प्रति सैंपल की जांच में आएगा 40 पैसे का खर्च

दूध में हो रही मिलावट की पहचान करने के लिए वैज्ञानिकों ने एक ऐसा उपकरण तैयार किया है जो केवल 40 सेकेंड में बता देगा कि दूध शुद्ध है या उसमें कोई मिलावट की गई है। प्रति सैंपल जांच की लागत भी सिर्फ 40 पैसे आएगी काउंसिल ऑफ साइंटिफिक एंड इंडस्ट्रियल रिसर्च सीएसआईआर की राजस्थान के पिलानी स्थित सेंट्रल इलेक्ट्रॉनिक्स इंजीनियरिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट सीरी नामक प्रयोगशाला ने यह उपकरण तैयार किया है। इस उपकरण की लागत लगभग 1 लाख रुपए तक आएगी।

40 दूध केंद्रों में हुआ है परीक्षण

केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्री डॉ. हर्षवर्धन की मौजूदगी में शनिवार को क्षीर-स्कैनर उपकरण का डेमो दिखाया गया। डॉ. हर्षवर्धन ने बताया कि दूध में मिलाए जाने वाले यूरिया, साल्ट, डिटर्जेंट, लिक्विड सोप, बोरिक एसिड, कास्टिक सोडा, सोडा हाइड्रोजन पेरॉक्साइड की मिलावट को यह उपकरण 5 से 7 मिलीलीटर के सैंपल में 40-50 सैकेंड में पहचान लेगा। आपको बता दें कि खास बात यह है कि यह दूध के सैंपल में यूरिया और सोडा के एक ग्राम प्रति लीटर, डिटर्जेंट और साल्ट के दो ग्राम प्रति लीटर और सोप की एक प्रतिशत मिलावट को भी पहचान लेगा। देश के विभिन्न प्रदेशों में 40 दूध संग्रह केंद्रों में इसका सफल ट्रायल किया गया है।

बीटा कैरोटीन की मात्रा का पता लगाएगी यह नैनो सेंसर किट

मैसूर स्थित सेंट्रल फूड टेक्नोलॉजी रिसर्च इंस्टीट्यूट सीएफटीआरआई प्रयोगशाला ने दूध में विटामिन-ए यानी बीटा कैरोटिन की मात्रा का पता लगाने वाली नैनो सेंसर किट विकसित की है। इस सेंसर की मदद से किसान जान सकता है कि उसके दूध में बीटा कैरोटीन की मात्रा कितनी है। डॉ. सी. आनंदरामकृष्णन ने बताया कि घास खाने वाले पशुओं के दूध में ज्यादा बीटा कैरोटीन होता है। अन्य आहार खाने वाले पशुओं के दूध में बीटा कैरोटीन की मात्रा कम होती है। पशु का आहार बदलने के बाद किसान बीटा कैरोटीन वाला दूध अधिक कीमत पर बेच सकेंगे। विटामिन-ए की कमी से आंखें कमजोर हो जाती हैं। यदि बच्चों को विटामिन युक्त दूध मिलेगा तो उनकी आंखों के कमजोर होने की घटनाएं कम होंगी। शरीर में विटामिन की 80 फीसदी जरूरत बीटा कैरोटीन से ही पूरी होती है।

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