शारीरिक व मानसिक दक्षता होगी चयन का आधार

कुलपति की अध्यक्षता वाली समिति के अनुमोदन की नहीं होगी जरूरत

अंडर ग्रेजुएट व पोस्ट ग्रेजुएट कॉलेजेस में होनी है रिटायर्ड टीचर्स की नियुक्ति

ALLAHABAD: स्टेट के सहायता प्राप्त अशासकीय अंडर ग्रेजुएट एवं पोस्ट ग्रेजुएट डिग्री कॉलेजेस में रिटायर्ड टीचर्स का एप्वाइंटमेंट होना है। लेकिन नए सेशन में होने वाली इन नियुक्तियों में शामिल रिटायर्ड टीचर्स को कई अहम पड़ाव भी पार करने होंगे। जिसे क्रास करने के बाद ही उनकी राह आसान हो पाएगी। हालांकि, प्रदेश सरकार ने उनकी नियुक्ति की राह और आसान बनाने के भी दिशा-निर्देश जारी किए हैं।

साढ़े तीन हजार से ज्यादा पद हैं खाली

बता दें कि स्टेट गवर्नमेंट ने कुछ माह पहले ही सहायता प्राप्त अशासकीय डिग्री कॉलेजेस में टीचर्स की भारी कमी को देखते हुए रिटायर्ड टीचर्स के एप्वाइंटमेंट का आर्डर जारी किया था, जिसके बाद मानदेय के आधार पर होने वाले एप्वाइंटमेंट से जुड़ा प्रॉसेस भी शुरू हो चुका है। अभी पूरे प्रदेश में शिक्षकों के साढ़े तीन हजार से ज्यादा पद रिक्त हैं। प्रदेश सरकार को यह निर्णय हायर एजुकेशन सर्विस कमीशन से नियुक्तियां न हो पाने के कारण लेना पड़ा था।

तो रह जाएंगे वंचित

उधर, रिटायर्ड टीचर्स की भर्ती से पहले स्टेट गवर्नमेंट ने एक नया डायरेक्शन जारी किया है, जिसमें कहा गया है कि सेवानिवृत्त अध्यापकों की भर्ती का आधार उनकी शारीरिक और मानसिक सक्षमता को माना जाए। इसके अलावा यह भी देखा जाए कि उनके पूरे सेवा काल के दौरान आचरण कैसा रहा है। मतलब साफ है कि शारीरिक और मानसिक रूप से अपनी सक्षमता का प्रमाण न दे पाने वाले और दूषित आचरण के दोषी टीचर्स एप्वाइंटमेंट से वंचित रह जाएंगे।

लम्बी सेवा अवधि ही है पर्याप्त

बहरहाल, एक ओर जहां सेवानिवृत्त अध्यापकों की नियुक्ति के लिए कई बैरियर लगाए गए हैं। वहीं उनके लिए बड़ी राहत की बात यह है कि उन्हें सेलेक्शन कमेटी के सामने अपनी योग्यता सिद्ध करने की जरूरत नहीं होगी। इस बाबत उत्तर प्रदेश गवर्नमेंट के विशेष सचिव मुरली मनोहर लाल की ओर से डायरेक्टर हायर एजुकेशन इलाहाबाद के नाम जारी किए गए पत्र में कहा गया है कि चूंकि, सेवानिवृत्त अध्यापक पहले ही लम्बी सेवा अवधि तक अपनी सेवाएं दे चुके होते हैं। ऐसे में उनके अनुभव को ही उनके चयन का अहम पैमाना माना जाए।

क्षेत्रीय उच्च शिक्षा अधिकारियों की भी भूमिका तय

यही नहीं विशेष सचिव मुरली मनोहर लाल ने तेजी से चयन प्रक्रिया को निपटाने के लिए कहा है कि चयन के लिए विश्वविद्यालयों से संबंधित महाविद्यालयों को कुलपति की अध्यक्षता में गठित समिति के अनुमोदन की आवश्यकता नहीं होगी। सेलेक्शन के लिए राजकीय स्नातकोत्तर स्तर के प्राचार्य की अध्यक्षता में गठित चयन समिति के अनुमोदन के अलावा क्षेत्रीय उच्च शिक्षा अधिकारियों की ही स्वीकृति की जरूरत होगी। यह भी स्पष्ट निर्देश दिया गया है कि यदि संबंधित जनपद और मंडल में राजकीय स्नातकोत्तर स्तर के प्रिंसिपल न मिलें तो निकट जनपद के प्राचार्य की अध्यक्षता में कमेटी बनाई जा सकती है।