एक अख़बार में छपने वाले उनके कॉलम का इतंज़ार हज़ारों लोग करते हैं. वत्स अपनी बात चुटीले अंदाज़ में कहना पसंद करते हैं. पिछले 50 साल से वह अपने कॉलम के ज़रिए पुरुषों और महिलाओं में सेक्स को लेकर मौजूद डर-संशय को दूर कर रहे हैं.

जिस देश ने जिस्मानी रिश्तों पर दुनिया को कामसूत्र जैसा साहित्य दिया, वहां इस मसले पर  दबे छिपे बातचीत होती है. ज़्यादातर लोगों में सेक्स से संबंधित आधी अधूरी जानकारी होती है और वे अपनी यौन समस्याओं का इलाज भी नहीं कराते.

90 साल के सेक्स गुरु के बारे में पढ़िए विस्तार से

लिहाज़ा 90 साल के वत्स आम लोगों को  सेक्स से जुड़े मसलों पर शिक्षित करने का काम कर रहे हैं. वत्स कहते हैं, "सेक्स आनंददायक चीज़ है, पर कुछ लेखक भारी-भरकम शब्दों का इस्तेमाल कर इसे मेडिकल साइंस से जुड़ा गंभीर विषय बना लेते हैं."

चुटीले जवाब

उनके जवाब बहुत छोटे, कटु और प्रासंगिक होते हैं. कभी-कभार ही ऐसा होता है जब उनके जवाब पढ़ने पर हंसी न आए.

वत्स कहते हैं, "मैं लोगों से उनकी ज़ुबान में बात करता हूं. वे इसे आसानी से स्वीकार करते हैं. आख़िरकार जो आदमी आपसे बात कर रहा है, वह आपमें से ही एक है."

90 साल के हैं भारत सबसे बड़े सेक्स गुरू

मसलन उनसे पूछा गया एक सवाल और उसका जवाब देखिए.

सवाल: दो दिन पहले, मैंने अपनी महिला दोस्त के साथ असुरक्षित यौन संबंध बनाए. गर्भ से बचने के लिए हमने आई-पिल ली, लेकिन जोश-जोश में महिला दोस्त की जगह मैं उस गोली को गटक गया. क्या इससे मुझे किसी तरह का नुक़सान होगा?

वत्स का जवाब: कृपया अगली बार कंडोम का इस्तेमाल करें और ध्यान रहे कि आप इसे भी न निगल लें.

हिचक नहीं

एक और सवाल की बानगी देखिए.

सवाल: मैंने सुना है कि एसिड गर्भ ठहरने से रोक सकते हैं. क्या मैं अपनी महिला दोस्त से संभोग के बाद उसकी योनि में कुछ बूंद नींबू या संतरे का रस डाल सकता हूं?

जवाब: क्या तुम भेलपूरी बेचते हो. यह वाहियात विचार आपके दिमाग में कहां से आया. गर्भ ठहरने से रोकने के कई सुरक्षित और आसान तरीके हैं. आप कंडोम इस्तेमाल कर सकते हैं.

वत्स को पहली बार 1960 के दशक में महिलाओं की एक पत्रिका में 'डियर डॉक्टर' कॉलम लिखने का प्रस्ताव मिला. वह लगभग 30 साल के थे और तब नए-नए डॉक्टर बने थे.

वत्स कहते हैं, "शुरुआत में बच्चों की बीमारियों और आम बीमारियों से जुड़े सवाल होते थे. बाद में यौन समस्याओं से जुड़े सवाल पूछे जाने लगे."

कुछ सवाल ऐसे भी होते थे कि जब वह छोटे थे तो उनके निकट संबंधियों ने उनके साथ यौनाचार किया, अब उन्हें डर है कि वो शादी नहीं कर पाएंगे. कई लोग तो यह भी कहते थे कि वो आत्महत्या करने की सोच रहे हैं.

उन्होंने महसूस किया कि  यौन संबंधों और समस्याओं को लेकर लोगों के बीच काफी हिचक और शर्म है और उन्हें सही सलाह की ज़रूरत है.

वत्स कहते हैं, "ये महिलाएं अपनी समस्या किसी और को नहीं बता सकती थीं. इसीलिए उन्होंने पत्रिका को अपनी समस्या लिखी. तब मैं उन्हें बताता कि घबराने की ज़रूरत नहीं है, आपके पति को पता नहीं चलेगा."

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वह मानते हैं, उन दिनों वे आज जितनी बेबाकी से जवाब नहीं दे पाते थे.

डॉक्टर वत्स के मुताबिक़ ''अधिकतर समस्याएं यौन शिक्षा की कमी के चलते आती हैं. इसलिए मैंने इसे मिशन के रूप में चुना.''

आज भी ऐसे ढेरों सवाल आते हैं जिनमें पूछा जाता है कि वे शादी करना चाहते हैं, लेकिन कैसे पता लगाएं कि लड़की कुंवारी है. इसका जवाब मैं उन्हें कुछ इस तरह देता हूं, "आप शादी मत करिए. सिर्फ़ जासूसी से यह पता लगाया जा सकता है. इसलिए शक करने वाले इस दिमाग़ से किसी बेचारी लड़की को बख्श दीजिए."

यौनशिक्षा पर ज़ोर

वत्स 90 साल की उम्र में भी मुंबई के एक अख़बार में 'आस्क द सेक्सपर्ट' कॉलम के तहत यौन समस्याओं से जुड़े सवालों के जवाब देते हैं.

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अख़बार की संपादक मीनल बघेल कहती हैं, ''जब तक हमने यह कॉलम शुरू नहीं किया था, हम 'शिश्न' और 'योनि' जैसे शब्दों का इस्तेमाल कभी-कभार ही करते थे. इसके बाद लोगों का ध्यान इस कॉलम पर गया. हालांकि सब कुछ सकारात्मक नहीं था. पत्रिका को अश्लीलता और गंदे मेल के आरोपों में मुक़दमे भी झेलने पड़े. मगर कॉलम को लोगों से इस कदर समर्थन मिल रहा था कि प्रबंधन ने इसे जारी रखा.''

वत्स का मानना है कि यौन समस्याएं अधिकतर सुनी-सुनाई बातों का नतीजा होती हैं. वह कहते हैं, "तीस साल पहले कुछ ही महिलाओं के पत्र आते थे. अब बड़ी तादाद में महिलाएं मुझसे बेहिचक सलाह लेती हैं."

वत्स स्कूलों में यौन शिक्षा के बड़े पैरोकार हैं. उनका कहना है कि इसके तरीक़े अलग हो सकते हैं.

''मसलन, आप क्लास में एक बक्सा रख दीजिए और बच्चों से कहें कि उन्हें जो सवाल पूछने हों, काग़ज पर लिखकर बक्से में डाल दें और फिर उनका जवाब दीजिए.''

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