दैनिक जागरण आई नेक्स्ट एक्सक्लूसिव

- आदेश के बाद भी डफरिन हॉस्पिटल की पैथोलॉजी में एक भी एसी नहीं लगाया गया

-सैम्पल की सटीक जांच रिपोर्ट के लिए पैथलॉजी का टेम्प्रेचर मेनटेन रहना जरूरी

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KANPUR : सिटी के डफरिन हॉस्पिटल में बनी पैथोलॉजी की रिपो‌र्ट्स पर आंख बंद करके भरोसा न करिएगा, क्योंकि इन रिपो‌र्ट्स के आधार पर इलाज शुरू कराना खतरे की घंटी साबित हो सकता है। हम ये बात किसी को डराने के लिए नहीं बल्कि पब्लिक को सजग और डफरिन हॉस्पिटल प्रशासन को चेताने के लिए कह रहे हैं। यहां फ्री सेवा देने वाली पैथोलॉजी में एक भी एसी नहीं लगा है। जिसकी वजह से टेम्प्रेचर का उतार-चढ़ाव ब्लड समेत किसी भी तरह के सैम्पल को प्रभावित कर सकता है। सीनियर डॉक्टर्स की मानें तो ब्लड सैम्पलिंग के लिए टेम्प्रेचर को मेंटेन रखना इम्पार्टेट काम होता है।

टेम्प्रेचर बढ़ने पर होती है प्रॉब्लम

लैब टेक्नीशियन अभिषेक सिंह ने बताया कि लैब में कुछ नार्मल टेस्टिंग्स को छोड़ कर सभी तरह की टेस्टिंग्स लाखों रुपए कीमत की सेल काउंटर मशीनों से होती हैं। इन मशीनों को प्रॉपर वर्किंग में रखने के लिए रूम का टेम्प्रेचर मेंटेन करना जरूरी होता है। टेक्नीशियन की मानें तो 28 डिग्री सेल्सियस के रूम टेम्प्रेचर तक ही मशीन टेस्टिंग का रिजल्ट अच्छा देती हैं और जैसे ही टेम्प्रेचर इसके ऊपर जाता है, तो कई बार रिजल्ट्स बिगड़ने व मशीन तक के खराब होने जैसी प्रॉब्लम्स फेस करनी पड़ती हैं।

दो एसी की डिमांड कर चुके हैं

लैब टेक्नीशियन की मानें तो रूम के टेम्प्रेचर को मेंटेन रखने के सारे प्रयास किए जाते हैं। इसके अलावा यदि मशीनें ज्यादा गर्म हो जाती हैं तो उन्हें रेस्ट के लिए छोड़ देते हैं। इस संबंध में एसआईसी को भी अवगत कराया जा चुका है, जिन्होंने जल्द व्यवस्था करवाने का आश्वासन दिया हुआ है।

दो महीने होती अधिक प्रॉब्लम

टेक्नीशियन ने बताया कि यह प्राब्लम खासकर गर्मियों के दो महीनों में मई व जून में ज्यादा आती है। इन महीनों में बाहर का टेम्प्रेचर 40-46 डिग्री सेल्सियस तक हो जाता है और तब रूम टेम्प्रेचर मेंटेन करने में और अधिक प्रॉब्लम होती है। सोर्सेज की मानें तो लैब में एसी लगा होने का शासनादेश तक है। इसके बाद भी एसी न लगा होने से यहां आने वाले पेशेंट्स की लैब रिपो‌र्ट्स के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है।

रिपोर्ट पर ही निर्भर करता है इलाज

सीनियर एमबीबीएस, एमडी डॉक्टर राकेश सहगल की मानें तो किसी भी पेशेंट की रिपोर्ट के आधार पर ही उसका इलाज शुरू किया जाता है। सही रिजल्ट के लिए टेम्प्रेचर को मेंटेन रखना इम्पार्टेट होता है। ऐसे में यदि रिपोर्ट में ही किसी प्रकार की खामी होगी तो इलाज से पेशेंट को फायदा न मिलने के चांसेज रहते हैं।

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'लैब में जिस कंपनी ने मशीनों का लगाया है, उसी कंपनी से फ्रीजर और एसी के लिए बोला गया है। फ्रीजर तो उन्होंने लगवा दिया है। एसी के लिए उन्हें रिमाइंडर भेजा जा रहा है। इसी माह में एसी लगवा ि1दया जाएगा.'

- डॉ। नीता चौधरी, सुप्रीटेंडेंट इंचार्ज, डफरिन।

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मशीन से होती हैं ये टेस्टिंग्स-

- सीबीसी- कम्पलीट ब्लड काउंट।

- एलएफटी- लीवर प्रॉब्लम।

- केएफटी- किडनी प्रॉब्लम।

- यूरिक एसिड- ज्वाइंट्स पेन।

- सीआरपी- रिएक्टिव प्रोटीन।

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डाटा

28 डिग्री सेल्सियस टेम्प्रेचर पर टेस्टिंग मशीन बेस्ट रिजल्ट देती हैं

200 पेशेंट्स डफरिन में डेली टेस्टिंग कराने पहुंचते हैं

40-46 डिग्री सेल्सियस टेम्प्रेचर गर्मियों में पहुंच जाता है