- फीते वाली गली में बारूद से हुआ था ब्लास्ट, 500 ग्राम बारूद बरामद हुआ

- एटीएस, आईबी समेत अन्य जांच एजेंसियों हुई अलर्ट, पड़ताल शुरू की

-फीते वाली गली और डी-2 गैंग का कनेक्शन पर पड़ताल कर रही है जांच एजेंसियां

KANPUR

कुली बाजार के फीते वाली गली जैसे संवेदनशील इलाके के ब्लास्ट में जिसका डर था वहीं हुआ। वहां पर न तो सिलेंडर फटा था और न ही चप्पल के कारखाने के केमिकल से धमाका हुआ था। बल्कि वहां पर डंप बारूद से ब्लास्ट हुआ था। यह खुलासा मंगलवार को मकानों का मलबा हटने के बाद हुआ। जिसका पता चलते ही पुलिस समेत अन्य जांच एजेंसी के कान खड़े हो गए। हालांकि पुलिस इसे पटाखा यानि हल्की तीव्रता का बारूद बता रही है, लेकिन जांच एजेंसियां इसको लेकर गंभीर हैं। अब ऑफिसर ये पता लगाने में जुट गए है कि बारूद की तीव्रता क्या है? यहां पर बारूद किस मकसद से डंप किया गया था? कहीं इसमें स्लीपर सेल का तो हाथ नहीं? कहीं स्लीपर सेल की चूक से शहर को दहलाने की साजिश तो फेल नहीं हो गई? फिलहाल पुलिस समेत अन्य जांच एजेंसियों के ऑफिसर्स जांच का हवाला देकर कुछ भी बोलने से बच रहे हैं।

भारी मात्रा में डंप था बारूद, आधा किलो बरामद हुआ

फीते वाली गली में करीब एक सप्ताह पहले जोरदार ब्लास्ट हुआ था। जिसमें तीन मकान ढह गए थे, जबकि एक बच्ची समेत दो की मौत हो गई थी। सूचना पर पुलिस, आईबी, एटीएस समेत अन्य जांच एजेंसियों ने मौके पर जाकर पड़ताल की, लेकिन मकानों का मलबा पड़ा होने से ब्लास्ट के रहस्य से पर्दा नहीं उठा था। मंगलवार को मकान का मलबा हटा तो वहां पर बारूद मिलने से जांच एजेंसियों के होश उड़ गए। आनन फानन में उन्होंने बारूद के सैम्पल को जांच के लिए लैब भेज दिया। वहां पर करीब आधा किलो बारूद मिला है, जबकि मलबे का काम अभी खत्म नहीं हुआ है। टीम को वहां पर और बारूद मिलने से उम्मीद है। बारूद की तीव्रता क्या है? इसके बारे में तो जांच के बाद ही पता चलेगा, लेकिन पुलिस इसे हल्की तीव्रता का बारूद मान रही है। इसके अलावा वहां पर कारतूस के खोखे भी मिले हैं।

साजिश की ओर इशारा कर रहे हें हालात

फीते वाली गली में ब्लास्ट के मामले में भले ही पुलिस कुछ भी बोलने से बच रही है, लेकिन परिस्थितियां किसी साजिश की ओर इशारा कर रही हैं। यह इलाका बेहद घना और संवेदनशील है। इन्हीं तंग गलियों में स्लीपर सेल भी एक्टिव रहते हैं। जिससे जांच एजेंसियों को शक है कि यहां पर किसी साजिश के तहत बारूद को डंप किया जा रहा था। अब ये पता लगाया जा रहा है कि यह बारूद पटाखा बनाने के लिए लाया गया था। यहां फिर किसी दूसरे इरादे से जांच एजेंसियों को शक है कि बारूद को कहीं दूसरी जगह इस्तेमाल किया जाना था, लेकिन उससे पहले विस्फोट हो गया। जिससे बारूद डंप करने वाला का प्लान फेल हो गया।

