-गवर्नमेंट हॉस्पिटल में मिलने वाले कंबल सर्दी मिटाने के बजाय स्किन डिजीज दे रहे
KANPUR: इस ठंड में बीमार पड़ने पर अगर किसी सरकारी अस्पताल में भर्ती होना पड़ा तो कोशिश करिए कि कंबल घर से ही ले जाएं या नया खरीद लें, क्योंकि पहले तो आपको सरकारी अस्पताल में कंबल मिलेगा नहीं और अगर मिल भी गया हो तो वह संक्रमित ना हो इसकी कोई भी गारंटी नहीं है। वैसे तो अस्पतालों में मरीजों को दिए जाने वाले कंबलों को लेकर भी डब्लूएचओ की गाइडलाइंस हैं, लेकिन सरकारी अस्पतालों में यह गाइडलाइंस पूरी होना तो दूर बिना धुले और संक्रमित कंबल ओढ़ने से स्किन की बीमारी होने का भी बड़ा खतरा है। क्योंकि डब्लूएचओ के हिसाब से तो अस्पताल में यूज होने वाले कंबल हर तीन साल में नष्ट कर दिए जाने चाहिए, लेकिन हैलट उर्सला और केपीएम में तो कई सालों से नए कंबलों की खरीदारी ही नहीं हुई है। ऐसे में पुराने कंबल कहीं आपके मरीज को सही करने के बजाय कोई नई बीमारी न दे जाएं, इसका ख्याल रख्ाना होगा।
कंबल की सफाई का नहीं कोई इंतजाम
दरअसल हैलट, उर्सला, केपीएम, चेस्ट हॉस्पिटल समेत कई सरकारी अस्पतालों में कंबलों की धुलाई के कोई इंतजाम ही नहीं हैं। हैलट में जो लॉन्ड्री है वहां पर भी कंबल साफ करने की सुविधा नहीं है। इस वजह से मेडिकल कॉलेज कार्डियोलॉजी को छोड़ कर मेडिकल कॉलेज से संबंद्ध किसी अन्य अस्पताल में कंबल धोने की सुविधा ही नहीं है। उर्सला में साल में एक बार कंबलों की धुलाई होती है, लेकिन हैलट में फट जाने या गंदे हो जाने के बाद कंबलों को नष्ट ही कर दिया जाता है।
बैक्टीरिया से भरे कंबल
कई बार ऐसा होता है कि बर्न पेशेंट् के ओढे कंबल मेडिसिन के पेशेंट को ओढाए जाते हैं तो चेस्ट हॉस्पिटल में टीबी और एमडीआर पेशेंट्स के ओढे कंबल सांस के रोगियों को दे दिए जाते हैं। कई बार इंजेक्शन टयूब या अन्य कोई दवा लगाते समय कंबल पर गिर जाती है लेकिन उसे साफ नहीं किया जाता और वही कंबल दूसरे मरीज को दे दिया जाता है। इसके अलावा सर्जरी के पेशेंट्स व प्रसूताओं को दिए जाने वाले कंबलों की सफाई के मानक भी पूरे नहीं होते। इस वजह से इनमें
कई तरह के खतरनाक बैक्टीरिया भरे होते हैं और इंफेक्शन फैलने की पूरी संभावना होती है।
डब्ल्यूएचओ की ये हैं गाइडलाइंस
- लॉन्ड्री से धुले कंबल पर रेफर लगा हो
- माइक्रोबायोलॉजिस्ट की निगरानी में लांड्री का संचालन हो
- हर मरीज को धुले कंबल दिए जाएं
- तीन साल पुराने कंबल मरीजों को नही दिए जाएं
- सर्दी व गर्मी के कंबल अलग अलग होने चाहिए।
- कंबल पर कंपनी की मुहर हो और उसकी एक्सपायरी डेट भी हो
- हर नए मरीज को कंबल देने से पहले नया कवर लगाया जाए
- इमरजेंसी व भर्ती मरीज, बाल रोग, महिलाओं के लिए अलग अलग कंबल हो।
- अस्पताल में सिंगल विंडो सिस्टम से कंबल का वितरण हो
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हैलट में कंबलों की स्थिति
साल - नए कंबलों की खरीदारी
2010- 325
2011- 350
2012- नहीं खरीदे
2013- नहीं खरीदे
2014- नहीं खरीदे
कुल बेड- 850
कुल कंबल- 750
उर्सला में स्थिति
साल - नए कंबलों की खरीददारी
2010- 250
2011- 125
2012- नहीं खरीदे
2013- 150
2014- नहीं खरीदे
कुल बेड- 460
कुल कंबल- 1100
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'अस्पताल में मरीजों को दिए जाने वाले कंबलों की सफाई से लेकर उनकी धुलाई को लेकर मानक हैं। सर्दियों में कंबलों के जरिए भी मरीजों को इंफेक्शन या एलर्जी होने का खतरा रहता है। ऐसे में इनकी सफाई और किस मरीज को यह दिया जा रहा है। इसका खास ख्याल रखना चाहिए.'
- डॉ। आरती लाल चंदानी, सीनियर कार्डियोलॉजिस्ट