नकाब हटाने पर फौरन गोली मारने का था आदेश

फ्रांस के मशहूर सम्राट लुई चौदहवें के शासनकाल में मृत्यु को प्राप्त हुआ वह नकाबपोश कैदी आखिर कौन था। इस रहस्यमयी व्यक्ति के मृत्यु के तुरंत बाद फ्रांस के एक राजकुमार ने अंग्रेजी दरबार के अपने एक मित्र को यह पत्र लिखा था जिसमें लिखा था कि कई वर्षों से एक आदमी बास्तील के जेल में नकाब पहनकर रह रहा था। इसी हालत में उसकी मृत्यु हो गई। दो बंदूकधारी रक्षक हमेशा उसकी निगरानी में रहते थे ताकि वह कभी अपना नकाब न निकाल सके।नकाब हटाने पर उसे तत्काल गोली मार देने का आदेश था। नकाब लगाए रखने के अलावा उसे और किसी प्रकार की यातना नहीं दी जाती थी। उसके निवास और भोजन का अच्छा प्रबंध था। उसी सुविधा के अनुसार उसे रखा जाता था। अभी तक किसी को जानकारी नहीं हो सकी है कि वह कौन था

इतिहासकारों ने लुई 14वें का जुड़वा भाई बताया था कैदी को

फ्रांस का न सिर्फ यूरोप के बल्कि पूरे विश्व के इतिहास की दिशा तय करने में महत्वपूर्ण योगदान रहा है। इसी फ्रांस के इतिहास का एक अध्याय ऐसा है जो आजतक रहस्य बना हुआ है। विश्वभर में फ्रांस के इतिहास के इस पहलू पर इतना लिखा और कहा जा चुका है कि यह अपने आप में एक किंवदंती बन चुका है।इस कैदी को इतने रहस्यमई तरीके से रखा गया था कि राजपरिवार के लोगों को भी इसकी पहचान नहीं थी। प्रख्यात फ्रेंच उपन्यासकार अलेक्जेंडर ड्यूमा ने इस घटना से प्रेरेणा लेकर अपना प्रसिद्ध उपन्यास ‘द मैन इन द आयरन मास्क’ लिखा था। इस उपन्यास में उसने यह संभावना प्रकट की थी कि वह रहस्यपूर्ण कैदी स्वयं सम्राट लुई होगा। जिसे उसके जुड़वा भाई ने इस सम्मानित कैद में डाल कर वह स्वयं राजा बन बैठा था। पर यह उपन्यासकार की महज कल्पना मात्र सी लगती है क्योंकि लुई का कोई जुड़वा भाई था ऐसा कोई साक्ष्य मौजूद नहीं है।

क्या नकाबपोश ही था लुई 14वें का जैविक पिता

ज्यादातर इतिहासकार इस बात पर सहमत हैं कि यह रहस्यमई कैदी लुई 14वें का जैविक पिता था। प्रख्यात राजनीतिज्ञ एवं विद्वान लॉर्ड क्विकजोट ने अपने शोध के आधार पर यह निष्कर्ष निकाला था। उनके अनुसार लुई चौदहवें के वैधानिक पिता लुई 13वें और उसकी रानी ऐन को जब संतान न हुई तो फ्रांस के सर्वोच्च धर्माध्यक्ष तथा राजा के प्रथम मंत्री कार्डिनल.डी.रिचुल को राज्य के उत्तराधिकारी की फिक्र हुई। उस समय फ्रांस की तत्कालीन राजनीतिक और सामाजिक स्थिति ऐसी थी कि राजपरिवार, सामंत और धनी वर्ग के लोग किसी भी प्रकार की सामाजिक वर्जना से दूर निर्भय होकर एक से अधिक स्त्रियों से यौन संबंध बनाए रखते थे।

लुई 13वें की नहीं किसी और के पुत्र थे लुई 14

लुई तेरहवें के पिता की कई नजायज संताने समाज में अपना स्थान बनाकर पेरिस में रह रही थी। ऐसे ही एक शाही रक्त वाले व्यक्ति को रिचेल ने रानी से नियोग के लिए चुना। तत्कालीन परिस्थितियों के मद्देनजर रानी ऐन के पास उस व्यक्ति से संबंध बनाने के अलावा और कोई विकल्प नहीं था। 1638 ई. में रानी के गर्भ से एक पुत्र का जन्म हुआ जो आगे चलकर लुई 14वां बना। लुई चौदहवां जब कुछ बड़ा हुआ तो लोग काना-फूसी करने लगे कि राजकुमार अपने वैधानिक पिता लुई तेरहवें से भिन्न है। उनकी मुखारकृति में भी पर्याप्त अंतर था। कयास लगाया जाता है कि लुई चौदहवें के असली पिता को लुई के जन्म के बाद कानडा भेज दिया गया था। ताकि राजपरिवार का भेद सुरक्षित रहे। कुछ वर्षों बाद जब लुई राजा हुआ तो वह फ्रांस इस उम्मीद से लौट आया कि अपने पुत्र की कृपा से वह सुखपूर्वक जीवन व्यतीत कर सकेगा।

मृत्यु के बाद भी नहीं हटा चेहरे से मखमली नकाब

जब यह व्यक्ति पेरिस पहुंचा तो राजा के जन्म को लेकर अफवाहें फैलने लगी। इस व्यक्ति की मुखाकृति को लुई 14वें से मिलता जुलता बताया गया था। जिसे लेकर कई तरह की बाते होने लगी। इस व्यक्ति के कारण राज्य में अशांति होने लगी इसका एक ही समाधान था कि इस व्यक्ति को मरवा दिया जाए पर लुई इतना क्रूर नहीं हो सका कि वह अपने पिता को मार डाले। इसलिए इस व्यक्ति को कारागार में डाल दिया गया और संसार के दृष्टि से हटाने के लिए इसे हमेशा-हमेशा के लिए नाकाब पहने रहने का आदेश सुना दिया गया। इस कैदी को मृत्यु के बाद भी उस मखमली नाकाब में ही दफनाया गया जिसे वह ताउम्र पहने रखा था। जेल के रिकॉर्डों में उसका छद्मनाम यूस्ताश डॉगर था। जिसका अर्थ होता है एक दास।

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