-सोमवार को सबसे बड़ी रात और छोटा रहा दिन, न्यूनतम तापमान 4.6 डिग्री तक पहुंचा

-दोपहर तक रहा कोहरे का असर, शाम पांच बजे ही छा गया अंधेरा

ALLAHABAD: अबकी बार की ठंड सारे रिकार्ड तोड़ने के मूड में है। वेदर एक्सप‌र्ट्स के मुताबिक हालात यूं ही रहे पारा जीरो डिग्री सेल्सियस तक भी जा सकता है। दिसम्बर में लम्बे अरसे बाद इतनी गलन महसूस की जा रही है। सोमवार को शाम के वक्त पांच बजे से ही अंधेरा छाना शुरू हो गया। टेम्परेचर भी न्यूनतम स्तर पर पहुंच गया है। मंडे को मिनिमम टेम्परेचर ब्.म् और मैक्सिमम टेम्परेचर क्क्.म् रिकार्ड किया गया।

अगल बगल के मकान भी नहीं दिखे

मंडे मार्निग नजारा कुछ अलग था। उनके लिए भी जो जल्दी उठे थे और उनके लिए भी जो देर से उठे थे। सिटी में सुबह क्क् बजे तक घना कोहरा छाया रहा। यमुनापार और गंगापार के ग्रामीण इलाकों का हाल तो और भी खराब रहा। यहां दोपहर क्ख् बजे तक कोहरे की चादर तनी नजर आई। हालात ऐसे थे कि अगल-बगल के मकान तक देखना मुश्किल था। यही नहीं छत की टंकी से लेकर बोतल का पानी तक लोगों को बर्फ की सरीखा लगा।

शाम को सड़क पर पसरा सन्नाटा

इसकी शुरुआत रविवार और सोमवार की रात से ही हो चुकी थी। घने कोहरे के चलते शास्त्री ब्रिज, नए पुल और पुराने यमुना पुल पर आवागमन के साधन जहां के तहां खड़े हो गए। पूरी रात और सुबह तक गांव से शहर की ओर आने वालों के कदम और वाहन अपनी ही जगह पर ठिठके नजर आए। यही हाल सोमवार की शाम और रात को भी देखने को मिला। देर शाम से चलने वाली बर्फीली हवाओं ने लोगों को अपनी आगोश में ले लिया। यही कारण रहा कि सूर्यास्त के बाद सड़कों पर सन्नाटा पसर गया।

बाइक सवारों की हालत पतली

हाड़ कंपा देने वाली गलन का सीधा असर आम जनजीवन पर देखने को मिला। सड़कों पर जहां लोग खुद की व्यवस्था से अलाव की आग तापते नजर आए। बाइक सवार लोगों के लिए तो दुपहिया वाहन चलाना खासा मुश्किल भरा रहा। पूरे दिन लोगों की जुबान पर ठंडी की ही चर्चा चढ़ी रही। हालांकि, बच्चों के लिए यह राहत देने वाली बात रही कि जिला प्रशासन ने समय रहते ही स्कूल्स को बंद करने का निर्देश जारी कर दिया था।

अब दिन बड़ा रात छोटी

ख्ख् दिसम्बर सूर्य के दक्षिणायन होने का अंतिम दिन होता है

-सूर्य के तिरक्षे होने के कारण उसकी किरणें पृथ्वी तक नहीं पहुंचतीं

-पूरे उत्तर भारत में टेम्परेचर अपने न्यूनतम स्तर पर

-इस दिन सबसे बड़ी रात और सबसे छोटा दिन होता है

-आज के बाद से दिन बड़ा और रातें छोटी होती जाएंगी

-प्रोफेसर बीएन मिश्रा

एक्स। एचओडी, ज्योग्राफी डिपार्टमेंट, इलाहाबाद यूनिवर्सिटी

चक्रवात परिवार ने जमाए पांव

इलाहाबाद यूनिवर्सिटी में ज्योग्राफी डिपार्टमेंट के डॉ। एसएस ओझा ने कहा कि दिसम्बर में पारा तो गिरता है और घना कोहरा भी होता है। लेकिन, इतनी गलन यदा कदा ही देखने को मिली है। अभी से जनवरी जैसी गलन शुरू हो गई है। डॉ। ओझा ने कड़ाके की ठंड पड़ने की एक और वजह बताते हुए कहा कि यह आन्ध्र महासागर से बारी-बारी से बनकर आने वाले चक्रवात का असर है। इसे चक्रवात परिवार भी कहा जाता है। कमजोर चक्रवात तो आकर चला जाता है। लेकिन, पिछले दिनों पश्चिमी हिमालय में उतरा पक्षुआ विछोभ इतना ताकतवर है कि वह पूरी मजबूती से टिका हुआ है। इसके अगले कुछ दिनों तक छंटने के आसार भी नहीं हैं। ऐसे में पारा शून्य तक भी चला जाए तो कोई बड़ी बात नहीं होनी चाहिए।