-दो डॉक्टर के ऊपर 300 मरीजों का भार

-डॉक्टर की तैनाती लेकर गंभीर नहीं महकमा

-मेला अस्पताल की व्यवस्था दिन-पर-दिन बदतर

HARIDWAR (JNN) : मेला अस्पताल के त्वचा रोग और बाल रोग विशेषज्ञ के चैंबर के भीतर और बाहर मरीजों की भीड़ और पर्चा लिए अपनी बारी का इंतजार करते मरीज। सौ बेड के मेला हॉस्टिपल में मरीजों की भीड़ का यह नजारा आम है। डॉक्टरों की कमी से जूझ रहे अस्पताल में फिलवक्त दोनों डाक्टरों के ऊपर फ्00 मरीजों की ओपीडी का भार है। बावजूद इसके स्वास्थ्य महकमा अस्पताल में डॉक्टरों की तैनाती लेकर गंभीर नहीं है। अ‌र्द्धकुंभ ख्00ब् में बने सौ बेड के मेला अस्पताल की व्यवस्था दिन-पर-दिन बदतर होती जा रही है। बीते दो साल से अस्पताल डॉक्टरों की भारी कमी से जूझ रहा है।

वर्तमान में यहां चार डॉक्टर हैं

ख्0क्ख् में अस्पताल से एक साथ सात डॉक्टर स्थानांतरित हुए लेकिन इनकी जगह कोई नहीं आया। स्वीकृत क्ब् पदों के सापेक्ष वर्तमान में यहां चार डाक्टर बाल रोग विशेषज्ञ, त्वचा रोग विशेषज्ञ, ऑर्थो सर्जन और पैथोलॉजिस्ट तैनात हैं। पैथोलॉजिस्ट डॉ। एसएन खान ब्लड बैंक प्रभारी भी हैं लिहाजा इन्हें दोहरी जिम्मेदारी निभानी पड़ रही है। इनका एक पैर मेला अस्पताल तो दूसरा ब्लड बैंक में होता है। ऐसे भी जनरल ओपीडी से पैथोलॉजिस्ट का कोई खास लेना-देना नहीं होता।

ओपीडी का भार अमूमन दो डॉक्टरों पर

शेष तीन चिकित्सकों में किसी न किसी की वीआईपी ड्यूटी के साथ कोर्ट-कचहरी, पोस्टमार्टम आदि में रहती है। ऐसे में अस्पताल की ओपीडी का भार अमूमन दो डॉक्टरों के ही ऊपर रहता है। अस्पताल में इन दिनों फ्00 से अधिक मरीजों की ओपीडी है। ऐसे में दो विशेषज्ञ चिकित्सकों को ही जनरल भीओपीडी संभालनी पड़ती है। मरीजों को इन डॉक्टरों के चैंबर के बाहर रोजाना अपनी बारी का इंतजार करते देखा जा सकता है।

दो साल से इमरजेंसी भी ठप

ख्0क्ख् में इमरजेंसी मेडिकल ऑफिसर डॉ। पंकज शर्मा और हरीश पांडे के स्थानांतरण के बाद अस्पताल की इमरजेंसी सेवा ठप है। आपातकालीन सेवाओं के लिए मरीजों को जिला अस्पताल जाना पड़ा है। क्00 बेड के मेला अस्पताल यहां अत्याधुनिक उपकरणों से सुसज्जित आईसीसीयू और आईसीयू है। इसके अलावा टीएमटी मशीन, बेड साइड मॉनीटर, डिजिटल एक्सरे, सी आर्म, अल्ट्रासाउंड मशीन और उपकरणों से लैस दो-दो ऑपरेशन थिएटर भी हैं, लेकिन फिजीशियन, कॉर्डियोलाजिस्ट आदि विशेषज्ञ चिकित्सकों के अभाव में लोगों को विशिष्ट सुविधाओं का लाभ नहीं मिल रहा है। स्वास्थ्य सेवाओं की इस तस्वीर से सरकार वाकिफ तो है लेकिन व्यवस्था में सुधार को गंभीर नहीं।

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भारत सरकार के मानकों के हिसाब सेक्00 बेड के अस्पताल में फ्0 डॉक्टर होने चाहिए। राज्य सरकार के मानकों की भी बात करें तो यहां क्ब् डॉक्टर के पद स्वीकृत हैं, लेकिन यहां फिलवक्त चार डॉक्टरों से ही काम चलाया जा रहा है। वीआईपी ड्यूटी, पीएम, कोर्ट एवीडेंस आदि में इन्हीं डॉक्टरों की ड्यूटी लगाने से समस्या और बढ़ जाती है। सीमित संसाधनों के बावजूद मरीजों को बेहतर सुविधा देने के प्रयास हो रहे हैं।

-डॉ। संदीप निगम, चिकित्सा अधीक्षक, मेला अस्पताल