कैसे तैयार होते हैं इंडियन आर्मी के पैराट्रूपर्स जिन्‍होंने दिया एलओसी पार पाक को उड़ी हमले का जवाब

पैराट्रूपर्स के रूप में रोल अदा करना काफी कठिन है। इसमें शामिल होने वाले रेजिमेंट को फिजिकल फिट होना जरूरी होता है। इसके अलावा मानसिक रूप से मजबूत, बुद्धिमान, बेहद प्रेरित, परिचालन कार्यों  में निर्भीक होने के गुण आवश्यक होते हैं। ये पैराट्रूपर्स रात के अंधेरे में भी दुश्मन को पहचानकर उनका खात्मा करने के लिए जाने जाते हैं।

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पैरा मतलब स्पेशल फोर्स। इसमें शामिल होने के लिए सबसे पहले रेजीमेंट्स को पैराट्रूपर्स के लिए निर्धारित पहले चरण की प्रक्रियाओं को पूरा करना पड़ता है इसके बाद जो भी इसमें सेलेक्ट होते हैं उन्हें बाद में स्पेशल फोर्स की आगे की प्रक्रियाओं से गुजरना पड़ता है। सभी इंडियन पैराट्रूपर्स यहां पर एक स्वयं सेवक के रूप में होते हैं।

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यहां पर इन्हें पहले चक्र में तीन महीने की कड़ी परीक्षा से गुजरना पड़ता है। जिसमें कई चरणों में शारीरिक और मानसिक परीक्षण होते हैं। तीन महीने के इस कठिन दौर के बाद इन पैराट्रूपर्स को पैराशूट ट्रेनिंग सेंटर (पीटीएस) आगरा भेजा जाता है। यहां पर जहां पर ट्रेनी को एक रात में 5 पैराजंपिग करनी होती है।

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इसके बाद जो रेजीमेंट्स इन सभी प्रकियाओं को अच्छे से पूरा करता उसे अगले तीन महीने की ट्रेनिंग के लिए भेजा जाता है। कुल मिलाकर एक पैराट्रूपर्स को पूरे 6 महीने की ट्रेनिंग से गुजरना होता है। ट्रेनिंग के दौरान इन पैराट्रूपर्स को  हवा में, पानी में और जंगल में घात लगाकर मारने की तकनीकि सिखाई जाती है।

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पैराट्रूपर्स का हथियार के रूप में दो पैराशूट होते हैं। जिनमें एक पैराशूट का वजन 15 किलोग्राम और दूसरे रिजर्व पैराशूट का वजन 5 किलोग्राम होता है।  इनका इस्तेमाल किसी ऊंची बिल्डिंग के अन्दर छुपे आतंकियों को खत्म करने के लिए होता है। पैराट्रूपर्स को हर ऑपरेशन से पहले खुफिया सूचना लेना भी सिखाया जाता है।

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नई सदी की शुरुआत में पैराशूट रेजीमेंट दो भागों में तैयार किए गए। जिसमें एक भाग में पैराशूट  3, 4, 5, 6 और 7पारंपरिक पैराशूट बल हुआ। वहीं दूसरे में 1 पैरा (एस एफ), 2 पैरा (एस एफ), 9 पैरा (एस एफ), 10 पैरा (एस एफ) और 21 वीं पैरा (एस एफ) यानी कि पांच पैराशूट स्पेशल फोर्स बनी।  

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जिसमें 1 पैरा (एसएफ) सीक्रेट और ओवर ऑपरेशन के लिए प्रशिक्षित होता है। 2, 3 और 4 पैरा (एसएफएस) शहरी युद्ध, अपरंपरागत युद्ध, विदेशी आंतरिक सुरक्षा, विशेष टोही आदि के प्रशिक्षित किया जाता है। वहीं 5, 6, 7 और 8 पैरा हवाई इकाइयों के रूप में होते हैं। 9 पैरा (एस एफ) पहाड़ों पर युद्ध, शहरी जंगल पार वाले इलाकों और रेगिस्तान युद्ध के लिए प्रशिक्षित किए जाते हैं।

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10 पैरा (एस एफ) सबसे मुश्किल बटालियन होती है। यह सिर्फ रेगिस्तान युद्ध और उसके पार के सभी युद्धों के लिए प्रशिक्षित की जाती है। 21 पैरा (एस एफ) स्थायी रूप से उत्तर-पूर्व में स्थित है। इसे आतंकवाद विरोधी, जंगल युद्ध और गुरिल्ला युद्ध के लिए तैयार किया जाता है। इसके अलावा धोखे और चोरी छिपकर होने वाले हमलों से निपटने के लिए तैयार किया जाता है।

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पैराशूट रेजिमेंट ने दूसरे देशों में भी अपनी अच्छी भूमिका अदा की है। अंतरराष्ट्रीय शांति के लिए कोरिया, गाजा, और सिएरा लियोन जैसे देशों में पैराशूट इकाइयों को भेजा गया है। पैराट्रूपर्स को जर्मन अफ्रीकी कोर के सैनिकों द्वारा अफ्रीका में एक लड़ाई के दौरान रेड डेविल्स नाम दिया गया। पैराट्रूपर्स अपने पहनावे में लाल रंग का इस्तेमाल करते थे। आज यह एक ट्रेड मार्क के रूप में पूरी दुनिया के पैराट्रूपर्स की पहचान बन गया।

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पैराट्रूपर्स के लिए अक्सर यह कहा जाता है कि इसमें शामिल होने वाले अपमान, थकावट, मानसिक और शारीरिक यातना से गुजरते हैं। एक रिपोर्ट में इसका खुलासा हुआ है कि इनकी डेथ के कारण भी सबसे अधिक यही होते हैं। यहां पर संघर्ष बहुत ज्यादा है। इन्हें चौबीस घंटे से ज्यादा जागना पड़ता है।

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