आगरा। स्मार्ट सिटी में समय की बद्धता सबसे महत्वपूर्ण टूल्स है। हर काम को निर्धारित समय पर करना है। इसे लेकर ही प्रदेश के मुख्य सचिव राजीव कुमार ने नवंबर 2017 में मंडल आयुक्त के साथ बैठक की। उन्होंने स्मार्ट सिटी के कामकाज की गति पर चिंता जाहिर की और कनेक्टिविटी को बढ़ाते हुए कामों की समय-सीमा तय की थी। इससे कंपनी के कर्मियों के कार्यो का मूल्यांकन भी हो सकेगा।

कमिश्नर ने भी नाराजगी जताई

मुख्य सचिव ने आगरा समेत अन्य स्मार्ट सिटी के शहरों के मंडलायुक्तों को पिछले सत्र में शुरू हुए कार्यो को 31 मई 2018 की डेड लाइन दी। लेकिन इस समय-सीमा पर काम पूरे नहीं होंगे। इस पर मंडलायुक्त ने कुछ दिन पूर्व की बैठक में नाराजगी भी जाहिर की है।

सिर्फ योजना ही बनी

हालांकि वर्ष 2018 में स्मार्ट सिटी के अधिकांश काम शुरू हो जाएंगे। इसमें एक स्ट्रीट लाइट को एलईडी में कन्वर्ट करने का काम लगभग पूरा हो चुका है। साल 2016 के जाते-जाते स्मार्ट सिटी में शामिल हुए। वर्ष-2017 में स्मार्ट सिटी के कामकाज पूरा करने के लिए कंपनी बनाने, उसके चेयरमैन, सीईओ सहित सदस्य बनाने के कामों में गुजरा और लगभग 207 करोड़ रुपये के कार्यो को करने की योजना बनाई गई। लेकिन ये काम अब तक पूरे नहीं किए जा सके हैं।

110 कामों के तैयार डीपीआर

पिछले सत्र में स्मार्ट सिटी के तहत आगरा को 207 करोड़ रुपये मिल चुके हैं। इसमें 3 काम पूरे हो चुके हैं। प्रोजेक्ट के तहत कुल 110 काम होने हैं। इसमें कई के डीपीआर पर आपत्ति भी है।

नए सत्र में मिले 200 करोड़

आगरा स्मार्ट सिटी को वर्ष 2018-19 में 200 करोड़ रुपए मिलने हैं। इसमें 100-100 करोड़ रुपये केंद्र और राज्य सरकार की ओर से प्रावधान है। इस लागत के अनुसार साल के प्रोजेक्ट तैयार किए गए हैं। 200 करोड़ रुपये से फतेहाबाद रोड के प्रोजेक्ट शुरू हो जाएंगे। सभी के डीपीआर तैयार हैं। टेंडर प्रक्रिया चालू है।

2133 करोड़ रुपये का है प्रोजेक्ट

शहर को स्मार्ट सिटी बनाने के प्रोजेक्ट की कुल कास्ट 2133 रुपये है। इसमें 5 सालों में 500-500 करोड़ केंद्र और राज्य सरकार से मिलने है। इसके अलावा पीपीपी और नगर निगम अपने आर्थिक स्त्रोसेस से राशि का प्रबंध करेगी।