- डीजी टेक्निकल और आईजी टेक्निकल ने पूरी की जांच

- प्रमुख सचिव व अन्य अधिकारियों को गलत सूचना देकर भ्रम फैलाने के मामले में दोष साबित

- जल्द शासन को भेजी जाएगी रिपोर्ट, गाज गिरना तय

LUCKNOW :

विधानभवन में मिला संदिग्ध पाउडर पीईटीएन था या नहीं, इसको लेकर अब भी संशय बरकरार है। लेकिन, पूरे मामले में कंफ्यूजन की स्थिति पैदा करने का ठीकरा जरूर यूपी फॉरेंसिक लैब के डायरेक्टर डॉ। एसबी उपाध्याय पर फूट सकता है। सूत्रों की मानें तो डीजी टेक्निकल और आईजी टेक्निकल द्वारा पूरे मामले की जांच में डॉ। उपाध्याय को प्रमुख सचिव गृह और अन्य अधिकारियों को गलत सूचना देकर भ्रम फैलाने का दोषी माना है। उम्मीद की जा रही है कि यह जांच रिपोर्ट जल्द शासन को सौंप दी जाएगी, जिसके बाद उन पर गाज गिरना तय है। हालांकि, इस पर कोई भी अधिकारी कुछ भी बोलने को तैयार नहीं है।

आगरा एफएसएल ने उठाया पर्दा

बीती 12 मई को विधानसभा की कार्यवाही खत्म होने के बाद सफाई के दौरान विपक्षी विधायक की कुर्सी पर 150 ग्राम संदिग्ध पाउडर मिला था। इस पाउडर को जांच के लिये पुलिस ने यूपी फॉरेंसिक लैब भेजा था। जहां प्रारंभिक जांच के बाद डायरेक्टर डॉ। एसबी उपाध्याय ने अधिकारियों को सूचना दी कि बरामद पाउडर घातक विस्फोटक पीईटीएन है। गौरतलब है कि पीईटीन को आतंकवादी इस्तेमाल करते हैं। डॉ। उपाध्याय के दावे के बाद सीएम योगी आदित्यनाथ ने विधानसभा में इसकी जानकारी दी थी और इस पूरे मामले की जांच एनआईए से कराने के लिये विधानसभाध्यक्ष से निवेदन किया था। विधानसभाध्यक्ष ने मामले की जांच एनआईए से कराने की संस्तुति की थी। यहां तक तो मामला ठीक था, लेकिन कहानी में ट्विस्ट तब आया जब कंफरमेट्री जांच के बाद आगरा एफएसएल ने बताया कि बरामद पाउडर पीईटीएन नहीं है।

झूठ पर झूठ बोलते रहे डायरेक्टर

सूत्रों के मुताबिक, आगरा एफएसएल की रिपोर्ट के बारे में जब प्रमुख सचिव गृह अरविंद कुमार ने पड़ताल की तो डॉ। उपाध्याय ने उन्हें बताया कि कंफरमेट्री जांच के लिये उन्होंने आगरा एफएसएल को सैंपल भेजा ही नहीं, इसलिए यह महज अफवाह है। बताया जाता है कि डॉ। उपाध्याय ने प्रमुख सचिव को यह भी बताया कि आगरा एफएसएल में विस्फोटक जांचने की विशेषज्ञता ही नहीं है। जिसके बाद प्रमुख सचिव गृह ने इसे लेकर बयान जारी कर दिया। हालांकि, डॉ। उपाध्याय की कलई तब खुल गई जब मीडिया ने यूपी पुलिस की वेबसाइट का हवाला दिया जिसमें जिक्र है कि विस्फोटक जांचने की सुविधा और संसाधन सिर्फ आगरा एफएसएल में हैं। इतना ही नहीं यूपी फॉरेंसिक लैब द्वारा आगरा एफएसएल को भेजे गए सैंपल का डॉकेट नंबर भी मीडिया में आ गया। जिसके बाद पूरी सरकार ही बैकफुट पर आ गई थी और डॉ। उपाध्याय की भूमिका की जांच डीजी टेक्निकल महेंद्र मोदी और आईजी टेक्निकल अपर्णा कुमार ने शुरू की। सूत्रों ने बताया कि दोनों अधिकारियों ने डॉ। उपाध्याय के साथ ही आगरा फॉरेंसिक लैब के डायरेक्टर एके मित्तल से भी पूछताछ की। जिसके बाद पूरे मामले में डॉ उपाध्याय को गलत सूचना देने का दोषी पाया गया। सूत्रों का यह भी कहना है कि यह रिपोर्ट जल्द ही शासन को सौंप दी जाएगी जिसके बाद डॉ। उपाध्याय पर गाज गिरना तय है।

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एनआईए ने टेकअप की पीईटीएन मामले की जांच

पीईटीएन मामले में जारी कंफ्यूजन को अब एनआईए दूर करेगी। विधानसभाध्यक्ष हृदयनारायण दीक्षित के निर्देश पर यूपी सरकार ने पूरे मामले की जांच एनआईए से कराने की संस्तुति की थी। जिसके बाद एनआईए की एक टीम ने विधानसभा मंडप का निरीक्षण भी किया था। पर, आधिकारिक तौर पर जांच हाथ में नहीं ली थी। लेकिन, आखिरकार बुधवार को केंद्रीय गृह मंत्रालय के आदेश पर एनआईए ने जांच को टेकअप कर लिया। आईजी एनआईए आलोक मित्तल ने बताया कि गुरुवार को लखनऊ स्थित एनआईए ब्रांच ऑफिस में इसकी एफआईआर दर्ज की जाएगी। जिसके बाद तुरंत प्रभाव से मामले की जांच शुरू कर दी जाएगी।