- दो लोगों में स्वाइन फ्लू के लक्षण मिलने से स्वास्थ्य महकमे मचा हड़कंप

- दोनों के सिविल अस्पताल में सैंपल लेने के बाद भेजा गया दिल्ली लैब

ROORKEE (JNN) : साउथ सिविल लाइंस निवासी एक युवक एवं सालियर गांव निवासी एक सोलह वर्षीय किशोर में स्वाइन फ्लू के लक्षण मिलने से स्वास्थ्य महकमे में हड़कंप मच गया। दोनों का रुड़की सिविल अस्पताल में सैंपल लिया गया है। सैंपल को जांच के लिए दिल्ली स्थित लैब में भेजा गया है।

दिखे स्वाइन फ्लू के लक्षण

स्वास्थ्य विभाग के मुताबिक साउथ सिविल लाइंस निवासी एक युवक एवं सालियर गांव निवासी एक किशोर का रुड़की के एक निजी अस्पताल में उपचार चल रहा है। दोनों में चिकित्सक को स्वाइन फ्लू जैसे लक्षण दिखाई दिए। चिकित्सक ने इसकी जानकारी स्वास्थ्य विभाग को दी, जिस पर स्वास्थ्य विभाग ने दोनों को सिविल अस्पताल रुड़की के आइसोलेशन वार्ड में जाने की सलाह दी। सिविल अस्पताल के लैब टेक्नीशियन ने दोनों के सैंपल लेकर उन्हें परीक्षण के लिए दिल्ली लैब को भेज दिया है। अस्पताल में दो लोगों के स्वाइन फ्लू के सैंपल लेने के बाद से अस्पताल के चिकित्सक एवं स्वास्थ्य कर्मी भी डरे हुए हैं।

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बढ़ रहे खांसी-जुकाम के मरीज

बदलते मौसम के चलते सिविल अस्पताल रुड़की में लगातार खांसी, जुकाम एवं वायरल इंफेक्शन से पीडि़त मरीजों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है, जिसकी वजह से अस्पताल के डॉक्टर्स की चिंता भी बढ़ हुई है। ईएनटी विशेषज्ञ डॉ। टी खान ने बताया कि दो दिन से तापमान गिरने की वजह से सर्दी, जुकाम के पीडि़त मरीज की संख्या बढ़ी है।

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लापरवाही का अब भुगत रहे परिणाम

- फरवरी की शुरुआत तक विभाग के नहीं उपलब्ध में किट

- सुविधा के नाम पर बनाया गया था बस आइसोलेशन वार्ड

- विभाग की लापरवाही ने ली तीन महिलाओं कर जान

HARIDWAR (JNN) : स्वाइन फ्लू को लेकर शुरुआत में स्वास्थ्य विभाग की ओर से बरती गई लापरवाही के परिणाम अब सामने आ रहे हैं। जिन चार महिलाओं की स्वाइन फ्लू से मौत हुई है, वे सभी उस समय भर्ती हुई थीं जब विभाग के पास तैयारियों के नाम सिर्फ आइसोलेशन वार्ड था। लोगों में जानकारी की कमी होने के कारण कब यह बीमारी पांव पसार गई, पता ही नहीं चला। खतरे की घंटी तब सुनाई दी जब एक बाद एक तीन महिलाओं को सांस लेने में तकलीफ होने के कारण वेंटिलेटर पर रखा गया।

पिछले साल नहीं था प्रकोप

पिछले साल जनपद में स्वाइन फ्लू का एक भी मामला सामने नहीं आया, जिसके चलते विभाग ने स्वाइन फ्लू के फिर न लौटने का भ्रम पाल लिया। जो इस वर्ष तक जारी रहा। हालांकि दिसंबर में पड़ोसी राज्यों की स्थिति देखते हुए जनपद में भी अलर्ट घोषित कर दिया गया। साथ ही विभाग को स्वाइन फ्लू से निपटने की तैयारी भी पूरी करने का कहा गया। पर पिछली साल की तरह इस बार भी स्वाइन फ्लू को हवा-हवाई मानते हुए विभाग आखिरी समय तक हाथ पर हाथ धरे बैठा रहा। स्थिति यह थी कि फरवरी शुरुआत तक विभाग के पास न तो किट ही और न ही कोई गाइडलाइन। ऐसे में इलाज तो दूर बीमारी को लेकर जागरुकता की भी कोई सूरत नहीं बन रही थी।

स्वास्थ्य विभाग ने झाड़ लिया पल्ला

दूसरी ओर, इन्हीं दिनों रुड़की की पनियाला निवासी मरियम की स्वाइन फ्लू से मौत हो गई थी। स्वास्थ्य विभाग ने इस मामले को जौलीग्रांट का बताकर पल्ला झाड़ लिया। साथ ही साथ अपनी तैयारी भी शुरू कर दी। जब तक डॉक्टर और आम लोग इस बीमारी के लक्षण और बचाव के बारे में जान पाते तब तक बहुत देर हो चुकी थी। छह फरवरी को स्वाइन फ्लू की आखिरी कैटेगरी में भर्ती हुई न्यू सुभाषनगर निवासी तुन जैन और शिवालिक नगर निवासी रेखा जैन ने इसकी पुष्टि कर दी। दोनों की मौत हो चुकी है।

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ग्रामीण क्षेत्रों में खतरे की घंटी

अब तक ज्यादातर मामले शहरी क्षेत्रों से आने के कारण विभाग का फोकस केवल शहरी क्षेत्रों तक समिति है। वेडनसडे को लक्सर के ग्रामीण क्षेत्र में हुई महिला की मौत ने ग्रामीण क्षेत्रों में भी दहशत फैला दी है।

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ग्रामीण क्षेत्र में तैयारियां शून्य

ग्रामीण क्षेत्रों में स्वाइन फ्लू से निपटने के लिए विभाग के पास कोई तैयारी नहीं है। इस घटना के बाद भी अगर विभाग ने ग्रामीण क्षेत्रों पर ध्यान नहीं दिया तो स्थिति और बिगड़ सकती है।

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अधिक है मौत का खतरा

जिला अस्पताल में स्वाइन फ्लू इलाज के नोडल अधिकारी डॉक्टर संदीप निगम का कहना है कि यदि कोई मरीज स्वाइन फ्लू की तीसरी स्टेज में भर्ती होता है तो उसकी मौत का खतरा बढ़ जाता है। पुरुषों में यह दर ख्ब् और महिलाओं में ख्7 फीसद है। यदि समय रहते इसकी पहचान हो जाए तो इलाज आसान हो जाता है।

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ग्रामीण क्षेत्रों में जागरुकता के लिए टीम बनाई जा रही है। इसके अलावा सभी सीएचसी में किट और दवा उपलब्ध कराई जा रही है।

- डॉ। सुषमा गुप्ता, सीएमओ, हरिद्वार