जानिये क्या है तीनो रूपों का महत्व
महंत राकेश पूरी ने बताया कि बाल रूप बटुक को टाफी, बिस्कुट, के साथ फल पसंद होता है. सुबह सत रूप में बाबा बटुक भैरव को भोग इसी का लगाया जाता है. दोपहर को रज रूप में बाबा के वस्त्र को बदल लिया जाता है. भोग स्वरुप चावल दाल सब्जी अर्पित किया जाता है. बाबा का अलौकिक रूप संध्या बाद भैरव रूप में होता है. इस समय बाबा को मदिरा के साथ मीट, मछली, अंडे का भोग लगाया जाता है. बाबा तामसी रूप में होते है इस लिये तामसी चीजो का भोग लगाया जाता है. विशेष अनुष्ठान के लिये शराब (मदिरा )से खप्पड़ भरा जाता है. मदिरा स्नान कराया जाता है. हवन कुंड की अग्नि को स्वत: प्रज्वलित किया जाता है.

 

क्या कहते है श्रद्धालु
संजय ने बताया कि भैरव कि अराधना में तामसी चीजो को अर्पित किया जाता है, अद्भुत है. बाबा का दर्शन करने मात्र से जीवन के हर दुखों का अंत होता है. यही वजह है कि भक्त अपनी श्रद्धा के अनुसार बाबा को चीजों का भोग लगाते हैं. कोई बाबा को मदिरा चढ़ाता है तो कोई टॉफी और बिस्कुट. टॉफी बिस्कुट चढ़ाने के पीछे की वजह है कि बाबा यहां बटुक यानि बाल रुप में हैं और बच्चे को छोटी बड़ी बातों पर नाराजगी से बचाने के लिए हर कोई परेशान रहता है. इसलिए यहां भी भक्त बाबा को अपने अपने तरीकों से मनाने के लिए टॉफी, बिस्कुट, गुब्बारों से लेकर मदिरा तक का भोग लगाते हैं.

यहां टॉफी के साथ मदिरा पान करते हैं बटुक बाबा

वाराणसी से कैमरामैन अंचल अग्रवाल के साथ गोपाल मिश्र Inextlive के लिए.

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