- दस दिन से बिना बरसे घुमड़ रहे बादल, किसानों में मायूसी

- जून में औसत 70 मिमी की जगह मात्र 4 मिमी की बारिश

FATEHPUR: कमजोर मानसून ने किसानों की ¨चता बढ़ा दी है। जून माह में 70 मिमी की औसत बारिश के बजाय जिले में मात्र 4 मिमी की बारिश हुई। बारिश रिकार्ड में प्रदेश के सबसे निचले पायदान में खड़े जनपद में धान के अच्च्छादन लक्ष्य को पूरा करने का संकट खड़ा हो गया है। अगेती धान की फसल करने वाले किसानों की नर्सरी सूखने लगी है। छलिया बादल दस दिन से घुमड़ कर निकल जाते हैं। कहीं बूंदाबांदी तो कहीं फुहारी बारिश से आसमां की ओर टकटकी लगाए किसान मायूस हो रहे हैं।

पहला सप्ताह सूखा रहा

बारिश के रिकार्ड पर नजर डाली जाए तो दस साल में वर्ष 2010 के बाद इस साल ही जून व जुलाई का पहला सप्ताह सबसे सूखा रहा। यूं तो घुमड़ते बादलों के साथ मानसून ने बीस जून से ही दस्तक दे थी। यह था कि शुरूआती दौर में च्च्छी बारिश हो जाएगी तो खेती-किसानी बेहतर हो जाएगी। च्च्छी किसानी के लिए जून में औसत बारिश 70 मिमी होनी चाहिए, हालत यह है कि जून में जिले में मात्र चार मिमी बारिश हुई। जुलाई में 278 मिमी औसत बारिश के सापेक्ष छह जुलाई तक पांच मिमी बारिश रिकॉर्ड की गई है। फतेहपर जनपद अभी तक पूरी तरह से सूखा पड़ा हुआ है। प्रदेश में बारिश के रिकॉर्ड में सबसे निचले पायदान में खड़े जनपद में धान का अच्च्छादन रूका हुआ है। खरीफ में धान के अच्च्छादन का लक्ष्य 83 हजार हेक्टेअर का है। अभी तक मात्र दस फीसदी धान का अच्च्छादन हो पाया है। जबकि पिछले साल अब तक पचास फीसदी से अधिक का अच्च्छादन हो गया था।

सरकारी नलकूपों का भरोसा नहीं

बारिश न होने से धान की नर्सरी मुरझाने लगी है। किसान इस बात को लेकर मायूस हैं कि बारिश कम हुई तो धान का चच्छादन जैसे-तैसे कर भी लेंगे तो आगे फसल कैसे बच पाएगी। सरकारी नलकूप व नहरों का कोई भरोसा नहीं है। भिटौरा व खजुहा ब्लॉक को छोड़ दिया जाए तो धान की खेती पूरे जिले में पिछड़ी हुई है। लक्ष्य को लेकर कृषि विभाग भी ¨चतित है।

तिल की खेती पर जोर

कमजोर मानसून को देखते हुए कृषि विभाग धान की जगह तिल की खेती पर जोर दे रहा है। जिला कृषि अधिकारी रविकांत सिंह ने बताया कि यूं तो पूरे जुलाई माह धान कच् आच्छादन हो सकता है। बारिश में विलम्ब होने की स्थिति में किसानों को सीधे धान की बुआई करने की सलाह दी जाएगी। उन्होंने कहा कि कम बारिश की संभावना को देखते हुए तिल के क्षेत्रफल में दो गुना का इजाफा किया गया है। तिल के अलावा ज्वार, बाजरा, मक्का की खेती करने की सलाह किसानों को दी जाएगी।

जून माह की बारिश का रिकॉर्ड

- वर्ष - बारिश

- 2005 - 12.8 मिमी

-2006 - 41.8 मिमी

- 2007 - 49.2 मिमी

- 2008 - 352.5 मिमी

- 2009 - 25.1 मिमी

- 2010 - 2.0 मिमी

- 2011 - 213.6 मिमी

- 2012 - 12.3 मिमी

- 2013 - 479.6 मिमी

- 2014 - 47.2 मिमी

- 2015 - 4.9 मिमी