-रामसेवक के मोबाइल और सिम से मिल सकते हैं सुराग

-राजीव की शिनाख्त भी है बड़ी पहेली

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LUCKNOW: मोहनलालगंज में लैब अटेंडेंट की गैंगरेप के बाद हत्या एक ऐसी मिस्ट्री बन चुकी है, जिसे सुलझाने के लिये सीबीआई को भी कड़ी मशक्कत करनी होगी। यूपी पुलिस की लीपापोती भरी जांच को अंजाम तक पहुंचाने में अभी कई ऐसे तथ्य हैं जिनका सिरा सीबीआई को तलाशना बेहद जरूरी है। कुछ ऐसे ही तथ्य जिनकी तलाश में ही जांच का भविष्य टिका है

मोबाइल व सिम

पुलिस ने खुलासे के दौरान अपनी थ्योरी में बताया कि आरोपी रामसेवक ने पीडि़ता को कॉल कर बुलाया था। पुलिस के मुताबिक, वह मोबाइल रामसेवक ने चोरी किया था। आरोपी रामसेवक की अरेस्टिंग के बाद पुलिस ने उसकी दो दिन की पुलिस कस्टडी रिमांड हासिल कर ली। पर, उस मोबाइल का पता लगाने में नाकाम रही। जानकारों का मानना है कि आगे की जांच में यह मोबाइल व उसका सिम बेहद अहम कड़ी साबित हो सकता है।

कौन है राजीव

पुलिस ने यह भी बताया था कि पहली बार जब मृतका से रामसेवक की बात हुई तो वह उसे राजीव समझ रही थी। इससे यह साबित होता है कि मृतका राजीव से पहले से परिचित थी। पर, घटना के क्भ् दिन बीत जाने के बावजूद पुलिस ने राजीव का सुराग लगाने का कोई प्रयास नहीं किया। अनुमान लगाया जा रहा है कि अगर राजीव सामने आ जाए तो इस मामले के कई अनसुलझे पहलुओं का खुलासा हो सकता है।

रामसेवक के साथी

पुलिस ने अपनी थ्योरी में बताया कि वारदात को अंजाम देने वाला रामसेवक अकेला था। हालांकि फॉरेंसिक रिपोर्ट में इस बात की पुष्टि हो गई कि वारदात के वक्त रामसेवक के अलावा दो से ज्यादा लोग वहां मौजूद थे। अगर रामसेवक को कस्टडी में लेकर सीबीआई ने इस बारे में पूछताछ की तो उसके साथियों का पता लग सकता है।