आई एक्सक्लूसिव

-खराब फोटो के चलते कई लाइसेंस पुलिस बता रही है फर्जी

-पीडि़त लोगों ने की आरटीओ से शिकायत, लगा रहे चक्कर

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KANPUR : आरटीओ की लापरवाही से आम लोगों को जबरदस्ती के चक्कर लगाने पड़ रहे हैं। दरअसल, आरटीओ से बने डीएल इतने खराब बने हैं कि डीएल में फोटो ही क्लियर नहीं हुई है। ऐसे में इन डीएल को लेकर चल रहे लोगों को ट्रैफिक पुलिस वाले रोककर उनका चालान काट रहे हैं और लाइसेंस को फर्जी बता रहे हैं। बाद में अपनी बात को सिद्ध करने के लिए लोगों को आरटीओ व ट्रैफिक लाइन के कई-कई चक्कर लगाने पड़ रहे हैं।

खराब कैमरे की वजह से दिक्कत

आरटीओ में डीएल बनवाने के लिए आ रहे अप्लीकेंट्स की फोटो खींची जाती है। दरअसल, एक कंप्यूटर का कैमरा इतना खराब है कि उससे खींची गई फोटो निगेटिव की तरह आती है। फोटो से व्यक्ति की पहचान करना मुश्किल हो जाता है। वहीं आरटीओ के अधिकारी व कर्मचारी भी इस ओर ध्यान नहीं देते हैं और वैसे ही फोटो लगाकर डीएल को भेज देते हैं। वहीं इस बारे में एजेंसी वालों का कहना है कि कैमरा सही है, लेकिन ऐसी जगह पर फोटो खींची जाती है, जिससे फोटो को फोकस नहीं मिल पाता है और फोटो खराब हो जाती है।

कई लोग लगा रहे हैं चक्कर

कई ऐसे लोग हैं, जो डीएल सही होने के बावजूद आरटीओ के चक्कर लगा रहे हैं, क्योंकि उनका चालान कट चुका है। फजलगंज निवासी मो। इश्तियाक ने बताया कि परेड चौराहे से फजलगंज जाते समय उनका चालान कटा था। लाइसेंस 4 माह पहले ही बनाया था लेकिन फोटो खराब होने के चलते पुलिस वाले लाइसेंस फर्जी मान रहे थे और चालान काट दिया। ऐसे एक नहीं कई मामले सामने आ चुके हैं।

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सही करने के दिए गए निर्देश

इस संबंध में जब कई शिकायतें आ जाने के बाद एआरटीओ प्रभात पाण्डेय ने कंप्यूटर एजेंसी को तकनीकी खामी सही करने के निर्देश जारी किए हैं। कंप्यूटर एजेंसी प्रमुख को कंप्यूटर के कैमरे की गुणवत्ता दुरुस्त करने के निर्देश दिए गए हैं। वहीं ये भी कहा जा रहा है कि चूंकि फोटो ऐसी जगह खींची जाती है, जहां रोशनी का बैलेंस नहीं बन पाता है। इसकी वजह से फोटो खराब होती है।

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पहले भी हो चुकी हैं कई शिकायतें

खराब फोटो की बात छोड़ भी दें तो ये कोई पहला केस नहीं है। इससे पहले भी कई तरह के केसेज हो चुके हैं। करीब 6 माह पूर्व दिल्ली से 54 ऐसे लाइसेंस पकड़े गए थे, जिन्होंने ट्रैफिक रूल्स तोड़ा था। दिल्ली पुलिस ने कानपुर आरटीओ को ये लाइसेंस कैंसिल करने के लिए भेजा था, लेकिन जब ये लाइसेंस यहां आए तो पता चला कि ऐसे कोई लाइसेंस कभी बने ही नहीं हैं। यानी कि फर्जी थे। सूत्रों बताते हैं कि कानपुर आरटीओ फर्जी लाइसेंस बनवाने का बड़ा हब रहा है। इसलिए कानपुर के बने लाइसेंस शक के दायरे में आते हैं।

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कंप्यूटर एजेंसी वालों को कैमरे सही करवाने के निर्देश दिए गए हैं। जल्द ही कैमरे सही हो जाएंगे, जिसके बाद फोटो साफ आएगी।

-प्रभात पाण्डेय, एआरटीओ