-कागजों में तो अभी भी केडीए के पास हजारों हेक्टेयर जमीन है

-हकीकत में ज्यादातर जमीन पर भूमाफियाओं का है कब्जा

-चीफ मिनिस्टर के ड्रीम प्रोजेक्ट समाजवादी आवास योजना के फ्लैट बनाने के लिए भी जमीन नहीं खोज सका केडीए

KANPUR: कागजों में तो केडीए के पास जमीन की कोई कमी नहीं है। अभी भी उसके पास हजारों हेक्टेयर जमीन है पर हकीकत ये है कि चीफ मिनिस्टर के ड्रीम प्रोजेक्ट समाजवादी आवास योजना के 1200 फ्लैट बनाने के लिए भी केडीए अभी तक जमीन नहीं तलाश पाया है। यही नहीं केडीए को अब ऐसी कोई जमीन भी नजर नहीं आ रही है, जहां वह लोगों के लिए हाउसिंग स्कीम लाकर लोगों के घर की समस्या हल कर सके। क्योंकि ज्यादातर जमीनों पर भूमाफियाओं ने कब्जा कर लिया है या फिर उनमें अवैध रूप से कालोनीज डेवलप कर प्लाट बेच दिए गए हैं।

5 हजार हेक्टेयर से अधिक जमीन

केडीए का गठन लगभग 1973 में हुआ था। गठन के बाद उसे शहर के आसपास के 85 गांवों की 3947 हेक्टेयर ग्राम समाज की जमीन मिली। इसी तरह अरबन सीलिंग से 643 हेक्टेयर जमीन हासिल हुई। इस बीच केडीए ने करीब 705 हेक्टेयर जमीन का अर्जन किया। कुल मिलाकर एक समय केडीए के पास 5296 हेक्टेयर का लैंडबैंक हो गया था।

हाउसिंग स्कीम्स बसाई

अपने 5 हजार हेक्टेयर से अधिक के लैंडबैंक से अब तक केडीए कई बड़ी हाउसिंग स्कीम्स ला चुका है। इनमें श्याम नगर, किदवई नगर, बर्रा विश्व बैंक, दबौली, गुजैनी, आशियाना, इन्द्रा नगर, दीनदयालपुरम, स्वर्ण जयन्ती विहार, विस्तार, तात्या टोपे नगर, जरौली, देहली सुजानपुर, हरिकिशन नगर, चन्द्र नगरी, हाइवे सिटी सहित कई हाउसिंग स्कीम्स बसाईं। जिसमें लाखों लोगों के घर का सपना साकार हुआ है। इन हाउसिंग स्कीम्स को बसाने में केडीए ने 2873 हेक्टेयर जमीन उपयोग की है।

1200 फ्लैट के लिए खोज नहीं सका जमीन

केडीए ने अपने 5296 हेक्टेयर से अधिक के लैंडबैंक में से अप्रैल, 2014 तक 2873 हेक्टेयर जमीन ही यूज की। इस तरह उसके पास अभी भी लगभग 2422 हेक्टेयर जमीन होनी चाहिए। कागजों में ये भूमि उपलब्ध भी है पर हकीकत बहुत कड़वी है। सच तो ये है कि केडीए हाल ही में चीफ मिनिस्टर अखिलेश यादव के 5000 फ्लैट्स के लिए पूरी जमीन तक नहीं खोज सका है। काफी तलाश के बाद उसे 3800 फ्लैट के लिए शताब्दी नगर, जवाहरपुरम में जगह मिल सकी। बाकी बचे 1200 फ्लैट के टारगेट को पूरा करने के लिए केडीए को अपने करीब डेढ़ साल पुराने मल्टीस्टोरी प्रोजेक्ट्स का सहारा लेना पड़ा। मैनावती मार्ग, कल्याणपुर-बिठूर रोड और शताब्दी नगर में जिन मल्टीस्टोरी बनाने के लिए दिसंबर, 2013 में टेंडर किए गए थे, उनके 2 बीएचके फ्लैट समाजवादी आवास योजना में शामिल कर दिए गए हैं। जबकि इन ग्रुप हाउसिंग के प्रोजेक्ट्स में काफी संख्या में 3 बीएचके फ्लैट भी हैं पर हाल ही में निकाली गई समाजवादी आवास योजना में इन्हें शामिल नहीं किया गया है।

हाउसिंग स्कीम्स के लिए नहीं बची जमीन

इससे एक बात तो साफ है कि केडीए ऑफिसर जमीन की जबरदस्त समस्या से जूझ रहे हैं। इसीलिए वे पिछले काफी समय से हाउसिंग स्कीम के प्लॉट की बजाए 4 से 5 मंजिला बिल्डिंग्स में फ्लैट लाने के प्रोजेक्ट ला रहे हैं। इस कड़ी में पहले वह शताब्दी नगर, जवाहरपुरम में 7300 से अधिक फ्लैट ला चुके हैं। अब उसके पास कोई बड़ी हाउसिंग स्कीम या ग्रुप हाउसिंग प्रोजेक्ट्स लाकर कानपुराइट्स को घर उपलब्ध कराने के लिए कोई बड़ी जमीन नहीं बची है। इसीलिए वह नगवां, सतबरी, सकरापुर, जवाहरपुरम आदि जगहों पर जमीन मालिकों से करार नियमावली के तहत जमीन अर्जन के लिए समझौता करने में लगा हुआ है। यही नहीं गंगा के पार शुक्लागंज साइड माडर्न सिटी, मैनावती मार्ग व कल्याणपुर-बिठूर रोड के पास न्यू सिटी कानपुर के लिए जमीन पाने के लिए हाथ-पैर मारने में जुटा हुआ है। जिससे कोई बड़ी हाउसिंग स्कीम लाई जा सके।

