RANCHI - इस बार भी रिपब्लिक डे पर नई दिल्ली के राजपथ पर झारखंड की झांकी नहीं दिखेगी। राज्य सरकार की ओर से 2018 की झांकी के लिए हजारीबाग की सोहराय कला का प्रस्ताव केंद्र सरकार को भेजा गया था, लेकिन देश-दुनिया में अपनी अलग पहचान बना चुकी यह पेंटिंग राजपथ तक नहीं पहुंच सकी। मालूम हो कि पिछले तीन सालों से झारखंड की झांकी को रिपब्लिक डे सेरेमनी पर आयोजित होने वाले समारोह के लिए नहीं चुना जा रहा है।

नहीं मिली है कोई सूचना

इंफॉर्मेशन एंड पब्लिक रिलेशन डिपार्टमेंट के मुताबिक, झांकी प्रस्तुति के लिए केंद्रीय गृह रक्षा और विदेश मंत्रालय के स्तर पर कई चरणों में बैठक होती हैं और फिर इसे फाइनली मंजूरी मिलती है। इस बार पांच चरणों में झारखंड की झांकी को स्वीकृति मिली, लेकिन इसके बाद इसे रिजेक्ट कर दिया गया। हालांकि, इस बाबत अभी तक केंद्र से कोई जानकारी नहीं मिली है।

तीन सालों मिल रही है निराशा

नई दिल्ली के राजपथ पर पिछले तीन सालों से झारखंड की झांकी नहीं दिख रही है। 2016 में आयरन स्टील की प्रगति की थीम पर, 2017 में सरायकेला छऊ नृत्य और 2018 में हजारीबाग सोहराय पेंटिंग की थीम पर बेस्ड झांकी का प्रपोजल भेजा गया था, लेकिन इसे रिजेक्ट कर दिया गया था। इसके पहले 2013 में डोकरा आर्ट और 2015 में दुमका के मलूटी मंदिर को झांकी राजपथ पर नजर आई थी।

पिछले 17 सालों में सिर्फ चार बार मिली जगह

झारखंड के अलग राज्य बनने के बाद अबतक चार बार ही झारखंड की झांकी नई दिल्ली के राजपथ पर दिखी है। इसमें 2004, 2007, 2013 और 2015 की झांकी शामिल थी। 2015 में गणतंत्र दिवस पर झारखंड की झांकी के पूरे देश में दूसरा स्थान मिला था। दुमका के मलुटी के मंदिर का प्रदर्शन झांकी में किया गया था। इस झांकी में 35 कलाकारों ने हिस्सा लिया था, जिसमें 9 महिला थी जो स्थानीय छउ नृत्य प्रदर्शन भी कर रहे थे। झांकी में दुमका जिले में अवस्थित मलूटी में 17 वीं शताब्दी के 76 टेरा कोटा मंदिर को दिखाया गया था।