ओएलएक्स और क्वीकर जैसी वेबसाइट्स पर बिकने वाला हर सामान सच्चा नहीं होता। यदि आपने इन साइट्स के जरिये खरीदारी में चालाकी नहीं दिखाई तो समझिये आप अच्छी खासी मुसीबत में फंस सकते हैं। ऐसा ही केस अपने बनारस का है जहां शातिर दिमाग और इंजीनियरिंग के कुछ स्टूडेंट्स ने न सिर्फ बाइक चोरी की बल्कि उसे ओएलएक्स पर बेचने के लिये डाल दिया। आप सोच रहे होंगे कि फिर वो पकड़े कैसे गये? यही है असली कहानी, पढि़ये अंदर के पेज पर

बीटेक की पढ़ाई संग चोरी की कमाई

- इंजीनियरिंग करने वाले तीन स्टूडेंट्स ने दोस्त के दोस्त की चुराई बाइक

- चोरी के माल के लिेय ऑनलाइन तलाश रहे थे ग्राहक मगर खा गये गच्चा

- फेक कस्टमर बनकर पुलिस बुलाया, दो हुए गिरफ्तार, एक है फरार

VARANASI :

नाम : नितेज जैकब

निवास : मुगलसराय

पिता : रेलवे कर्मचारी

एजुकेशन : बीटेक स्टूडेंट

शौक : हाई-फाई लाइफ स्टाइल

पेशा : चोरी

कार्यक्षेत्र : बनारस-मुगलसराय

नाम : नीरज गुप्ता

निवास : सोनारपुरा

पिता : बिजनेसमैन

एजुकेशन : बीटेक स्टूडेंट

शौक : हाई-फाई लाइफ स्टाइल

पेशा : चोरी

कार्यक्षेत्र : बनारस

नाम : पीयूष गुप्ता

निवास : सुंदरपुर

पिता : (जानकारी नहीं)

प्रोफाइल : बीटेक स्टूडेंट

शौक : हाई-फाई लाइफ स्टाइल

पेशा : चोरी

कार्यक्षेत्र : बनारस

यह जॉब की तलाश में भटक रहे मेरिटोरियस स्टूडेंट्स का बायोडाटा नहीं बल्कि चोरी जैसे पेशे का चुनाव कर चुके कुछ शातिरों की शॉर्ट प्रोफाइल है। वैसे तो ये बीटेक की पढ़ाई करने वाले स्टूडेंट्स हैं लेकिन अपने शौक को पूरा करने के लिये इन्होंने डिग्री मिलने से पहले ही कुछ अलग ही धंधा शुरू कर दिया। पुलिस के हत्थे चढ़े इन चोरों के अंदाज इतने शातिराना हैं कि जिसने सुना दांतों तले अंगुली दबा ली। इस बदमाश कम्पनी ने अपने दोस्त के दोस्त को भी नहीं बख्शा है। उसकी महंगी बाइक को उड़ाने की फूलप्रुफ प्लैन बना लिया। हालांकि पुलिस इनसे भी दो हाथ आगे निकली और शनिवार को इनके अंदाज में इन्हें फंसा लिया।

महंगी बाइक पर डाली नजर

चौक थाना एरिया के नेपाली खपड़ा का रहने वाला विवेक रक्षित चेन्नई स्थित एक इंस्टीट्यूट में इंजीनियरिंग का स्टूडेंट है। विवेक इन दिनों घर आया हुआ है। इसका ककरमत्ता में भी एक मकान है। यहां का रहने वाला विशाल सिंह उसका अच्छा दोस्त है। विशाल के दोस्त मुगलसराय निवासी नितेश जैकब, सोनारपुरा निवासी नीरज गुप्ता, सुंदरपुर निवासी पीयूष सिंह मिर्जामुराद स्थित एक इंस्टीट्यूट में बीटेक के स्टूडेंट हैं। कुछ दिनों पहले विशाल ने विवेक से दो दिनों के लिए उसकी बाइक मांगी थी। विवेक ने बिना कुछ सोचे-समझे अपनी बाइक उसे दे दी। विशाल उसे लेकर इधर-उधर घूमता रहा। नितेश, नीरज और पीयूष ने बाइक को देखी तो उनकी नीयत खराब हो गयी। उसे चुराने की प्लैनिंग करने लगे।

शातिराना अंदाज में बनाया प्लैन

तीनों ने विशाल से बाइक घूमने के लिए मांगी। विशाल ने इन्हें बाइक दे दी भी। उसे लेकर ये तीनों भेलूपुर पहुंचे और बाइक की डुप्लीकेट चाभी बनवा ली। इसके बाद बाइक को विशाल को लौटा दिया। विशाल ने भी नेक्स्ट डे बाइक विवेक को वापस कर दी। जबकि बाइक चुराने की फिराक में ये दिनों विवेक की निगरानी में लग गए। सात सितम्बर को वह अपने ककरमत्ता स्थित आवास पहुंचा तो तीनों ने मौका देखकर घर के बाहर से उसकी बाइक उड़ा दी। उसे ले जाकर मिंट हाउस (नदेसर) स्थित वाहन स्टैण्ड में खड़ी कर दिया।

