तीन रुपये तक मुआवजा

भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) के खिलाफ दरसंचार कंपनियां एकजुट हो गई हैं। उसके द्वारा कॉल ड्रॉप पर यूजर्स को मुआवजा देने की बात टेलीकॉम कंपनियों को रास नहीं आ रही है। टेलीकॉम कंपनियों का कहना है कि भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) उन पर जबर्दस्ती दबाव बना रही है। किसी नेटवर्क को पूरी तरह कॉल ड्रॉप से मुक्त करना संभव नहीं है। इस संबंध में दूरसंचार उद्योग के संगठनों सेल्युलर आपरेटर्स एसोसिएशन आफ इंडिया तथा ऑस्पी ने ट्राई को एक संयुक्त पत्र लिखा है। जिसमें उनका कहना है ट्राई के इस नए नियम के मुताबिक कॉल ड्रॉप पर एक उपभोक्ता को एक दिन में अधिकतम तीन रुपये तक मुआवजा दिया जाए। इससे तो टेलीकॉम कंपिनयां नुकसान में आ जाएंगी। यह उनके लिए काफी मुसीबत भरा कदम होगा।

खेल करने से नहीं चूकेंगे

इसके साथ ही टेलीकॉम कंपनियों का यह भी कहना है कि इससे कॉल ड्रॉप की समस्या कम होने के बजाय और ज्यादा बढ़ेगी। प्रतिदिन तीन रुपये के मुआवजे के लिए उपभोक्ता भी इसमें खेल करने से नहीं चूकेंगे। ऐसे में अगर भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) इस नियम में बदलाव नहीं करती है कि  मुआवजे की इस लागत की वसूली के लिए आपरेटरों को दरों में बढ़ोतरी करना मजबूरी होगी। जिसका असर उपभोक्ताओं पर ही सीधे पड़ेगा।  उपभोक्ताओं को दूरसंचार सेवाओं की खरीद पर अधिक खर्च की भरपाई करनी पड़ेगी। गौरतलब है कि हाल ही में भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) कॉल ड्रॉप को लेकर टेलीकॉम कंपिनयों पर शिकंजा कसा था। ट्राई ने ऐलान किया था कि जनवरी 2016 पर कॉल ड्रॉप पर कंपनियां यूजर्स को 1 रुपये का मुआवजा देंगी।

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