किसी सरकारी भवन की बजाए बड़े होटल में हुई मीटिंग

बिहार स्टेट वेटलैंड्स डेवलपमेंट अथॉरिटी ने किया था आयोजन

राज्य के वेटलैंड्स की पहचान के लिए हुई चर्चा

PATNA : गहराते जलसंकट। सूखते कंठ और फसल के लिए मुरझा चुके धरतीपुत्रों के चेहरे। ये तस्वीर है उस बिहार की जहां सिर्फ पानी पर चिंता जताने के लिए चंद मिनटों में डेढ़ लाख रुपए पानी में बहा दिए गए। ये सब हुआ वेटलैंड्स को लेकर आयोजित कंसलटेशन मीटिंग में, जिसे ऑर्गेनाइज किया था बिहार स्टेट वेटलैंड्स डेवलपमेंट अथॉरिटी ने।

निजी होटल में आयोजन क्यों?

हैरत कि बात है कि बैठक के लिए आरण्य भवन या किसी अन्य सरकारी भवन की बजाए निजी होटल को चुना गया, जिस पर एक दिन का खर्च करीब क्.भ् लाख रुपए बैठता है। अब इसे लेकर सवाल उठ रहे हैं कि इस खर्च में कितने कुएं और आहरों को दुरुस्त किया जा सकता था। इतने खर्च में सूखा पीडि़त कई गांवों और कस्बों में पानी की व्यवस्था की जा सकती थी। वर्तमान में पटनासिटी समेत बिहार के कई जिले पानी की समस्या से जूझ रहे हैं।

समूह बने, फिर होगी मीटिंग

ये वही बिहार स्टेट वेटलैंड्स डेवलपमेंट अथॉरिटी है, जिसका जिम्मा है कुएं, झील, पोखर, तालाब और आहर समेत तमाम वेटलैंड्स की पहचान करने और उनको बचाने के साथ उनके प्रबंधन का। इन्ही मुददों को लेकर ख्9 और फ्0 अप्रैल को एक परिचर्चा हुई जिसमें राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर के संस्थानों के म्0 से ज्यादा प्रतिनिधि शामिल हुए। इसमें फ्0 बड़े और महत्वपूर्ण वेटलैंड्स के विकास और मॉनिटरिंग पर चर्चा हुई। साथ ही वेटलैंड्स के डेवलपमेंट को लेकर पांच समूहों का गठन किया गया है। कोर ग्रुप की बैठक में एक महीने बाद फिर से मीटिंग का प्रस्ताव रखा गया है। उस समय झील, पोखर, तालाब आदि के विकास को लेकर एक रूपरेखा तय की जाएगी जिस पर एक महीने में नोटिफिकेशन जारी होगा, जिसके बाद इस पर काम हो सकेगा।

इस मीटिंग के लिए होटल का चुनाव करना पड़ा क्योंकि आरण्य भवन में ख्भ् लोगों से ज्यादा के लिए जगह नहीं है। जबकि इस मीटिंग में देशभर के संस्थानों से म्0 से ज्यादा प्रतिनिधि शामिल हुए। मीटिंग के दूसरे दिन का आयोजन आरण्य भवन में हुआ, इसमें कोर ग्रुप के लोग शामिल थे।

-भारत ज्योति, डायरेक्टर, इकोलॉजी एंड क्लाइमेट चेंज, वन एवं पर्यावरण विभाग, बिहार