दुती चंद के जज्‍बे को सलाम,बैन से लेकर रियो ओलंपिक तक का शानदार सफर
गरीबी से जज्बा कम नहीं हुआ
ओडिसा की एथलीट दुती चंद बहुत ही गरीब परिवार से बिलॉन्ग करती हैं, लेकिन गरीबी ने उनका जज्बा कम नहीं होनो दिया और उन्होंने एथलीट बनने के अपने सफ र को शुरू किया। इस सफर के दौरान उनको कई रूकावटे भी आई लेकिन वो थमी नहीं। 20 साल की दुती चंद ने कजाखिस्तान की प्रतियोगिता में महिलाओं की 100 मीटर रेस 11.30 सेकेंड में पूरी की और इस तरह से रियो ओलंपिक में अपनी जगह पक्की कर ली।
दुती चंद के जज्‍बे को सलाम,बैन से लेकर रियो ओलंपिक तक का शानदार सफर
अपने रिकार्ड को दी मात
कजाखिस्तान के अलमाटी में 26वें जे कोसनोव मेमोरियल मीट में भाग लेकर रियो ओलंपिक में अपनी जगह बनाने के साथ-साथ दुती ने अपने ही बनाए नेशनल रिकॉर्ड को मात दी इसके साथ ही उन्होंने एक नया रिकॉर्ड भी बनाया। रियो ओलंपिक में अपनी जगह बनाने के लिए 100 मीटर रेस को पूरा करने के लिए 11.32 सेकेंड का क्वालिफिकेशन टाइम रखा गया था, लेकिन इस रेस को दुती ने 11.30 सेकेंड में ही खत्म कर लिया और एक नया रिकॉर्ड बनाया। इसके साथ ही 36 साल बाद दुती पहली भारतीय महिला हैं जिसने ओलंपिक में क्वालिफाई किया है। इससे पहले 1980 में पीटी ऊषा ने 100 मीटर रेस के लिए क्वालिफाई किया था।
दुती चंद के जज्‍बे को सलाम,बैन से लेकर रियो ओलंपिक तक का शानदार सफर
हो गई थी फेल
दुती के लिए यह सत्र बेहतरीन साबित हुआ है। दिल्ली में सम्पन्न हुए फेडरेशन कप टूर्नामेंट में दुती मात्र 0.01 सेकंड से रियो का टिकट हासिल करने से चूक गई थीं लेकिन कजाकिस्तान में उन्होंने यह कारनामा कर दिखाया और रियो में अपनी जगह पक्की कर ली।
दुती चंद के जज्‍बे को सलाम,बैन से लेकर रियो ओलंपिक तक का शानदार सफर
एक समय लगा था बैन
जी हां दुती पर बैन भी लग गया था लेकिन इसके बावजूद उन्होंने हिम्मत से काम लिया। जुलाई 2014 में ग्लासगो कॉमनवेल्थ गेम्स के स्टार्ट होने के कुछ दिन पहले ही इंडियन फेडरेशन ने दुती पर बैन लगा दिया था। ये बैन शारीरिक परेशानी के कारण लगा था। दरअसल दुती के शरीर में टेस्टोस्टेरोन का लेवेल कई गुना ज्यादा था जिसके चलते उनको डिस्क्वालिफाई कर दिया गया था और उनपर बैन भी लग गया था।
दुती चंद के जज्‍बे को सलाम,बैन से लेकर रियो ओलंपिक तक का शानदार सफर
बैन को दी चुनौती
अपने ऊपर लगे बैन से दुती घबराई नहीं। वो करीब एक साल तक किसी भी प्रतियोता में हिस्सा नहीं ले पाई लेकिन उन्होंने साहस बनाए रखा। उन्होंने पूरी हिम्मत के साथ स्विट्जरलैंड में स्थित कोर्ट ऑफ आर्बिट्रेशन ऑफ स्पोर्ट्स (सीएएस) में इस बैन के खिलाफ अपील की है। कोर्ट ने दुती की बात समझी और उनपर से बैन हटा दिया जिसके बाद एक बार फिर से उन्होंने अपना करीयर स्टार्ट किया।

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