ऑनलाइन ग्राहक की तलाश

नितेश, नीरज और पीयूष ने बाइक चुराने के बाद मोबाइल से उसकी फोटो खींची और फिर उसे ऑनलाइन बेचने की मुहिम में लग गये। इन्होंने बाइक की पिक्चर को सामान खरीदने-बेचने की चर्चित वेबसाइट ओएलएक्स पर डाल लिया। इनके दिये कॉन्टैक्ट नम्बर पर रिस्पॉन्स मिलने भी शुरू हो गये। हालांकि ये किसी अच्छे मुर्गे की तलाश में थे जो बाइक की अच्छी कीमत दे सके। इन तीनों ने अपने एड में बाइक की कीमत 80 हजार रुपये तय कर रखी थी। एहतियात के तौर पर इन्होंने बाइक की डिग्गी में रखा आरसी पेपर को निकाल उसमें से विवेक भी फोटो भी हटा दी ताकि जब बाइक बेचनी हो तो कस्टमर को शक ना हो।

फंस गए अपने ही जाल में

नदेसर के रहने वाले बाइक-कार पा‌र्ट्स विक्रेता समीर ने ओएलएक्स बाइक का एड देखा तो उन्हें सौदा अच्छा लगा। पिक्चर में बाइक की कंडीशन अच्छी थी और सवा लाख एक्स शो रूम प्राइस की ये बाइक 80 हजार में बिक रही थी। समीर ने एड में दिये हुए फोन के जरिये बातचीत शुरू की और समीर को इंटरेस्टेड देख तीनों उसे उस स्टैण्ड ले गए जहां उन्होंने बाइक जमा की थी। बाइक को किसी के घर की बजाय व्हीकल स्टैंड में देख समीर को शक हुआ। उसने आरसी पेपर चेक करने के दौरान उस पर दर्ज मोबाइल नम्बर चुपके से नोट कर लिया। तीनों से मिलने के बाद समीर ने आरसी पर दर्ज मोबाइल नम्बर पर कॉल किया। कॉल सीधा विवेक रक्षित के पास पहुंचा। विवेक और समीर की बातचीत ने सारी कहानी से पर्दा उठा दिया था। विवेक ने समीर को शांत रहने की हिदायत देते हुए पुलिस को मामले की इंफार्मेशन दी।

पुलिस ने बिछाया जाल

समीर और विवेक से मिली इंफार्मेशन पर पुलिस ने सबसे पहले ओएलएक्स को खंगाला। मामले की जांच कर रहे मंडुवाडीह इंस्पेक्टर अजीत मिश्रा ने फर्जी कस्टमर बनकर तीनों शातिर चोरों से फोन पर सम्पर्क किया। इंस्पेक्टर को मुर्गा समझ तीनों आसानी से झांसे में आ गये और शनिवार को डीएलडब्लू में मिलना तय हुआ। तय समय पर बीटेक स्टूडेंट वहां पहुंच गए। पुलिस ने तीनों की मौजूदगी की पुष्टि के लिये नितेश के मोबाइल पर पहले कॉल किया और जैसे ही नितेश ने अपनी लोकेशन और अपने ड्रेस का कलर कन्फर्म किया, पुलिस ने उसे दबोच लिया। पुलिस को देख पीयूष तो भागने में सफल रहा लेकिन नीरज पकड़ा गया।

पहले भी चेन स्नैचिंग को दे चुके हैं अंजाम

थाने में पर पूछताछ में नितेश व नीरज ने बिना सख्ती किये ही सब कुछ एक सांस में उगल डाला। इंस्पेक्टर अजीत मिश्रा के अनुसार नितेश या नीरज को देख कोई नहीं कर सकता कि वो इतने शातिर दिमाग होंगे और अपने टेक्नोलॉजिकल माइंड का इस्तेमाल क्राइम के लिये करेंगे। तत्काल की घटना को छोड़ तीनों का कोई क्राइम रिकॉर्ड नहीं है। पीयूष अभी फरार है लेकिन उसके जल्द पकड़ में आने की उम्मीद है। नितेश और नीरज ने एक्सेप्ट किया है कि इन्होंने शार्ट कट में रुपये कमाने के लिये पहले भी कुछ हाथ मारे हैं। इसमें चेन स्नैचिंग की घटनाएं शामिल हैं। ये पॉश कालोनियों के साथ मुगलसराय में घटनाओं को अंजाम दे चुके हैं।

शौक पूरे करने के लिये चुना गलत रास्ता

नीरज और नितेश को देख कोई नहीं कर सकता कि इनके इरादे क्या रहे होंगे। इनके पास से महंगे एंड्रायड फोन मिले हैं जिनकी कीमत क्भ् से ख्0 हजार रुपये है। कपड़े और जूते भी ब्रैंडेड। इन्होंने खुद बताया कि ये कपड़े, फोन और जूतों पर हर महीने क्0 से क्भ् हजार खर्च कर देते हैं। इसके अलावा फ्रेंड्स को पार्टियां देना भी इनके शौक में शामिल है। फैमिली इनकी महंगी पढ़ाई के बाद खर्च के लिये लिमिटेड रुपये ही देती है। ऐसे में अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिये इन्होंने चोरी और चेन स्नैचिंग जैसी घटनाओं को अंजाम देना शुरू किया।