मेज के नीचे से घूस लेने की बात तो आपने कई बार सुनी और टीवी पर देखी भी होगी। लेकिन आज आई नेक्स्ट आपको बताने जा रहा है कि कैसे ट्रेन की बोगी के नीचे से सामान को चोरी-छिपे सेंट्रल से बाहर निकाला जा रहा है। सवाल ये उठता है कि जब सामान भारतीय रेल से कानपुर आया है तो फिर चोरी छिपे क्यों ट्रेन की बोगी के नीचे से स्टेशन के बाहर निकाला जा रहा है? जीआरपी, आरपीएफ और रेलवे के अधिकारी इन लोगों को रोकते क्यों नहीं? सेंट्रल पर हो रही इस स्पेशल 'चोरी' की शिकायतें कई दिनों से रीडर्स के माध्यम से आई नेक्स्ट को मिल रही थी। जिसके बाद आई नेक्स्ट ने कई दिनों तक कानपुर सेंट्रल के प्लेटफॉर्मो और आउटर्स पर पड़ताल की। पड़ताल के दौरान पता चला कि ट्रेन के नीचे से सलाना हो रही है। करीब 60 करोड़ के टैक्स की चोरी।

टाइम-सुबह 10 बजे

जगह-प्लेटफॉर्म नंबर 8 के पास

प्लेटफॉर्म जहां खत्म होता है। वहां से करीब 50 मीटर की दूरी पर खड़ी के मालगाड़ी के पास चार लोग खड़े थे। इनमें से दो लोग मालगाड़ी की दो बोगियों के बीच के स्पेस से फांदकर दूसरी तरफ चले गए। आमतौर पर ऐसा लोग जल्दी से ट्रैक पार करने की वजह से करते हैं। लेकिन दो लोगों के जाते ही वहां दो लोग और आ गए। उन दोनों लोगों के हाथ में एक बड़ा सा पैक गत्ते का बॉक्स था। वो गत्ते का बड़ा बॉक्स पूरी तरह से जूट के बोरे से पैक था। उस पैकेट में क्या था? ये तो नहीं मालूम चला लेकिन कुछ ही देर में दो लोग और आए उनके हाथ में फिर उसी तरह का बड़ा गत्ते का पैकेट था।

और पैकेट को खिसकाना शुरू किया

जब वहां दो गत्ते वाले पैकेट पहुंच गए तो उनमें से दो लोगों ने मिलकर उस पैकेट को खिसकाना शुरू किया। खिसकाते-खिसकाते वो लोग उस पैकेट को बोगी के बिल्कुल पास ले आए। फिर उनमें से एक ने बोगी के दूसरी तरफ पर मौजूद लोगों को आवाज लगाई। उधर से उन लोगों ने इशारा किया। इशारा मिलते ही उन दोनों लोगों ने उस बॉक्स को बोगी के नीचे से खिसकाना शुरू किया। ये देखकर ताज्जुब लगा कि कैसे जबरदस्ती उस बॉक्स को ट्रेन के नीचे से दूसरी ओर खिसकाया जा रहा था। वो लोग इतने परफेक्ट थे कि कुछ ही देर में वो बॉक्स बड़े आराम से बोगी के नीचे से दूसरी ओर खिसका दिया। इस तरह एक-एक करके करीब बीस बॉक्स उन लोगों ने बोगी के नीचे से खिसका दिए। कुछ देर बाद वो लोग फिर वहां पहुंचे और करीब पांच बॉक्सेस को उसी तरह से बोगी के नीचे से खिसकाकर एक तरफ से दूसरी तरफ पहुंचा दिया।

छोटे लोडर में सामान लादा

दूसरी तरफ खड़े लोगों ने तुंरत उन बॉक्स को लोडर में लादना शुरू कर दिया। कुछ ही देर में वो लोडर वहां से उन बॉक्स को लेकर रफूचक्कर हो गया। आपको बता दें कि उस लोडर की फोटो आई नेक्स्ट के कैमरे में कैद नहीं हो सकी। इसकी वजह है उन लोगों की पैनी नजरें।

कई लोग कर रहे थे निगरानी

सिर्फ उस पैकेट को बोगी के एक तरफ से दूसरी तरफ करने वाले वो कुछ लोग ही वहां मौजूद नहीं थे। जब ये पूरा 'खेल' प्लेटफॉर्म से कुछ दूरी पर हो रहा था तब वहां कई लोग इसकी निगरानी कर रहे थे। दो लोग प्लेटफॉर्म की शुरुआत में और दो-तीन लोग एक वहां से काफी दूर पर खड़े थे। इसका खुलासा तब हुआ जब लोडर चला रहे ड्राइवर ने सामान लोड होने के बाद फोन करके किसी से फोन कहा कि सब लोग वहीं ठिकाने पर मिलो। आपको जानकर हैरानी होगी कि इस 'खेल' को खेलने वाला एक बड़ा गैंग है। जिनके मेंबर्स का काम बंटा हुआ है। ये लोग सामान इधर से उधर करने का पूरा ठेका लेते हैं। इसका उनको पैसा मिलता है।

क्या था उन बॉक्सेस में?

