-इंस्टीट्यूट को चार साल मे करीब एक करोड़ की चपत लगेगी

-काउंसिलिंग की टाइमिंग पड़ गई भारी, मैन ब्रांच की सीट्स भी रह गई खाली

KANPUR:

यूपीटीयू के गलत काउंसिलिंग शेड्यूल का खामियाजा इस बार एचबीटीआई को भुगतना पड़ रहा है। मौजूद स्थिति यह है कि बीटेक की अलग-अलग ब्रांच में 44 सीटें खाली रह गई हैं। जिसकी वजह से इंस्टीट्यूट को चार साल में करीब एक करोड़ रुपए का नुकसान उठाना पड़ेगा।

पहले काउंसिलिंग कराना भारी पड़ा

एचबीटीआई में फ‌र्स्ट टाइम आईआईटी से पहले एडमिशन प्रॉसेस शुरू किया गया था। फ‌र्स्ट राउंड की काउंसिलिंग पूरी हुई तो इंस्टीट्यूट में सभी ब्रांच की सीट्स फुल हो गई थीं, लेकिन जैसे ही आईआईटी, नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी और ट्रिपल आईआईटी में एडमिशन प्रॉसेस शुरू हुए तो एचबीटीआई में सीट ब्लॉक करने वाले मेरीटोरियस स्टूडेंट्स वहां पर चले गए। यही वजह है कि इस बार एनआरआई कोटे की भी 9 सीटें खाली रह गई हैं।

पहले ऐसी हालत नहीं थी

उत्तर प्रदेश टेक्निकल यूनिवर्सिटी पहले काउंसिलिंग तभी शुरू करता था, जब आईआईटी, एनआईटी व ट्रिपल आईआईटी में एडमिशन प्रॉसेस पूरा हो जाता था। ऐसी कंडीशन में अन्य इंस्टीट्यूट्स में एडमिशन न पाने वाले स्टूडेंट्स के लिए एचबीटीआई ही ऑप्शन बचता था।

फस्ट ईयर में 658 सीट्स

एचबीटीआई के डिप्टी रजिस्ट्रार प्रो। सुधीर कुमार शर्मा ने बताया कि बीटेक में 478 सीटों पर स्टूडेंट्स को एडमिशन दिया जाता है। इसमें 24 सीटें एफडब्ल्यू केटेगिरी की भी बाद में जोड़ी जाती हैं। एमसीए में 60 सीटों पर और लेटरल एंट्री में 96 सीटों पर स्टूडेंट्स को एडमिशन मिलता है। इसमें लेटरल एंट्री की सभी सीट्स फुल हो गई हैं। इस तरह से फ‌र्स्ट ईयर में 658 सीटों पर एडमिशन दिया जाता है।

614 सीट्स पर हुए एडमिशन

सेशन 2015-16 में 614 सीट्स पर स्टूडेंट्स ने एडमिशन लिया है। बायो केमिकल में 4 और फूड टेक्नोलॉजी में 6 सीट खाली रह गई हैं। सभी ब्रांच में दो से तीन सीटें खाली पड़ी हैं। अहम बात यह है कि कोर ब्रांच में भी सीटें खाली पड़ी हैं। कम्प्यूटर साइंस, आईटी, मैकेनिकल इंजीनियरिंग, इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग, इलेक्ट्रानिक्स इंजीनियरिंग जैसी ब्रांच में भी सीटें खाली रह गई हैं।

'देश के प्रॉमिनेंट इंजीनियरिंग संस्थानों में एडमिशन प्रॉसेस बाद में शुरू हुआ। जिसकी वजह से एचबीटीआई में पहले सीट लॉक कराने वाले स्टूडेंट्स वहां पर शिफ्ट हो गए। काउंसिलिंग की टाइमिंग भारी पड़ गई। इंस्टीट्यूट की बीटेक की 44 सीटें खाली हैं। जिससे करीब एक करोड़ का नुकसान हो गया.'

-प्रो। एके नागपाल, डायरेक्टर एचबीटीआई।