-राजधानी में दो साल में 21 मीटर सरक, 176 पर पहुंचा वाटर लेवल, लखनऊ यूनिवर्सिटी की जांच रिपोर्ट से आया सच

-सदर, कैंट एरिया की हालत सबसे अधिक खराब, ट्यूबवेल और सबमर्सिबल से सबसे ज्यादा दोहन

LUCKNOW : बीते दो सालों में राजधानी के वाटर लेवल रसातल में पहुंच गया है। दो साल में राजधानी का वोटर लेबर 21 मीटर नीचे चला गया गया है। 2015 में एक सर्व में राजधानी का वाटर लेबर 155 मीटर था जबकि मौजूदा समय में 176 मीटर पहुंच गया है। सदर और कैंट एरिया की हालत तो सबसे अधिक भयावह है, यहां ग्राउंड वाटर का सबसे ज्यादा दोहन किया गया है। लखनऊ यूनिवर्सिटी की ओर से हाल ही में कराए सर्वे बताता है कि जल दोहन पर नियंत्रण नहीं किया गया तो आने वाले कुछ सालों में राजधानी को पानी की बूंद-बूंद के लिए भी तरसना पड़ेगा।

सात जिलों की मॉनीटरिंग

यूपी गवर्नमेंट ने एलयू के भूगर्भ डिपार्टमेंट को सात जिलों के ग्राउंड वाटर लेवल की मॉनीटरिंग करने की जिम्मेदारी दी थी। जिसमें लखनऊ, कानपुर, उन्नाव, रायबरेली, इटावा, फरूर्खाबाद और कन्नौज शामिल है। भूगर्भ विभाग के एचओडी प्रो। विभूति राय की टीम की अगुवाई में जांच में कई चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं। जिसमें राजधानी में औसत ग्राउंड वाटर लेवल 172 पीजोमीटर तक पहुंच गया है। असल में पीजोमीटर एक ऐसी डिवाइस है जिससे ग्राउंड वाटर लेवल की माप की जाती है।

हर साल तीन मीटर गिर रहा लेवल

राजधानी में बीते दस वर्षो में हर साल एक से तीन मीटर तक औसतन ग्राउंड वाटर लेवल गिर रहा है। जहां पिछले कुछ सालों में ग्राउंड वाटर लेवल का स्तर करीब 155 मीटर के आसपास था, वह अब बढ़कर 176 मीटर तक पहुंच गया है। इसका सबसे बड़ा कारण घरेलू बोरिंग और प्राइवेट ट्यूबवेल हैं। जिन्होंने बिना कोई मानक तय किए ग्राउंड वाटर का दोहन किया है।

घरेलू बोरिंग पर रोक लगे

सरकार को अब इन पर रोक लगाने की जरूरत है। अगर इन्हें अभी नहीं रोका गया तो अगले तीन सालों में लखनऊ का ग्राउंड वाटर लेवल लगभग समाप्त हो जाएगा। उन्होंने बताया कि ग्राउंड वाटर लेवल का सबसे खराब स्तर सदर कैंट एरिया में है। यहां पर करीब 150 मीटर पर ग्राउंड वाटर का पहला निशान मिलता है। जबकि बाकि एरिया में यह औसतन 120 मीटर के आसपास है।

कैसे नापा जाता है वाटर लेवल

पीजोमीटर एक ड्राइव है जो कि ग्राउंड वाटर लेवल को नापता है। वाटर लेवर को दो तरह से नापा जाता है। पहला सुबह के समय जब कि वाटर लेवल सही मानक में होगा और दूसरा शाम के समय जब दिन भर पानी का यूज करने के लिए वाटर लेवल कम होता है। उसी के अंतर से यह पता लगाया जाता है कि कितने पानी की खपत हुई है और कितना फीसदी वाटर लेवल घट रहा है।

लालबाग में तेजी से गिर रहा वाटर लेवल

राजधानी में कुछ एरिया ऐसे हैं, जहां तेजी से ग्राउंड वॉटर लेवल नीचे जा रहा है। लालबाग में सबसे ज्यादा 38.9 एमबीजीएल की दर से ग्राउंड वाटर लेवल नीचे जा रहा है। इसके बाद एचएएल में 33 एमबीजीएल, महानगर में 32.7 एमबीजीएल और नाऊ बस्ता पुराने लखनऊ में 32.4 एमबीजीएल के दर से ग्राउंड वाटर लेवल हर साल नीचे जा रहा है।

इन जगहों पर हालात कुछ ठीक

कुकरैल फॉरेस्ट रेंज, मोहनलालगंज और सरोजनीनगर में ग्राउंड वाटर लेवल में गिरावट कम दर्ज की गई है। इन क्षेत्रों में क्रमश: 23.4 एमबीजीएल, 2.18 एमबीजीएल और 13.4 एमबीजीएल पाया गया है। इन सभी जगहों पर ग्राउंड वाटर लेवल को नापने के लिए सुबह सुबह डिजिटल ग्राउंड वाटर लेवल रिकॉर्डर लगाया गया था। क्योंकि उस समय जमीन के अंदर पानी का लेवल दिन की तुलना में सही पाया जाता है।

कोट

ग्राउंड वाटर लेवल की रिपोर्ट सरकार को दे दी गई है, ताकि वह इन क्षेत्रों में ग्राउंड वाटर के लेवल पर निगरानी रख सके। साथ ही इसे रोकने और इस पर सख्त कानून बनाने के लिए कार्रवाई कर सके।

प्रो। विभूति राय, एचओडी, भूगर्भ विभाग, एलयू

बॉक्स

यहां का हाल खतरनाक

सदर कैंट - 44.6 एमबीजीएल

लालबाग - 38.9 एमबीजीएल

एचएएल - 33 एमबीजीएल

विकास भवन इंदिरा नगर - 34 एमबीजीएल

महानगर - 32.7 एमबीजीएल

यहां हालात ठीक हैं

मोहनलालगंज - 2.18 एमबीजीएल

कुकरैल फॉरेस्ट रेंज - 23.4 एमबीजीएल

त्रिवेणी नगर - 26.9 एमबीजीएल

सरोजनी नगर - 13.33 एमबीजीएल