डी-2 गैंग का ठिकाना होने से बढ़ गया शक

शहर में तीन दशक तक आतंक मचाने वाले डी-2 गैंग के तार फीते वाली गली से जुड़े है। इसी डी-2 गैंग के संबंध इंडिया के मोस्ट वांटेड दाऊद इब्राहिम से है। पुलिस के पास इसके सबूत भी है। इस गैंग के ज्यादातर बदमाश या तो मार दिए गए या फिर वो जेल में हैं, लेकिन इस गैंग के कुछ सदस्य अभी भी एक्टिव हैं। फीते वाली गली में इस गैंग का सरगना रहता है। उसका मकान घटना स्थल से चंद कदम दूरी पर है। पुलिस रिकॉर्ड के मुताबिक वो पिस्टल, बम और बारूद सप्लाई का काम करता है। वो पुलिस से बचने के लिए असलहों, बस और बारूद को दूसरे मकानों में छिपाकर रखता है। जिससे जांच एजेंसी को शक है कि कहीं इस ब्लास्ट में डी-2 गैंग के सरगना का तो हाथ नहीं। हालांकि जांच एजेंसी इस बारे में कुछ भी बोल नहीं रही है।

रमजान के पहले ब्लास्ट से पुलिस की बेचैनी बढ़ी

देश में आतंक फैलाने वाले संगठन त्योहार या अन्य किसी समारोह में ब्लास्ट करने की कोशिश करते हैं, ताकि उसकी दहशत शहर से लेकर विदेशों में हो जाए। फीते वाली गली में रमजान शुरू होने के पहले ब्लास्ट हुआ है। इससे जांच एजेंसियों का शक और बढ़ गया है। उन्हें शक है कि कहीं रमजान या ईद में दहशत फैलाने के लिए बारूद को डंप तो नहीं किया जा रहा था। जिसके चलते वे बारीकी से जांच कर रहे हैं।

क्या वहां पर तैयार किया जा रहा था बम

मलबे से बम स्क्वायड टीम संदिग्ध पाउडर और एक कंटेनर भी बरामद कर चुकी है। मंगलवार को बम स्क्वायड टीम को बारूद के साथ ही लोहे की गरारी और सांचे भी मिले है। जांच एजेंसियों को शक है कि कहीं कंटेनर में संदिग्ध पाउडर और बारूद को मिला कर कोई तेज तीव्रता वाला विस्फोटक तो नहीं बनाया जा रहा था। जिसमें कोई चूक होने से ब्लास्ट हो गया। इसकी पुष्टि करने के लिए जांच एजेंसी ये पता लगाने में जुटी है कि वो संदिग्ध पाउडर कौन सा था? इसके लिए वे आगरा स्थित लैब के अधिकारियों से संपर्क कर रहे हैं। जहां पर संदिग्ध पाउडर को जांच के लिए भेजा गया है।

स्लीपर सेल की थ्योरी पर भी जांच एजेंसियों की निगाह

आतंकी संगठन बम प्लांट करने के लिए स्लीपर सेल का यूज करते है। स्लीपर सेल खुद भी मानव बम बनकर ब्लास्ट करते है। वे खुद ही बम बनाते है। वे बम बनाने में एक्सपर्ट होते है। वे भीड़भाड़ वाले इलाके जैसे मॉल, सिनेमा हॉल, मार्केट में विस्फोट करते हैं। जिससे उनके आतंकी संगठन की दहशत और फैल जाए, लेकिन यह ब्लास्ट विस्फोट फीते वाली गली में हुआ। जांच एजेंसी स्लीपर सेल की थ्योरी पर भी पड़ताल कर रही है।

क्या होता है स्लीपर सेल

आपने फिल्म स्टार अक्षय कुमार की हॉलीडे मूवी देखी होगी। ये मूवी स्लीपर सेल पर बनी है। स्लीपर सेल बेहद खतरनाक और शातिर होते है। वे किसी न किसी आतंकी संगठन के टच में रहते हैं, लेकिन वे अपने बॉस से संपर्क नहीं करते हैं। वे आम आदमी की तरह फीते वाली जैसी तंग गलियों में गुमनामी की जिन्दगी बिताते हैं। वे किसी दुकान या माल में काम करते हैं। वे तब तक कोई क्राइम नहीं करते हैं। जब तक उनका बॉस उन्हें आर्डर न दें। वे अपने बॉस का हुक्म मिलने पर ही एक्टिव होते है। वे इतने जज्बाती होते है कि वे टारगेट को पूरा करने के लिए अपनी जान भी गंवाने में पीछे नहीं हटते है।