- गनर और हथियार रखने वालों की बढ़ रही संख्या

- शासन में लंबित पड़ी हैं सैकड़ों गनर की अर्जियां

- सैकड़ों लोगों ने किया लाइसेंसी हथियार के लिए आवेदन

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DEHRADUN : इसे फैशन कहें या फिर कुछ और। लोगों में गनर और हथियार लेने की होड़ मची हुई है। मात्र गनर के लिए एक हजार से अधिक लोग आवेदन कर चुके हैं, जबकि लाइसेंसी हथियारों की संख्या दस हजार के पार पहुंच गई है। अब भी सैकड़ों की तादात में लाइसेंसी हथियार के लिए आवेदन लंबित पड़े हुए हैं। सवाल यह है कि आखिर लोगों को किससे खतरा है? या फिर मात्र अपने स्टेटस को मेंटेन करने के लिए हथियार व गनर रखना चाहते हैं।

आखिर किससे खतरा?

राजधानी में लोग खतरे के साए में जी रहे हैं। किसी को प्रॉपर्टी विवाद में फंसे होने के कारण जान का खतरा सता रहा है तो किसी को पड़ोसी से डर लग रहा है। किसी को अपने ही कॉलेज के स्टूडेंट्स से खतरा बना हुआ है तो किसी को रंजिश रखने वालों से भय लग रहा है। इन खतरों से निपटने के लिए लोग पुलिस का सहारा लेना उचित नहीं समझ रहे हैं। वे खुद ही अपनी सुरक्षा करना चाहते हैं। तभी तो वे सीधे लाइसेंसी हथियारों के लिए आवेदन कर रहे हैं। इस साल जनवरी से अब तक ख्7भ् लोग लाइसेंसी हथियार के लिए आवेदन कर चुके हैं। खास बात यह है कि आवेदन फार्म में इन लोगों ने ऐसे ही मिलते-जुलते खतरों को हथियार लेने की वजह बताया है।

सफेदपोश भी नहीं पीछे

जिस तरह लाइसेंसी हथियार लेने के लिए होड़ मची हुई है, ठीक वही हाल गनर लेने वालों का भी है। जनवरी ख्0क्ख्-क्फ् में भ्00 लोगों ने गनर लेने के लिए शासन में आवेदन किया है। जिसमें कुछ सफेदपोश नेता भी शामिल है, हालांकि शासन पूरी जांच पड़ताल के बाद ही गनर देने की स्वीकृति प्रदान कर रहा है। गत वर्ष मात्र क्भ् लोगों को गनर आवंटित किए गए, बावजूद गनर चाहने वालों की संख्या कम होने का नाम नहीं ले रही है। दिनों-दिन गनर की डिमांड बढ़ती जा रही है। इस बात की तस्दीक शासन में गनर के लिए लगातार बढ़ती अर्जियां करती हैं। अनुमान के मुताबिक शासन में अब तक क्000 से अधिक अर्जियां गनर लेने के लिए पहुंच चुकी हैं।

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दून में हथियारों का जखीरा

सीमा पर दुश्मनों के दांत खट्टे करने वाली इनफैंट्री बटालियन में 800 जवान होते हैं। जिसमें प्रत्येक के पास एक एक हथियार होता है, लेकिन इस बटालियन से ज्यादा हथियार देहरादून में मौजूद हैं। आंकड़ों पर नजर डालें तो दून में क्0,7ब्8 लोगों के पास लाइसेंसी हथियार है। जिसमें दो नाल बंदूक, एक नाल बंदूक के साथ पिस्टल जैसे हथियार श्ामिल हैं।

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निजी खर्चे पर गनर

गनर की दो कैटेगरी होती है। पहले में शासन की और से सरकारी खर्चे पर दिए जाने वाला पुलिस का सिपाही। वहीं दूसरे में कोई व्यक्ति अपने निजी खर्चे पर गनर रख सकता है। निजी खर्चे पर गनर रखने के लिए कोई भी शासन, डीएम व कोर्ट के माध्यम से गनर के लिए आवेदन कर सकता है। इसमें प्रार्थी को सिपाही के वेतन के दोगुना पैसा अदा करना पड़ता है। तब ही सिपाही उसके प्रार्थी के साथ ख्ब् घंटे सुरक्षा पर रहता है।

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कोर्ट के आदेश पर हटाए गए नगर

कुछ समय पूर्व सुप्रीम कोर्ट के ऐतिहासिक फैसले के बाद राज्य सरकार को कई लोगों से गनर की सुविधा हटानी पड़ी थी। कोर्ट ने कहा था कि जिसे वाकई जान का खतरा है वे ही सिर्फ गनर रखें। अनावश्यक किसी को भी गनर नहीं दिया जाएगा। फैसले के बाद उत्तराखंड सरकार को भ्00 हाईप्रोफाइल लोगों से गनर की सुविधा हटानी पड़ी थी।

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गनर लेने के लिए आवेदनों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। अनुमान के मुताबिक आवेदनों की संख्या एक हजार से ऊपर होगी। प्रत्येक आवेदन की जांच एलआईयू से करवाई जाती है। जांच के बाद ही शासन स्तर से गनर आवंटित किया जाता है।

-पुष्पक ज्योति, अपर सचिव गृह