें वेतनमान के संदर्भ में दिए गए सुझाव

-विश्वविद्यालय शिक्षकों के देय संभावित वेतनमान में मूल वेतन, एजीपी का ख्.8भ् गुणा से लेकर फ्.ख्भ् गुणा के अनुपात में न्यूनतम बढ़ोत्तरी की अनुशंसा की जाये।

-अविवाहित शिक्षकों के आश्रितों को भी पारिवारिक पेंशन का लाभ देने की अनुशंसा की जाए, विशेष रूप से दिव्यांग शिक्षकों को। इस बाबत परिवार की परिभाषा में संशोधन का सुझाव विश्वविद्यालय अनुदान आयोग और भारत सरकार को दिया जाये।

-शोध कार्यो को प्रोत्साहित करने के लिए पीएचड़ी के अलावा डी लिट, डीएससी की उपाधि प्राप्त करने वाले शिक्षकों को भी अतिरिक्त लाभ दिया जाये।