नाम न पब्लिश करने की रिक्वेस्ट पर सेंट्रल पर काम करने वाले एक इम्प्लाई ने बताया कि उन बॉक्स में टैक्स की चोरी करके बाहर से आने और भेजे जाने वाला सामान होता है। इन सामान में पान मसाला सबसे प्रमुख है। इसके बाद इलेक्ट्रॉनिक आइटम्स और होजरी का सामान आता है। इतना ही नहीं रेडीमेड कपड़े के अलावा दूसरे छोटे सामान भी ऐसे ही चोरी छिपे कानपुर आते और भेजे जाते हैं।

रोजाना 45 से 50 करोड़ का कारोबार

सेल्स टैक्स के रिटायर्ड ऑफिसर एके श्रीवास्तव ने बताया कि कानपुर सेंट्रल से रोजाना करीब 45 से 50 करोड़ रुपए का माल दूसरे राज्यों से आता-जाता है। लेकिन अगर इतने पैसे पर टैक्स की बात करें तो ये नामुमकिन काम है। उनके मुताबिक 50 परसेंट सामान के टैक्स का भुगतान नहीं किया जाता है।

हर किसी का पेमेंट नग के हिसाब से

जब सिर्फ पचास परसेंट माल पर ही हर साल टैक्स दिया जाता है तो स्वाभाविक है बाकी का माल बिना टैक्स दिए इधर-उधर किया जाता है। टैक्स चोरी का ये 'खेल' रेलवे, जीआरपी और आरपीएफ के हर अधिकारी को मालूम है। ऐसे में सवाल ये उठता है कि ये लोग चुप क्यों करते हैं? तो आपको बता दें कि बिल्कुल पुख्ता जानकारी के मुताबिक इन लोगों को प्रति नग के हिसाब से पेमेंट कर दिया जाता है। जिससे करीब 35-40 परसेंट में ही काम हो जाता है। अगर टैक्स चुकाएंगे तो 100 रुपए देना पड़ेगा और तमाम तरह के झंझट होंगे लेकिन सबको देने के बाद भी 60 रुपए बच जाते हैं। इसलिए व्यापारी भी चोरी करके अपना माल भिजवाते और मंगवाते हैं। नाम न पब्लिश करने की शर्त पर स्टेशन पर काम करने वाले एक कर्मचारी ने बताया कि आरपीएफ 15 रुपए नग, जीआरपी 15-20 रुपए और सेल्स टैक्स करीब 50 रुपए नग के हिसाब से पैसे लेती है।

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हर महीने 5 करोड़ का चूना

रिटायर्ड रेलवे ऑफिसर वीके सिंह ने बताया कि 250 ट्रेनें रोजाना सेंट्रल से निकलती हैं। उनके मुताबिक इन ट्रेनों से करीब हर महीने 5 करोड़ रुपए के टैक्स की चोरी हो रही है। अगर सालाना की बात करें तो ये करीब 60 करोड़ रुपए के आसपास पहुंचती है।

नोट-आई नेक्स्ट के पास फोन पर इन सभी जानकारियों की रिकॉर्डिग है।

फॉर योर इंफॉर्मेशन

-सेंट्रल से रोजाना 350 से ज्यादा ट्रेनें गुजरती हैं।

-करीब 250 ट्रेनों में लोड होता है सामान।

-100 से ज्यादा मालगाडि़यां रोजाना गुजरती हैं सेंट्रल से।

-हर महीने करीब 50 करोड़ के सामान का टर्नओवर

सेल्स टैक्स चोरी और स्टेशन में हो रही गड़बड़ी रोकने का काम आरपीएफ का है। जीआरपी का काम स्टेशन में सुरक्षा व्यवस्था बनाए रखना है। जब हम लोगों को सूचना मिलती है कि स्टेशन पर कोई क्राइम हो रहा है तो जीआपी तत्काल कार्रवाई करती है। लेकिन टैक्स चोरी से जीआरपी का कोई लेना-देना नहीं है।

त्रिपुरारी पांडेय, प्रभारी निरीक्षक, जीआपी कानपुर सेंट्रल