- किसानों व भूमिहीन परिवारों के लिए सरकार की ओर से चलाई जा रही दो अलग-अलग बीमा योजनाएं

- व्यापक प्रचार-प्रसार नहीं होने की वजह से किसानों के बीच ज्यादा पॉपुलर नहीं हो सकी हैं यह बीमा पॉलिसी

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KANPUR : किसानों के लिए खेत तिजोरी और फसल खजाना होती है। पर कमबख्त मौसम ने इस खजाने को कुछ इस कदर लूटा कि आत्महत्या के अलावा किसानों को दूसरा रास्ता ही नहीं सूझ रहा। हालांकि, किसानों के लिए दो तरह की बीमा योजना सरकार मुहैया करा रही है, लेकिन प्रचार-प्रसार नहीं होने की वजह से किसान मौत को गले लगा रहे हैं। एक नजर उन योजनाओं और उनकी हकीकत पर

पहली योजना - कृषक दुर्घटना बीमा योजना

इस योजना में ऐसे सभी किसान शामिल हैं, जिनके पास अपनी खेती है और उसका रिकॉर्ड तहसील की खतौनी में दर्ज है। भू-अभिलेख विभाग के कर्मचारी राकेश कुमार ने बताया कि इस योजना के तहत सभी किसानों का भ् लाख रुपए तक का बीमा होता है। अगर कोई दुर्घटना होती है तो किसान या उसके परिजनों को ब् महीनों के अंदर-अंदर तहसील को सूचित करना होता है। परिस्थितियों के हिसाब से किसान या पीडि़तों को मुआवजा राशि दी जाती है। हालांकि, हकीकत ये है कि भीषण बारिश और ओला गिरने की वजह से कई किसानों की आकस्मिक मौत हो चुकी है। मगर, किसानों को दुर्घटना के मद में मुआवजा राशि अब तक नहीं दी गई।

एक्सीडेंट में डेथ होने पर - भ् लाख

पूरी तरह से विकलांग होने पर - भ् लाख

भ्0 परसेंट विकलांगता पर - ख्.भ् लाख

ख्भ् परसेंट विकलांगता पर - क्.ख्भ् लाख

दूसरी योजना - आम आदमी बीमा योजना

इसमें उन ग्रामीणों को कवर किया जाता है, जो भूमिहीन किसान हों। क्8-भ्9 साल एजग्रुप के ग्रामीण परिवार इसके पात्र होते हैं। पात्रता की प्रामाणिकता लेखपाल के जिम्मे होती है। सेलेक्टेड लोगों की रिपोर्ट 'बोर्ड ऑफ रेवेन्यू' डिपार्टमेंट जाती है। यहां से ग्रीन सिग्नल मिलने के बाद पात्रों की लिस्ट एलआईसी को भेजकर बीमा करवाया जाता है। इस योजना के अन्तर्गत करीब क्,क्म्,ब्फ्ख् पॉलिसी जनपद कानपुर में इश्यू की जा चुकी हैं। हालांकि, मुआवजा कितनों को मिला, इस बारे में अफसर जानकारी नहीं दे सके।

नेचुरल डेथ - फ्0 हजार

एक्सीडेंट पर डेथ - 7भ् हजार

पूर्ण विकलांगता पर - 7भ् हजार

आंशिक विकलांगता - फ्7,भ्00 रुपए

(नोट : योजना के अन्तर्गत बीमित व्यक्ति के दो बच्चों को क्लास-क्ख् तक की पढ़ाई के लिए हर महीने क्00 रुपए की धनराशि अलग से दी जाती है.)

आत्महत्या पर क्लेम रिजेक्ट

भू-आधिपत्य विभाग के अफसरों ने बताया कि अगर किसी किसान की आत्महत्या को आधार बनाकर मुआवजा या क्लेम मांगा जाता है। तब उस एप्लीकेशन को फौरन रिजेक्ट कर दिया जाता है। फसल बर्बादी के बाद कुछ आवेदन आए थे, लेकिन उन्हें सिरे से खारिज कर दिया गया।