पोस्टमार्टम का पंचनामा-आई एक्सक्लूसिव

- साल भर से तैयार खड़ी पोस्टमॉर्टम हाउस की बिल्डिंग लेकिन नहीं शुरू हो सका काम

- अभी शव रखने का नहीं है कोई इंतजाम, खराब पड़े हैं मोर्चरी के एसी और डीप फ्रीजर

- खुले में रखे जा रहे शव हो रहे डिकंपोज, पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट पर भी पड़ रहा असर

KANPUR: जब कोई हत्या या ऐसा कोई हादसा जिसमें जान जाती है उस दौरान मरने वाले शख्स का पोस्टमॉर्टम होता है। पुलिस की जांच से लेकर कानूनी लड़ाई में पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट काफी अहम मानी जाती है। रिपोर्ट के आधार पर ही कई बार अदालतें अपना फैसला सुनाती हैं। लेकिन शहर में पोस्टमॉर्टम की जो व्यवस्था है, उसकी रिपोर्ट पर भरोसा करना किसी को भी मुश्किल में डाल सकता है। दूसरे शहरों में इसे हाईटेक पोस्टमॉर्टम हाउसों में किया जाता है। अपने शहर में भी एक साल पहले नया पोस्टमार्टम हाउस का निर्माण हुआ, लेकिन आज तक उसमें पोस्टमार्टम शुरू नहीं हो सके। शवों को संरक्षित करने के लिए जो जरूरी उपकरण आने थे वह भी नहीं आए। नजीता यह है कि मोर्चरी और पोस्टमार्टम हाउस में शवों को टिनशेड में पंखे के नीचे रखा जाता है। शव सड़ते हैं वह अलग। कई बार शवों को जानवर भी खा चुके हैं। ऐसे में बिना आधुनिक उपकरणों के किस तरह की और कितनी साइंटिफिक पोस्टमार्टम रिपोर्ट आती है इस पर सवाल खड़े हो गए है।

टिनशेड के नीचे पोस्टमॉर्टम

मौजूदा समय में पोस्टमार्टम की प्रकिया को टीनशेड के नीचे अंजाम दिया जा रहा है। इसे नया पोस्टमार्टम बनाने के दौरान टैम्प्रेरी यूज के लिए बनाया गया था लेकिन नई बिल्डिंग में पोस्टमॉर्टम शुरू नहीं होने की वजह से इसी टिनशेड के नीचे ही पोस्टमॉर्टम किया जाता है। इस टिनशेड में शव रखने के लिए न तो कोई चबूतरा है और न कोई अन्य संसाधन। जैसा जल्लाद डॉक्टर को बता देता है वहीं डॉक्टर रिपोर्ट में लिख देते हैं।

शव रखने के सारे उपकरण खराब

हैलट अस्पताल से पोस्टमॉर्टम के लिए आने वाले शवों व सीधे पोस्टमॉर्टम हाउस में आने वाले शवों को रखने के लिए पोस्टमार्टम हाउस में ही मोर्चरी है। इसमें शवों को रखने के लिए 6 डीप फ्रीजर हैं इसके अलावा मोर्चरी को ठंडा रखने के लिए दो एसी भी लगे हैं लेकिन यह सभी चीजें खराब हैं। शवों को फर्श पर ही रखा जाता है। मोर्चरी में कोई पंखा या और कुछ भी नहीं है। वहीं सीधे पोस्टमार्टम हाउस में आने वाले शवों को रखने के लिए भी टैंप्रेरी तौर पर एक टिनशेड का कमरा बनाया गया है। लेकिन भीषण गर्मी में यहां रखे जाने वाले शव कुछ ही घंटों में सड़ने लगते हैं। उनके लिए बर्फ की सिल्लियों का भी इंतजाम नहीं किया जाता। इसके अलावा कुत्तों, चूहों, उदबिलाव जैसे जानवर यहां अक्सर शवों के कई हिस्से खा जाते हैं।

शव सड़ने की प्रक्रिया को समझें

- मृत्यु के बाद 6 घंटे में राइगर मार्टिस प्रक्रिया शुरू

- एक से दो दिन तक डेडबॉडी में अकड़न

- डिकंपोजीशन यानी सड़ने की प्रक्रिया 2 से 3 घंटे में ही शुरू हो जाती है

- शरीर में मौजूद बैक्टीरिया और गैसों की वजह से शव गर्मियों में 2 से 3 घंटे में ही सड़ना शुरू हो जाता है।

- डीपफ्रीजर है तो शव को कई दिनों तक रखा जा सकता है

- बर्फ की सिल्ली पर भी 24 घंटे से ज्यादा शव को नहीं रखा जा सकता

मॉर्डन पीएम में नही आए उपकरण

नए पोस्टमॉर्टम हाउस के निर्माण के दौरान उसमें कई उपकरण भी आने थे जिससे शवों का सटीक और ज्यादा साइंटिफिक तरीके से पोस्टमॉर्टम किया जा सके। लेकिन ऐसा नहीं हुआ। उपकरणों में एक्सरे मशीन, पैथोलॉजी का सामान डीएनए व बालों का सैंपल लेने के लिए और डीप फ्रीजर आने थे लेकिन वह आज तक नहीं आए। हालत यह है कि अभी तक स्वास्थ्य विभाग ने इस नई बिल्डिंग का हैंडओवर भी नहीं लिया है।

कोट-

नए पोस्टमॉर्टम हाउस में एक्सरे मशीन व अन्य उपकरणों की खरीद की प्रक्रिया जल्द ही पूरी की जाएगी। इसके अलावा शवों को रखने के लिए जल्द ही डीप फ्रीजर की खरीद भी होगी। नए पोस्टमॉर्टम हाउस को सारी कमियां पूरी होने के बाद हैंडओवर कर लिया जाएगा।

- डॉ। आरपी यादव, सीएमओ, कानपुर नगर