PATNA : एक रैली के दौरान राजधानी की सड़कों पर देशद्रोही नारा लगाए जाने का सबूत एफएसएल जांच में नहीं मिला है। मामले की और बारीकी से जांच के लिए सीडी को दिल्ली स्थित केंद्रीय विधि विज्ञान प्रयोगशाला भेजने की तैयारी है। इससे एक बार फिर मामला चर्चा में आ गया है।

- नारे के बाद मचा था बवाल

क्म् जुलाई को राजधानी के अशोक राजपथ पर पटना साइंस कॉलेज से 'पोपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया' के बैनर तले एक जुलूस निकाला गया था। ये इस्लामिक नेता व पीस फाउंडेशन के कर्ताधर्ता डॉ। जाकिर नायक और एआइएमआइएम प्रमुख असाउद्दीन ओवैसी के समर्थन में थी। जुलूस में देश विरोधी नारे लगाने की बात सामने आई थी जिसके बाद हड़कम्प मच गया था।

- पुलिस ने जब्त कर लिया था वीडियो

जुलूस साइंस कॉलेज से गांधी मैदान स्थित कारगिल चौक तक आया था। कुछ प्रत्यक्षदर्शियों ने अपने मोबाइल फोन से तथा कुछ समाचार चैनलों ने इसकी वीडियोग्राफी भी की थी, जिसे पुलिस ने जब्त कर सीडी को जांच के लिए विधि विज्ञान प्रयोगशाला भेजा था। पुलिस अफसर भी एफएसएल जांच रिपोर्ट के इंतजार में थे।

- जांच में नारेबाजी स्पष्ट नहीं

एफएसएल ने अपनी जांच रिपोर्ट में कहा कि देश विरोधी नारेबाजी का वीडियो में कोई साक्ष्य नहीं मिला है। जुलूस के वीडियो सीडी में पोपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया के बैनर दिख रहे हैं लेकिन ऑडियो में नारेबाजी स्पष्ट नहीं है। अब पटना पुलिस इस ऑडियो सीडी को दिल्ली स्थित केंद्रीय विधि विज्ञान प्रयोगशाला में जांच के लिए भेज रही है ताकि 'दूध का दूध और पानी का पानी' हो सके।

घटना में दो लोगों को भेजा गया है जेल

देश विरोधी नारा लगाए जाने का मामला चर्चा में आने के बाद पुलिस ने पापुलर फ्रंट ऑफ इंडिया नामक संगठन के सचिव मो। तौफीक हुसैन समेत दो लोगों को देशद्रोह के आरोप में जेल भेजा था। फिलहाल दोनों जेल में हैं और जांच रिपोर्ट में देश विरोधी नारा की पुष्टि नहीं होने से उन्हें भी राहत मिल सकती है।