- आई एक्सक्लूसिव

- लाखों की जॉब ठुकराकर 30 टेक्नोक्रेट्स इस्कान मंदिर में कर रहे कृष्णनाम रस का पान

- आईआईटी व एनआईटी से पास आउट हैं कान्हा के ये भक्त, ब्रह्मचर्य जीवन गुजार रहे

KANPUR@inext.co,in

KANPUR: आईआईटी व एनआईटी से बीटेक व एमटेक की डिग्री हासिल करने वाले मेरीटोरियस को कृष्णनाम रस का ऐसा स्वाद लगा कि उन्हें लाखों की जॉब भी रास नहीं आ रही है। यही वजह है कि श्री राधा माधव मंदिर(इस्कान) से लगातार टेक्नोक्रेट्स जुड़ रहे हैं। सिटी के इस्कान मंदिर में इस वक्त 30 टेक्नोक्रेट्स कृष्ण की भक्ति में पूरी तरह से डूबे हुए हैं। मंदिर प्रशासन ने इन सभी टेक्नोक्रेट्स को अहम जिम्मेदारियां भी दे रखी हैं, जिनका वह बखूबी निर्वहन भी कर रहे हैं। बड़ी बात यह है कि इन सभी टेक्नोक्रेट्स ने जॉब छोड़ने के साथ ही अपने घर परिवार को भी बाय बाय कर दिया है।

दीक्षा लेने की लाइन में

रुड़की में रहने वाले रेलवे इंजीनियर मनोज मेहता के बेटे पुलकित ने आईआईटी बीएचयू से लास्ट इयर माइनिंग में बीटेक की डिग्री ली थी। इसके बाद उन्हें कैंपस प्लेसमेंट में करीब दस लाख रुपए पर एनम की जॉब ऑफर लेटर मिला। पुलकित ने बताया कि उस जॉब को स्वीकार नहीं किया। कानपुर शहर में की एक एकेडमी में जॉब की और दो महीने पहले उसे छोड़कर अब अपना ठिकाना इस्कान मंदिर में बना लिया है। वह 24 घंटे यहीं पर सेवा करते हैं और दीक्षा लेने की लाइन में लगे हैं। पुलकित ने कहा कि मैं वहीं कर रहा हूं जो मेरा दिल कहता है।

घर-परिवार छोड़ ब्रह्मचारी बने

छत्तीसगढ़ विलासपुर के रहने वाले कूर्माअवतार (क्षितिश) इस्कान से इयर 2013 में जुड़ गए थे। स्वामी कूर्मा अवतार ने बताया कि एनआईटी वारंगल से मैकेनिकल इंजीनियरिंग में बीटेक की डिग्री इयर 2009 में हासिल कर ली थी। बीटेक की पढ़ाई के दौरान ही इस्कान से जुड़ गये थे। कैंपस में ही जॉब के लिए प्लेसमेंट हो गया था, लेकिन उन्हें कान्हा की भक्ति ने नौकरी पर जाने से रोक दिया। अब वह इस्कान मंदिर कानपुर में ब्रह्मचर्य जीवन गुजार कर राधा कृष्ण की भक्ति में जुट गए हैं।

प्रबंधन के गुर सीखने वाले भी कान्हा से प्रेरित

आईआईटी से पीएचडी कर रहे मुकुल जोशी भले ही गृहस्थ जीवन गुजार रहे हैं, लेकिन नंदगोपाल का कोई भी प्रोग्राम वह मिस नहीं करते हैं। कमोबेश यही हालत शारदा नगर के रहने वाले शेखर शुक्ला की है। वह आईआईएम लखनऊ से मैनेजमेंट में पीएचडी कर रहे हैं। हाल ही में ब्राजील में हुई इंटरनेशनल कांफ्रेंस में शेखर शुक्ला ने इंडिया का प्रतिनिधित्व किया था। इस कांफ्रेंस में दुनिया से 50 लोगों ने शिरकत की थी। शेखर शुक्ला को भी कन्हैया ने अपनी ओर खींच लिया है।

ये टेक्नोक्रेट्स इस्कान से जुड़े हैं

आईआईटी, एचबीटीआई व एआईटीएच के स्टूडेंट्स भी मौका मिलते ही कान्हा के दरबार में सेवादार बनने का मौका नहीं छोड़ते हैं। एआईटीएच के दक्ष बायोटेक से बीटेक कर रहे हैं। वहीं उनके साथी दीपक केमिकल ब्रांच में बीटेक कर रहे हैं। यह मेरीटोरियस इस्कान मंदिर से जुड़ गए हैं। इनके अलावा आईआईटी कानपुर की इलेक्ट्रिकल ब्रांच में पीएचडी कर रही सोनल दीक्षित, एमबीए कर रही शरबजोत, इंस्ट्रूमेंटेशन में पीएचडी कर रही अंजली शर्मा इस्कान मंदिर से जुड़ी हैं।

दुनिया में सिर्फ कृष्ण नाम ही भा रहा

इयर 2014 तक इस्कान मंदिर कानपुर से जुड़े रहे ब्रह्मचारी राम निताई दास ने आईआईटी चेन्नई से केमिकल इंजीनियरिंग में डिग्री ली थी। इस टाइम वह पुणे श्री राधा माधव मंदिर के टेंपल मैनेजमेंट काउंसिल हैं। कानपुर इस्कान मंदिर में इस समय प्रेम हरिनाम दास(बीटेक एमबीए), अच्युत मोहन दास, नीलमणि दास कष्णदास, प्रिय गोविंद दास, चिराग, पुलकित ने बीटेक की डिग्री हासिल कर भगवान कृष्ण से लगन लगा ली है। सिटी के इस्कान मंदिर में 30 टेक्नोक्रेट्स राधा कृष्ण की भक्ति में जुटे हुए हैं।