भूमाफियाओं के कब्जे में है केडीए की जमीन

केडीए के पास कागजों में तो 2422 हेक्टेयर जमीन जरूर बची हुई है, लेकिन हकीकत ये है कि इसमें से ज्यादातर जमीनें भूमाफियाओं के कब्जे में हैं। भूमाफियाओं द्वारा केडीए की जमीनें हथियाने में बहुत बड़ा रोल खुद केडीए के प्रॉपर्टी सेक्शन व तहसील इम्प्लाइज का है। जिन्होंने भूमाफियाओं को केडीए की जमीनें बेंचे जाने पर रोक लगाने के लिए कुछ नहीं किया। भूमाफियाओं ने केडीए की जमीनों पर भी प्लाटिंग करके एक-दो नहीं बल्कि 200 के करीब कालोनी डेवलप कर दी हैं। उन्होंने तहसील, केडीए इम्प्लाइज की मिलीभगत से इन कालोनीज के प्लाटों की रजिस्ट्री भी कर दी। ये सिलसिला अभी जारी है। केडीए की भारी-भरकम एनफोर्समेंट टीम भी हाथ पर हाथ धरे बैठी रही। उसने भी केडीए की जमीनों पर बन रही इमारतों को रोकने की कोई कोशिश नहीं की। ये जरूर है कि 1995-96 में तत्कालीन एसडीएम मो। मुस्तफा ने भूमाफियाओं के खिलाफ अभियान चलाया था। इसी तरह केडीए वीसी बनने पर मो। मुस्तफा ने भूमाफियाओं के खिलाफ मुकदमें दर्ज कराए पर पहले से ही तहसील व केडीए इम्प्लाइज की भूमाफियाओं से सांठगांठ होने के कारण मुकदमें दर्ज कराने से ज्यादा वे भी कुछ नहीं कर सके। इन मुकदमों में लचर पैरवी के कारण ज्यादातर भूमाफिया बच निकले। पुलिस ने भी ज्यादातर मामलों में फाइनल रिपोर्ट लगा दी है।

जमीन तलाशने में लगी केडीए

जमीन की क्राइसिस के चलते अब केडीए अपनी जमीन तलाश कर उन्हें प्रशासन के साथ मिलकर खाली कराने में लगा हुआ है। इसके लिए पिछले दिनों केडीए के तहसीलदार बीएल पाल, महेश दीक्षित व किशोर गुप्ता की अगुवाई में टीमें बनाकर उन्हें सर्वे आदि जिम्मेदारी सौंपी गई है। फिलहाल इन टीमों को 14 गांवों में सरकारी जमीन तलाशने की जिम्मेदारी केडीए सेक्रेटरी जगदीश त्रिपाठी ने दी है। इनमें विसायकपुर कछार, ख्यौरा बांगर, मवैया, प्यौंदी, कपिली, बारासिरोही, पुरवा नानकारी, अर्रा, बिनगवां, खाण्डेपुर, छतमरा, सजारी, चकेरी, अहिरवां आदि शामिल हैं। तहसीलदारों के साथ इस काम में लेखपाल, अमीन सहित प्रॉपर्टी सेक्शन के अन्य इम्प्लाई भी लगाए गए हैं। जिससे केडीए की जमीनों पर अवैध कब्जे खाली कराए जा सकें। इन अवैध कब्जों को ध्वस्त करने के लिए एनफोर्समेंट टीमें भी लगाई गई हैं। इस कड़ी में फ्राइडे और सैटरडे को छतमरा में अभियान चलाया गया, जहां एडमिनिस्ट्रेशन और केडीए की टीम को जबरदस्त विरोध का सामना करना पड़ा है।

केडीए का लैंडबैंक

कब्जा प्राप्त भूमि- उपयोग की- बची जमीन

केडीए की अर्जित जमीन- 705.3348 हेक्टेयर- 318.0348 हेक्टे.- 387.3000 हेक्टे।

85 गांवों की मिली ग्राम समाज की जमीन- 3947.7190 हेक्टे.- 1432.9946 हेक्टे.- 1432.9946 हेक्टे।

अर्बन सीलिंग से मिली जमीन- 463.3600 हेक्टेयर- 41.1221 हेक्टे.- 602.2379 हेक्टे।

(डेटा- अप्रैल, 2014 तक का है)

केडीए की बसाई हाउसिंग स्कीम्स

किदवई नगर, बर्रा विश्व बैंक, जरौली, जरौली विस्तार, दबौली, गुजैनी, श्याम नगर, देहली सुजानपुर, स्वर्ण जयन्ती विहार व विस्तार, दीनदयालपुरम, चन्द्र नगरी, गंगापुर मछरिया, वैष्णवी विहार, वैदेही विहार, वसुधा विहार, तात्याटोपे नगर, पार्षद नगर, इन्द्रा नगर, काकादेव, अर्रा बिनगवां आदि

अवैध रूप से बसी कालोनीज

गोपाल नगर, दामोदर नगर, पहाड़पुर, द्विवेदी नगर, सिद्धार्थ नगर, भाभा नगर, विमान नगर, जवाहरपुरम, रामपुरम, मंगला विहार, बाबा नगर, गदियाना, चन्दन नगर, रामपुरम, नारायणपुरी, बख्तौरीपुरवा, खाण्डेपुर, ताज नगर, भगवती नगर, आदर्श नगर, मथुरा नगर, कैलाश नगर, न्यू आजाद नगर, न्यू अशोक नगर, राजीव नगर, गंगा नगर, लखनपुर, संजय गांधी नगर, चाणक्यपुरी, भवानी नगर, यशोदा नगर, शंकराचार्य नगर, गिरिजा नगर, गांधीग्राम, विनोबा आदि