मुंबई धमाकों के एक हफ्ते बाद भी इंटेलीजेंस एजेंसीज किसी नतीजे पर पहुंचती नजर नहीं आ रही हैं. ऐसे में बुलेट 313 ने उनकी गुत्थी को सुलझाने की बजाए उलझाने का काम कर दिया है. शक की सुई इसके आसपास ठहर जाती है. बुलेट 313 वो नाम है जिसके मुंबई धमाकों में शामिल होने की बातें दबी जुबान से इंटेलीजेंस और इनवेस्टिगेटिंग एजेंसीज कर रही हैं. यह कोई नई ऑर्गनाइजेशन नहीं बल्कि इंडियन मुजाहिदीन का ही एक अंडरकवर आउटफिट है. मुंबई धमाकों से पहले शायद ही इसके बारे में सुना गया था.

Brigade 313 की तर्ज पर 

बुलेट 313 को आईएम ने ब्रिगेड 313 की तर्ज पर ही बनाया है. ब्रिगेड 313 वो खतरनाक ऑर्गनाइजेशन है जिसे अल कायदा के ऑपरेटिव इलियास कश्मीरी ने बनाया था. इसी से इंस्पायर होकर बुलेट 313 को आईएम ने बनाया. आईबी के सोर्सेज के मुताबिक बुलेट 313 देश में एक बड़ा नेटवर्क बना चुकी है. आईबी सोर्सेज का कहना है कि बुलेट 313 को पिछले साल तैयार किया गया था ताकि उसे देश में नए धमाकों की जिम्मेदारी दी जा सके.

The masterminds

इंडियन मुजाहिदीन में मीडिया विंग के अलावा लॉजिस्टिक्स, ब्लास्ट की प्लानिंग और एग्जीक्यूशन के लिए भी एक टीम बनाई गई थी. 2008 में आईएम को एक बड़ा झटका लगा जब इंटेलीजेंस एजेंसीज ने उसके 75 लोगों को अरेस्ट कर लिया. इन लोगों को अहमदाबाद और दिल्ली ब्लास्ट्स के सिलसिले में अरेस्ट किया गया था. यहां से उसने तय किया कि अब वो टुकड़ों में अपनी साजिश को अंजाम देगी. तभी समीर, शकील और हाकिम निजामुद्दीन ने बुलेट 313 को बनाया. यह तीनों इस समय कहां हैं कोई नहीं जानता. कहा जाता है कि आईएम और लश्कर ने इंटेलीजेंस एजेंसीज को मिसगाइड करने के लिए एक नई टीम बुलेट 313 को बनाया.

पाक नहीं बंग्लादेश में training 

बुलेट 313 के सभी कैडर्स को ट्रेनिंग के लिए पाकिस्तान के बजाए बंग्लादेश भेजा गया था. 26/11 के बाद से पाक में हालात बदल गए हैं. इस देश पर अंतर्राष्ट्रीय दबाव के अलावा चौकसी भी पहले से ज्यादा बढ़ा दी गई थी. ऐसे में ऑपरेटिव्स ने पाक की जगह बांग्लादेश को सुरक्षित ठिकाना समझा. इन कैडर्स को बांग्लादेश बेस्ड टेररिस्ट ऑर्गनाइजेशन हरकत-उल-जेहाद की तरफ से ट्रेनिंग दी गई.

Modus operandi का फर्क

बुलेट 313 पर इंटेलीजेंस एजेंसी के शक की सुई इसलिए भी टिक गई है क्योंकि अभी तक किसी ने भी इन हमलों की जिम्मेदारी नहीं ली है. आईबी सोर्सेज के मुताबिक आईएम हर बार धमाकों से पहले मेल के जरिए ब्लास्ट की धमकी देता था. वहीं 13 जुलाई से पहले और न ही बाद में इस तरह के ब्लास्ट की कोई भी मेल अभी तक एजेंसीज को हासिल नहीं हुई.

कर रहे साजिश

आईबी की मानें तो बुलेट 313 को सबसे ज्यादा सपोर्ट स्लीपर सेल से मिल रहा है. इस समय उत्तर प्रदेश में आईएम के करीब 40 स्लीपर सेल्स एक्टिव हैं. अब मध्य प्रदेश भी इस ऑर्गनाइजेशन के लिए अहम ठिकाना बनता जा रहा है. इससे पहले कर्नाटक, केरल और आंध्र प्रदेश में आईएम अपने ट्रेनिंग कैंप्स को कंडक्ट करा चुका है. यह भी पॉसिबिलटी है कि बुलेट 313 इन जगहों पर साजिश की प्लानिंग करने में लगी हो सकती है.

Operative ने किया था खुलासा

आईबी सोर्स के मुताबिक उन्होंने उत्तर प्रदेश से 2010 में आईएम के एक ऑपरेटिव की कॉल ट्रेस की थी. यह कॉल कराची से थी और इसी कॉल से उन्हें बुलेट 313 के बनने की इंफॉर्मेशन हासिल हुई. कराची में बैठा हैंडलर उस ऑपरेटिव को सजेशन दे रहा था कि वो कैसे यहां पर इस अंडरकवर आउटफिट को तैयार कर सकता है. इसके साथ ही उसने यह भी बताया कि आईएम के ऑपरेशंस लश्कर-ए-तैयबा के लिए कितने अहम हैं.

Few key points 

जब 13 जुलाई को मुंबई में ब्लास्ट्स हुए तो सबके जेहन में 13 तारीख आ गई. बुलेट 313 का 13 के सात नंबर के साथ एक खास कनेक्शन है. कुछ ऐसे  खास प्वॉइंट्स हैं जिन पर शायद ही कभी गौर किया गया था...

- 13 फरवरी 2010 को पुणे की जर्मन बेकरी में ब्लास्ट हुआ.

- बेकरी में ब्लास्ट एक मोटरबाइक के जरिए किया गया था. इस बाइक के नंबर में भी 13 नंबर मौजूद था.

- ब्लास्ट के एक सस्पेक्ट ने ब्लास्ट से पहले जो टी-शर्ट पहनी थी उस पर भी 13 नंबर लिखा था.

313 का टोटल करने पर सात आता है. अगर पिछले कुछ ब्लास्ट्स पर नजर डाली जाए तो सात के बारे में सच सामने आ जाता है. वाराणसी में ब्लास्ट सात दिसंबर को हुए. वहीं 25 मई 2010 को भी दिल्ली हाईकोर्ट के बाहर एक हल्का धमाका हुआ था. 25 का टोटल सात आता है. पिछले साल 25 सितंबर को दिल्ली में जामा मस्जिट के पास ब्लास्ट हुआ. एक बार फिर 25 का टोटल सात आता है.

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