- निर्माण के 8 साल बीतने के बाद भी शासन ने नहीं दिया लाइसेंस, प्रमुख सचिव ने कहा अवैध है आईसीयू
- डॉक्टर्स की गुटबाजी में आईसीयू बना वसूली का अड्डा, न दवा न उपकरणों की मेंटीनेंस की व्यवस्था
KANPUR: जिला अस्पताल उर्सला में 8 साल से चल रहा आईसीयू अवैध है। यह हम नहीं कह रहे बल्कि सरकारी रिकॉर्ड बोल रहे हैं। जी हां, रिकॉर्ड में कहीं भी उर्सला के आईसीयू का जिक्र ही नहीं है। बड़ी बात ये है कि इसे चलाने के लिए स्वास्थ्य विभाग या शासन की तरफ से आज तक कोई लाइसेंस नहीं दिया गया। उर्सला के प्रशासनिक अधिकारियों ने प्रमुख सचिव चिकित्सा एवं स्वास्थ्य से जब इस आईसीयू की एएमसी व स्टॉफ और दवाओं के लिए बजट के लिए कहा तो उन्होंने साफ कह दिया कि यह तो अवैध आईसीयू है। इसके लिए कौन सा बजट
उर्सला आईसीयू के निर्माण पर एक नजर-
- 20.2.2008 में तत्कालीन स्वास्थ्य मंत्री अनंत मिश्रा ने आईसीयू, आईसीसीयू व डायलिसिस यूनिट का निर्माण शुरू कराया
- 13.3.2011 में इंटेनसिव कोरोनरी केयर यूनिट का लोकार्पण अनंत मिश्रा ने किया
- 28.6.2011 में तत्कालीन चिकित्सा स्वास्थ्य मंत्री नसीमुद्दीन सिद्दकी ने डायलिसिस यूनिट का उद्घाटन किया
-सी एंड डीएस, उत्तर प्रदेश जल निगम निर्माण की कार्यदायी संस्था थी
- उर्सला में आईसीयू प्रस्तावित नहीं होने के बाद भी दूसरे जिला अस्पतालों के आईसीयू व डायलिसिस के उपकरण मंगाए गए
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उर्सला आईसीयू एक नजर में-
-6 बेड वेंटीलेटर
-3 बेड हाई डेनसिटी यूनिट
- 6 बेड आईसीसीयू
- 2 डायलिसिस मशीनें
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आईसीयू का न प्रस्ताव न मंजूरी
बसपा शासन काल में बने उर्सला आईसीयू को मौजूदा सरकार ने अवैध करार दिया है। इसके पीछे वजह बताई गई कि इसके निर्माण के लिए न तो अस्पताल प्रशासन की तरफ से कोई प्रस्ताव भेजा गया और न कभी इसकी मंजूरी मिली। जुगाड़ तंत्र से दूसरे अस्पतालों के लिए आए उपकरणों को यहां ला कर स्थापित किया गया था।
डॉक्टर्स की गुटबाजी मरीज पर भारी
उर्सला आईसीयू में आईसीयू, डायलिसिस यूनिट का संचालन तीन डॉक्टर्स के भरोसे है। इनमें से कुछ के कारिंदे भी आईसीयू में पेशेंट लाने का काम करते हैं। आईसीयू व क्यूबिकल आईसीसीयू दिलाने के नाम पर उनसे मोटी रकम भी ली जाती है। आईसीयू में दवाओं का कोई बजट नहीं है ऐसे में सारी चीजें मरीज के तीमारदार को बाहर से ही लानी पड़ती है। आईसीयू में किस डॉक्टर के मरीज ज्यादा भर्ती हो सकते हैं, इसके लिए भी गुटबाजी होती है। पिछले दिनों आईसीयू में मारपीट का आरोप लगाने के मामले में यह वजह सामने भी आई थी।
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वर्जन-
आईसीयू का लाइसेंस नहीं है। इसी वजह से तमाम कोशिशों के बाद भी इसकी दवाओं के लिए बजट व उपकरणों के मेंटीनेंस का इंतजाम नहीं हो सका है। सारी चीजें अस्पताल के स्तर पर ही मैनेज की जा रही हैं।
- डॉ। उमाकांत, डायरेक्टर उर्सला हॉस्पिटल