- शहर के बाजारों में मना 'नो कैश ट्रांजक्शन डे' कई बाजार रहे बंद, कई में रहा सन्नाटा

- सहालग के सीजन की वजह से 1 हजार करोड़ का बैंक ट्रांजक्शन हुआ प्रभावित

-अस्पतालों, मेडिकल स्टोर्स और डायग्नोस्टिक सेंटर्स पर लोग हुए परेशान

-पेट्रोल पंपों, रेलवे और बस स्टेशनों में मची मारा-मारी, इधर-उधर भटकते रहे लोग

-आई नेक्स्ट से कानपुराइट्स ने शेयर की अपनी राय, फैसला सही लेकिन मोहलत कम

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KANPUR: एक हजार और पांच सौ रुपए के नोटों की बंदी के फैसले के बाद वेडनेसडे को कानपुर के हालात 'नोट' इमरजेंसी जैसे बन गए। भले ही कुछ इमरजेंसी सेवाओं को 72 घंटों तक पुराने नोटों के इस्तेमाल की छूट मिली लेकिन हालात बिल्कुल जुदा रहे। सरकारी हॉस्पिटल्स हों या फिर रेलवे स्टेशन हर जगह आम आदमी को बहुत जूझना पड़ा। पेट्रोल पंपों ने भी अपना राग अलापा। कहीं बचे पैसे की पर्ची दी गई तो कहीं पूरे पैसे का पेट्रोल भरने की मनमानी पब्लिक को झेलनी पड़ी। एक दिन में करीब एक हजार करोड़ रुपए का लेनदेन ठप हो गया। पूरे हालात पर आई नेक्स्ट ने जब पब्लिक की राय जानी तो उनका कहना था कि कालेधन के लिए हुई 'सर्जिकल स्ट्राइक' तो शानदार रही लेकिन आम आदमी को संभलने के लिए मोहलत बहुत कम मिली।

कहीं मनमानी तो कहीं परेशानी

आई नेक्स्ट ने शहर के बाजारों का जायजा लिया। बिरहाना रोड, नयागंज, किदवई नगर, गुमटी नंबर-5, पी रोड, सीसामऊ समेत एक दर्जन बड़े बाजारों में जहां सन्नाटा पसरा रहा तो थोक बाजारों में दोपहर बाद बंदी हो गई। सरकारी यूजरचार्ज काउंटर्स, रजिस्ट्री ऑफिस में भी एक तरह की अघोषित बंदी रही। ब्लैक मनी को व्हाइट करने के चक्कर में सर्राफा बाजार में 50 हजार रुपए प्रति दस ग्राम तक सोना बिकने की खबर मिली। इंकमटैक्स डिपार्टमेंट सक्रिय हुआ तो पूरे सर्राफा बाजार में भी बंदी हो गई।

हैलट, उर्सला में जांचें फ्री

सबसे ज्यादा परेशानी अस्पतालों में इलाज कराने पहुंचे मरीजों को हुई। हॉस्पिटल बिल जमा करने से लेकर दवा खरीदने और जांचों के लिए पैसा जमा करने को लेकर कई जगहों पर विवाद हुआ। स्वरूप नगर के कुछ प्राइवेट प्रैक्टिशनर्स जिनकी फीस 500 रुपए तक थी उन्होंने टूटे पैसे नहीं होने की वजह से मरीजों को ही लौटा दिया। उधर एमआरआई या सीटी स्कैन करने वाले डायग्नोस्टिक सेंटर्स पर भी कई बार झगड़े की नौबत आई। बवाल बढ़ा तो कई हॉस्पिटल्स में 500 व हजार के नोट देर शाम स्वीकार भी किए गए। हैलट और उर्सला में जिन जांचों की कीमत 50 रुपए से कम थी उन्हें फ्री कर दिया गया।