- आखिर किसे दिए जा रहे फंडिंग के पैसे, शुरू हुई जांच

- करीब 200 लोगों पर एटीएस की निगाह, होंगी गिरफ्तारियां

तो आखिर कहां जा रही फंडिंग?
एटीएस के सामने सबसे बड़ी चुनौती यह खड़ी हो गई है कि विदेशों से फर्जी बैंक खातों में टेरर फंडिंग के जरिए रकम तो भेजी जा रही है, लेकिन आखिर यह फंडिंग खातों में आने के बाद कहां जा रही है? एटीएस इस बात का पता लगाने में जुटी है कि इस रकम का कहां और कैसे इस्तेमाल किया जा रहा है? वहीं, एटीएस सूत्रों के मुताबिक हत्थे चढ़े एजेंट्स के जरिए विदेशों से फर्जी बैंक खातों में आने वाली यह रकम यहां पनप रहे स्लीपर मॉड्यूल के लिए इस्तेमाल की जा रही है। इन पैसों से देश के अंदर आतंकी गतिविधियों को अंजाम देने के लिए उन्हें हथियार आदि मुहैया कराए जा रहे हैं।

एटीएस के रडार पर 200 से अधिक लोग
टेरर फंडिंग के मामले में अभी तो महज दस लोगों की गिरफ्तारी पर हड़कंप मचा हुआ है। लेकिन सूत्रों के मुताबिक इस काम में दस-बीस नहीं बल्कि सैकड़ों लोग शामिल हैं। इनमें शहर के कई सफेदपोश लोग भी जुड़े हैं। जिन्हें देखकर पकड़े गए नसीम बद्रर्स की तरह कभी शक तक नहीं किया जा सकता। लेकिन अब ऐसे लोगों की खैर नहीं है। एटीएस सूत्रों के मुताबिक टेरर फंडिंग के मामलों में गोरखपुर सहित अलग-अलग शहरों में करीब 200 से अधिक लोगों को एटीएस ट्रैक कर रही है। वहीं, करीब दर्जन भर से अधिक लोगों की फोन व इंटरनेट कॉल सहित सिम बॉक्स के जरिए किए जाने वाली कॉल को भी ट्रेस करने का काम एटीएस ने शुरू कर ि1दया है।

नोटबंदी के बाद शुरू हुआ था खेल
बता दें, नोटबंदी के बाद से ही पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई ने जाली नोटों के जरिए देश में होने वाली टेरर फंडिंग का नया पैंतरा अख्तियार कर लिया। एजेंट्स के जरिए कमीशन पर फर्जी बैंक खातों में टेरर फंडिंग का काम तेजी से बढ़ने लगा। हालांकि देश की सुरक्षा एजेंसियों को इसकी भनक काफी पहले ही लग चुकी थी। नेशनल एजेंसियों की मदद और इनफॉर्मेशन पर ही यूपी एटीएस के हाथ यह बड़ी सफलता लगी है

 

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