कैसे होगा निजता का हनन

सु्प्रीम कोर्ट ने अपनी पिछली सुनवाई के दौरान कहा था कि, वे यह देखेंगे कि आधार कार्ड किस तरह से आम आदमी की निजता का हनन कर सकता है। आपको बताते चलें कि कोर्ट में एक अपील की गई थी कि आधार कार्ड की अनिवार्यता को लेकर अंतरित आदेश में संशोधन किया जाए। गौरतलब हो सुप्रीम कोर्ट ने सभी विभागों को छोड़कर पीडीएस व्यवस्था में आधार कोर्ड को अनिवार्य बनाए जाने पर फैसला दिया था। यही नहीं कोर्ट ने केरोसीन और एलपीजी में आधार लागू करने की भी इजाजत दे दी थी।

बेडरूम में जासूसी नहीं कर सकते

केंद्र सरकार की ओर से अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने कोर्ट में कहा था कि देश में 92 करोड़ आधार कार्ड बनाए गए हैं। यही एक जरिया है जिससे देश के करोड़ों गरीबों तक पहुंचा जा सकता है। हालांकि कोर्ट ने इसका पलटवार करते हुए कहा कि, आधार के जरिए हमें किसी के बेडरूम में जासूसी करने का अधिकार नहीं है।

सरकार आधार को मानती सबसे जरूरी

सरकार की तरफ से कहा जा रहा कि, आधार के जरिए सरकार देश के 6 लाख गांवों में घर-घर तक पहुंची है। लोगों को मनरेगा के लिए बैंक घर तक पैसा पहुंचा रहे हैं। इसके अलावा प्रधानमंत्री की जनधन योजना की सफलता में आधार की भूमिका अहम रही है। आधार की वजह से ही सरकार ने एलपीजी सब्िसडी में 1 साल में 15-20 हजार करोड़ रुपये बचाए हैं। यही नहीं बूढ़ों और लाचारों तक घर पर ही पेंशन पहुंचाने में आधार ही काम आता है।

ट्राई और सेबी सरकार के साथ

हालांकि सरकार के साथ-साथ सेबी का भी कहना है कि, हवाला और काले धन को काबू करने के लिए आधार जरूरी है। मार्केट पर नजर रखने के लिए ये प्रभावशाली है। वहीं ट्राई ने कहा, मोबाइल सिम जारी करने के लिए आधार की अनिवार्यता की जानी चाहिए। इससे आतंकवादी और आपराधिक गतिविधियों की रोकथाम में मदद मिल सकेगी। इसके अलावा RBI का भी कहना है कि, एलपीजी, केरोसिन और पीडीएस में आधार को लिंक करने के कोर्ट ने पहले से आदेश दिए थे। ऐसे में अगर कोई अपनी मर्जी से आधार कार्ड के जरिये एकाउंट खोलना चाहता है, तो क्या करें। खास कर तब जब उसके पास आधार के अलावा कोई और दूसरा पहचान पत्र न हो। वहीं इरडा ने कहा कि, पेंशन विभाग समेत कई राज्यों ने भी आधार का समर्थन किया है।

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